पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, मंहगाई की मार से जनता पिसी जा रही है लेकिन इमरान खान की सरकार विरोधी नेताओं के खिलाफ झुठे मुकदमे दायर करने में व्यस्त है। कुछ दिनों बाद एफएएफटी की बैठक होने वाली है, जिसकी ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान का नाम 2018 से है। अगर इस बार उसका नाम ब्लैक लिस्ट में शामिल हो गया तो कोई वित्तीय संस्था ऋण नहीं देगी और पाकिस्तान का नाम ईरान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ जुड़ जाएगा। एफएएफटी की ब्लैकलिस्ट में शामिल होने की आशंका से परेशान इमरान खान की नींद हराम है।
"मैं ही डेमोक्रेसी हूं ..कौन हटाएगा मुझे..पांच जगहों से चुनाव जीता हूं..ऑपोजिशन के पास कुछ काम है नहीं..सारे नकारे, हारे लोग हैं।" यह कहना है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी का। दरअसल पाकिस्तान की 11 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) बनाकर इमरान खान को हटाने के लिए जंग छेड़ दी है। उनका आरोप है कि इमरान की सरकार पाकिस्तान के इतिहास में सबसे गयी गुजरी सरकार है और इमरान खान (इलेक्टेड) नहीं बल्कि पाकिस्तानी आर्मी द्वारा (सेलेक्टेड) प्रधानमंत्री हैं। अगर आर्मी ने चुनाव में धांधली नहीं की होती तो इमरान खान का जीतना नामुमकिन था।
इस बात की ताकीद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी बार-बार कर रहे हैं। जिनके खिलाफ इमरान खान और उनके आका पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने देशद्रोह का मुकदमा चला रखा है। नवाज शरीफ का कहना है कि "पाकिस्तान एफएटीएफ के ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने के कगार पर है। मैंने जब पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की तो इन जनरलों ने मेरे खिलाफ साजिश कर मुझे हटा दिया। पाकिस्तान की यह हालत जनरल बाजवा, आईएसआई और कठपुतली इमरान खान की वजह हुई है।"
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंस का मुकाबला करने के लिए काम करने वाला ग्लोबल वॉचडॉग है। शरीफ का बयान ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान कुछ दिनों बाद 21-23 अक्टूबर को होने वाली एफएटीएफ की बैठक में ब्लैकलिस्ट किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा है। फरवरी में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण मानदंडों का पालन करने के लिए अतिरिक्त चार महीने का समय लिया था। तब उसे चेतावनी दी गई थी कि अगर वह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा ।
एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है। इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय लेनदेन पर भी जबर्दस्त असर पड़ेगा। एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। उस वक्‍त एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को ब्लैक लिस्ट से खुद को बचाने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा था।
यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया है। इसे पहले भी 2008 में उसे ग्रे लिस्ट में रखा गया था, लेकिन 2012 में हटा दिया गया था। फिर उसी साल पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में फिर डाला गया था और 2015 में हटा दिया गया था और 29 जून, 2018 में फिर से ग्रे लिस्ट में रखा गया है। जानकारों के मुताबिक,"पाकिस्तान का बार-बार ग्रे लिस्ट में आने का कारण है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा नामित आतंकवादी समूहों जैसे कि तालिबान, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के वित्तपोषण के सभी साधनों को बंद करवाने में असफल रहा है।"
एफएटीएफ द्वारा की गई समीक्षाओं में यह कहा गया कि हालांकि पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण और धन शोधन का मुकाबला करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन जड़ों को उखाड़ फेंकने में असफल रहा है। ऐसा लगता है कि कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाए गए। पाकिस्तान को जून 2020 तक का अतिरिक्त समय दिया गया है ताकि वो कुछ जरुरी कदम उठा सके जिससे पाकिस्तान में आतंकवादी समूहों की वृद्धि और पनाह पर रोक लग सके। पिछले महीने आनन-फानन में पाकिस्तान ने एफएएफटी के नियमों से संबधित तीन विधेयक पास करवाए लेकिन यह महज दिखावा है।
पाकिस्तान अभी भी आतंकवादियों को पालने-पोसने और उन्हें अपना मेहमान बनाने से बाज नहीं आ रहा है। अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम और पाकिस्तान से संचालित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के आतंकी रंजीत सिंह नीता सहित 21 आतंकवादी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में खुले आम भारत के खिलाफ साजिश रचने में व्यस्त हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के इस पाखंड को लेकर चिंतित है, जो एक तरफ आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा करता है तो दूसरी तरफ आतंकवादियों सुरक्षित पनाह देकर उनकी फंडिंग भी कर रहा है। पाकिस्तान सरकार 21 खूंखार आतंकवादियों को सारी सुविधाएं दे रही है। इनमें वे आतंकी भी शामिल हैं जिन पर पिछले दो महीने कथित प्रतिबंध लगाया गया।
जिन आतंकवादियों को सुविधाएं और पनाह दी जा रही हैं उनमें अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम, बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) चीफ वाधवा सिंह, इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) सरगना रियाज भटकल, आतंकवादी मिर्जा शादाब बेग और अफीफ हसन सिद्दीबापा शामिल हैं। इनमें कई ऐसे आतंकवादी शामिल हैं जो भारत में मोस्ट वॉटेड हैं। लेकिन वे पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं।
लेकिन अब इमरान खान चिंतित हैं क्योंकि अब चीन के लि शिनमिंग का कार्यकाल खत्म होने के बाद जर्मनी के मारकस प्लेयर एफएटीएफ के नए अध्यक्ष हैं। खबर है कि पाकिस्तान एक अमेरिकी कंपनी की सेवाएं ले रहा है जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पास पाकिस्तान की वकालत कर सके और उसे ब्लैकलिस्ट होने से बचा सके। पाकिस्तान ने अमेरिका को याद दिलाया है कि किस तरह उसने अमेरिका की आतंक के खिलाफ की लड़ाई में मदद की थी। यही नहीं राष्ट्रपति ट्रंप के कहने पहले अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता कराया। उसके बाद तालिबान को कतर की राजधानी दोहा में जारी अफगान शांति वार्ता में भाग लेने के लिए तैयार किया था।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि "चीन, टर्की, मलेशिया और सऊदी अरब पाकिस्तान के साथ हैं। मैंने अमेरिका से भी बात की है और उन्होंने कहा कि वो हमें सपोर्ट करेंगे।"
कुरैशी का यह भी कहना है कि उन्होंने दूसरे मेंबर्स से बात की है और उन्हें बताया कि पाकिस्तान ने किस तरह एफएटीएफ के 27 सूत्री प्लान पर प्रगति की है। 39 सदस्य वाले एफएटीएफ में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए 12 सदस्यों का वोट चाहिए। पाकिस्तान के विदेशमंत्री कुरैशी का आरोप है कि भारत की पूरी कोशिश है कि पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में जाए। यही चिन्ता प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके सेलेक्टर जनरल बाजवा को भी है। क्योंकि चीन और दूसरे समर्थकों के बावजूद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में जाने से रोका नहीं जा सका था।.
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