स्वीडन स्थित थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ( सिपरी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत (India) लंबी दूरी के हथियार विकसित करने पर विशेष जोर देने के साथ अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रणनीतिक बदलाव बढ़ते तनाव और पड़ोसियों चीन और पाकिस्तान से कथित खतरों से प्रेरित है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु जखीरे का विस्तार कर रहे हैं और नए प्रकार के परमाणु डिलीवरी सिस्टम विकसित कर रहे हैं।
चीन के साथ भी रणनीतिक संबंध खराब हो रहे हैं, जिसने भारत (India) को अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। लंबी दूरी तक मार गिराने वाले हथियार तैयार किए जा रहे हैं जो चीन भर में टार्गेट को भेद सके। मिसाइल टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खास ध्यान दिया जा रहा है। न्यूक्लियर डिलिवरी सिस्टम में लंबी दूरी मारक क्षमता के साथ डेवलप किए जा रहे हैं। भारत 5000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल बनाने पर जोर दे रहा है। अग्नी सीरीज के बैलिस्टिक मिसाइल अग्नी-V इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
SIPRI के मुताबिक, भारत अडवास्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम में भारत के निवेश का लक्ष्य अपनी संपत्तियों की रक्षा और संभावित खतरों का मुकाबला करना है। इसके साथ ही पूरी परमाणु निरोधक क्षमता को आगे बढ़ाना है। रिपोर्ट की मानें तो चीन का परमाणु वॉरहेड्स जनवरी 2022 में 350 के मुकाबले जनवरी 2023 में 410 हो गया है। माना जा रहा है कि चीन इसकी संख्या लगातार बढ़ा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास अभी 164 न्यूक्लियर वॉरहेड्स है। भारत इसकी डिलिवरी सिस्टम पर ध्यान दे रहा है।
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