Shahbaz Sharif का सफर इतना भी आसाना नहीं, IMF सामने लाया ‘करो या मरो’ वाली स्थिति! कहा- पैसे चाहिए तो ‘तुरंत’ हटा लो…

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पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई अपने चरम पर है। देश की हालत बिगड़ती जा रही है। कंगाली के हाल में पाकिस्तान इस वक्त पाई-पाई के लिए तरस रहा है। खाने के आइटम से लेकर पेट्रोल-डीजल तक के दामों में भारी इजाफा हो चुका है। ऐसे में नई सरकार शाहबाज शरीफ के सामने इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि देश के अर्थव्यवस्था को कैसे ठीक किया जाए और बढ़ते विश्व कर्ज पर कैसे काबू पाया जाए। इस बीच पाकिस्तान को IMF की ओर से बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान ने कभी उम्मीद नहीं की होगी कि IMF कभी ऐसी मांग कर देगा।</p>
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पाकिस्तान से साफ शब्दों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि अगर उसे पैसे चाहिए तो वह तेल पर दी जा रही सब्सिडी तुरंत हटा दे। आईएमएफ ने जोर देकर कहा कि सहायता कार्यक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ईंधन और ऊर्जा सब्सिडी को हटाने की तत्काल आवश्यकता है। बता दें कि, पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने इस सप्हात की शुरुआत में कहा था कि, वह IMF को बताएंगे कि ईंधन और ऊर्जा सब्सिडी को वापस नहीं ले सकते हैं क्योंकि, राष्ट्र इसे सहन नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि, सब्सिडी पिछली पीटीआई सरकार द्वारा पेश की गई थी।</p>
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अब आईएमएफ ने अपने एक बयान में कहा है कि, वो ईंधन और ऊर्जा सब्सिडी और वित्त वर्ष 2023 बजट को हटाने के संदर्भ में ठोस नीति कार्यों की तात्कालिकता पर जोर दिया। आईएमएफ के अनुसार, उसके मिशन ने पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ नीतियों और सुधारों पर एक समझौते पर पहुंचने के उद्देश्य से अत्यधिक रचनात्मक चर्चा की। आईएमएफ और पाकिस्तान के अधिकारियों की यह बैठक दोहा में हुई। खबर है कि, इस दौरान आईएमएफ ने पाकिस्तान को 6 अरब डालर के बाहरी वित्त पोषण सुविधा के तहत रुकी हुई अगली किश्त को फिर से शुरू करने से मना कर दिया है।</p>
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बता दें कि, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते पाकिस्तान महंगाई के संकट से जूझ रहा है। इस बीच पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को भी आईएमएफ ने रोक दी है। नई सरकार ने एक सप्ताह पहले ही एक विस्तारिक फंड सुविधा के तहत 1 बिलियन डालकर की किश्त जारी करने पर IMF के साथ बातचीत शुरू की थी। 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हस्ताक्षरित $6 बिलियन का आईएमएफ बेलआउट पैकेज कभी भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया क्योंकि उनकी सरकार ने कुछ सब्सिडी में कटौती या समाप्त करने और राजस्व और कर संग्रह में सुधार करने के समझौतों पर ध्यान दिया था।</p>
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आईएन ब्यूरो

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