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मैन्यूफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनेगा भारत, चौधराहट छिनने की आशंका से निकलीं चीन की चीखें

इमेज सौजन्यः गूगल

चीन दुनिया भर में मैन्युफैक्चरिंग का हब बन चुका है। सुई से लेकर जहाज तक चीन में बनती है। अमेरिका जैसा ताकतवर देश भी मैन्युफैक्चरिंग का केंद्रिकरण हो जाने से परेशान है। हालांकि कुछ गलतियों ने चीन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। चीन की तानाशाही और विस्तारवादी नीति से दुनिया के कई देश खफा हैं। चीनी सीमा से लगे देशों से चीन के संबंध बेहद खराब है। कोरोना के बारे सही जानकारी न देने से भी पूरा विश्व चीन के खिलाफ है। अमेरिका का खुले तौर पर कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार बता चुका है।

चीन के खिलाफ एकमत हो रहे हैं कई देश

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार चल रहा है। दोनों देश अपनी ताकत बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से संपर्क कर रहे हैं। हालांकि ज्यादातर देश चीन के खिलाफ ही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चीन के सप्लाई चेन काटने का सुझाव दिया है। जॉनसन ने कहा कि हमें मिलकर चीन के खिलाफ आवाज उठाने की जरुरत है। जॉनसन ने आगे कहा कि चीन के आर्थिक कॉरिडोर का विकल्प ढ़ूंढना काफी जरुरी है। भारत अमेरिका यूरोपिय संघ, ब्रिटेन को मिलकर एक अलग सप्लाई श्रृंखला बनना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अमेरिका को पछाड़ते हुए साल 2019 में 4 खरब डॉलर पूरी दुनिया भर में लगाया है। ये दुनिया भर में हो रहे मैन्युफैक्चरिंग का 30 प्रतिशत है।

भारत है चीन का जवाब

इस रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि भारत एक ऐसा देश है जो चीन को टक्कर दे सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत के पास वो सारे संसाधन हैं जो चाहिए। भारत एक विशाल देश है जहां मानव श्रम और योग लोग लोगों की कोई कमी नहीं है। भारत एक बड़ा बाजार है और भारत की मुद्रा चीन की मुद्रा की तुलना में सस्ती है, जो कि निर्माण कार्य में भारत को फेवर कर सकता है। ब्रिटेन के नेशन्स स्टेटिस्टिक्स डिवीजन में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर चीन के साम्राज्य को खत्म करना है तो पहले चीन के सस्ते निर्माण और सप्लाई चेन को तोड़ना होगा और ये दोनों ही काम भारत कर सकता है क्योंकि वहां तकनीक के साथ काम करने वाले लोग सस्ते में उपलब्ध हैं।

चीन ने बिगाड़ दिया है बैलेंस

मौजूदा समय में ट्रेड को लेकर जो संघर्ष का दौर शुरू है वो चीन की देन है। व्यापार को लेकर कई देश आपस में भिड़े पड़े हैं। चीन ने अपने आप को मैन्युफैक्चरिंग हब बना लिया है, जिसके कारण दुनिया भर का बैलेंस बिगड़ गया है। चीन बाजार में अपनी मनमानी करता है। अब दुनिया के कई देशों को चीन खटक रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश ने अब आवाज उठाना शुरू कर दिया है। बाइडेन और बोरिस जॉनसन ने एक सुर में कहा है कि हमें चीन के रणनीति, मैन्युफैक्चरिंग औक आर्थिक कॉरिडोर का बिकल्प तैयार करना होगा। अमेरिका को चीन से सबसे ज्यादा खतरा है। बाइडेन भी जानते हैं कि अगर चीन से टक्कर लेना है तो भारत को साथ लाना होगा। ऐसे में अमेरिका भारत के साथ मिलकर आने वाले समय में कई योजनाएं बना सकता है।

ऐसे अगर भारत की बात करें तो भारत में भी पिछले कई सालों से मैन्युफैक्चरिंग में काफी काम किए गए हैं। लेकिन अभी भी भारत में काफी कुछ किया जान बाकी है। दुनिया भारत की तरफ देख रहा है। चीन की मोनोपॉली को तोड़ने में भारत अहम रोल निभा सकता है। हर देश भारत की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है। भारत भी नीत तेजी से उचाइयों को छू रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है पिछले दिनों भारत का निर्यात का बढ़ना।