9 मई को पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के प्रमुख इमरान ख़ान के समर्थकों ने पंजाब और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख संस्थानों को निशाना बनाया था। इसके बाद इस बात की संभावना बन गयी है कि शहबाज़ शरीफ़ सरकार सेना अधिनियम और आधिकारिक गुप्त अधिनियम के तहत दंगाइयों और उनके नेताओं के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट में एक प्रस्ताव पारित कराये।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान एक दूसरे के लिए अपनी-अपनी तलवारें भांज रहे हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति और शीर्ष न्यायपालिका खुले तौर पर इमरान ख़ान के प्रति अपना नरम रुख़ अख़्तियार किए हुए है। उधर सरकार के हाथ भी बंधे हुए हैं। लेकिन,जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने पिछले दिनों पीटीआई को ख़त्म करने और उनके नेताओं को अलग-थलग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पूर्व पीएम बेनज़ीर भुट्टो ने कभी सेना और आईएसआई के बारे में ज़िक्र करते हुए कहा था कि इनका सरकार के भीतर अपनी सरकारें चलती हैं।इस समय भी ऐसा ही लग रहा है,क्योंकि इमरान ख़ान के क़रीबी कई शक्तिशाली पार्टी पदाधिकारी या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या आने वाले दिनों में ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं।
इस समय लाहौर स्थित पीटीआई प्रमुख का जमान पार्क आवास 18 मई से पंजाब पुलिस के घेरे में है और 16 मई से इस इलाक़े में उमड़ रहे समर्थकों की भीड़ अब घटने लगी है । पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पंजाब पुलिस को छोड़कर जमान पार्क वीरान नज़र आता है।
जहां इमारान ख़ान अब सेना के प्रति मैत्रीपूर्ण होने का संकेत दे रहे हैं,वहीं रावलपिंडी स्थित जेनरल हेड क्वार्टर ने पीटीआई को ध्वस्त करने का फ़ैसला किया है और पार्टी को विभिन्न गुटों में इमरान ख़ान के बिना विभाजित करने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान पर नज़र रखने वालों के अनुसार, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य और बिजनेस मैग्नेट जहांगीर तारेन को एक मज़बूत गुट बनाने के लिए सक्रिय किया गया है, जिसमें इमरान ख़ान के बाद की स्थिति में एक प्रमुख राजनीतिक भूमिका निभाने के लिए नेशनल असेंबली के अधिकांश सदस्य और पाकिस्तान असेंबली के सदस्य शामिल हों। माना जा रहा है कि परवेज़ खट्टक और असद कैसर जैसे पीटीआई नेता ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में मुख्य भूमिका निभायेंगे, जबकि शाह महमूद क़ुरैशी, फ़वाद चौधरी और परवेज़ इलाही पंजाब में प्रमुख नेता होंगे। कई महीने पहले पीटीआई छोड़ने वाले फ़ैसल वावदा के बारे में माना जा रहा है कि वह भविष्य में सिंध में अपनी भूमिका निभायेंगे।
ज़ाहिर है कि शरीफ़ सरकार के समर्थन से इमरान ख़ान और पाकिस्तानी सेना के बीच की तलवारें खिंची हुई हैं और यह अब अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है। अगर जनरल असीम मुनीर 9 मई की अराजकता के लिए इमरान ख़ान और उनके समर्थकों को जवाबदेह नहीं ठहराते हैं, तो रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर मध्य-पूर्व में लोगों और उसके सहयोगियों के सामने अपनी शक्ति और विश्वसनीयता दोनों ही खो देंगे।
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