India China Tension: भारत और चीन के बीच पिछले पिछले कुछ सालों से टकराव की स्थिति है। इस दौरान LAC पर भी दोनों देशों के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ये वो चीन है जिसने कई देशों को निगल गया, वहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह गिर पड़ी। श्रीलंका इसका जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे में अब कुछ विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि चीन साल 2020 से पहले वाली स्थिति का पक्षधर नहीं है और ऐसे में यह मुश्किल बढ़ा सकता है। हाल ही में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मेजबानी की थी। इसके बाद अब सितंबर में जी-20 सम्मेलन (G20 summit) का आयोजन होना है। इस आयोजन के बाद से ही चीन का मिजाज बिगड़ा हुआ है। विदेश नीति के जानकारों की मानें तो चीन को लगता है कि भारत ने एससीओ की ऑनलाइन मेजबानी करके गलत किया है। वहीं यह बात भी सच है कि चीन को इस बात से भी खासी परेशानी है कि पीएम मोदी ग्लोबल साउथ तक पहुंच बनाने के लिए जरूरी विकल्पों को आगे बढ़ा रहे हैं। ग्लोबल साउथ को लेकर उनकी सोच चीन को परेशान करने वाली हैं।
पीएम मोदी का मास्टरस्ट्राक
बीते महीने चीन में एक आयोजन हुआ था जिसमें दुनियाभर से कूटनीति के जानकार पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में ही भारत और चीन के मसले पर भी बंद कमरे में बातचीत हुई। इस दौरान कुछ रिटायर्ड और पद पर रहने वाले कई चीनी अधिकारी भी चर्चा के लिए मौजूद थे। जानकारों का कहना है कि भारत के अमेरिका के साथ संबंधों और ग्लोबल साउथ तक उसकी पहुंच को लेकर चीन की कुछ संभावित चिंताएं हैं। इस बात को लेकर चिंता थी कि क्या भारत चीन को ग्लोबल साउथ से बाहर करने की कोशिश कर रहा है। वह इसलिए ऐसा सोच रहा है क्योंकि पीएम मोदी ने तैयारियों के तहत ग्लोबल साउथ की बैठक बुलाने की पहल की थी।
जी-20 सम्मेलन से शॉक्ड
बताया जा रहा है कि जी20 शिखर सम्मेलन ने चीन को हैरान कर दिया है। चीनी को इस बात से भी तकलीफ है कि भारत ने एससीओ की ऑनलाइन मेजबानी करके उसके साथ दोएम दर्जे का बर्ताव किया है। सूत्रों ने इस बात की जानकारी भी है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ महीनों में दो बार भारत यात्रा का प्रस्ताव ठुकराया है। यह बात भी स्पष्ट है कि चीन सीमा पर 2020 से पहले की स्थिति में वापस जाने की इच्छा नहीं रखता है। ऐसे में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की तैनाती संभवतः जारी रहेगी।
LAC पर स्थिति असामान्य
चीनी अधिकारी लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सीमा मुद्दे को रिश्तों का एक बिंदु देखना चाहिए न कि इससे पूरे संबंधों को परिभाषित किया जाना चाहिए। भारत इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। भारत का मानना है कि सीमा पर स्थिति ‘असामान्य’ है और इससे द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। चीन कहता है कि सीमा पर स्थिति ‘स्थिर’ है और भारत इससे इनकार करता है। भारतीय पक्ष स्वीकार करता है कि टकराव के कुछ क्षेत्रों को सुलझाने में प्रगति हुई है लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में टकराव बरकरार है। ऐसे में फिलहाल भारत और चीन के बीच रिश्ते ठीक होते नजर नहीं आ रहे हैं।
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