इमरान खान को लेकर तनाव के बीच पाकिस्तान (Pakistan) की गंभीर आर्थिक संकट में घिरता जा रहा है। पाकिस्तान को आईएमएफ ने लोन देने से साफ माना कर दिया और उसके डिफॉल्ट होने का खतरा प्रबल होता जा रहा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने शनिवार को एक बार फिर से आश्वासन दिया है कि पाकिस्तान डिफॉल्ट नहीं होगा। इस बीच इमरान खान बनाम पाकिस्तानी सेना की जंग अब निर्णायक दौर में पहुंचती दिख रही है। पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से अब सऊदी अरब और यूएई भी खतरे में आ गए हैं। इन दोनों ही देशों ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर का लोन दिया है।
पाकिस्तान में चल रहे इस राजनीतिक और आर्थिक संकट से खाड़ी के देशों की टेंशन बढ़ गई है। इनमें भी खासतौर से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब बुरी तरह से फंसे हुए हैं। इन दोनों ही देशों ने अभी मिलकर 3 अरब डॉलर देने का पाकिस्तान और आईएमएफ से वादा किया है। पाकिस्तान में राजनीतिक अफरातफरी के बीच आर्थिक संकट अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। जिन्ना के देश में 1947 में मिली आजादी के बाद महंगाई अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है।
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पाकिस्तान के ऊपर 126 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज
पाकिस्तानी रुपया धड़ाम हो गया है और शहबाज सरकार के विदेशी लोन चुकाने पर संकट मंडरा रहा है। अगर यही हाल रहा तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो सकता है। दिसंबर 2022 में पाकिस्तान को 126 अरब डॉलर चुकाना था। पाकिस्तान के पास इस समय विदेशी मुद्रा भंडार 4 अरब डॉलर के आसपास ही बचा है। इस बीच आईएमएफ ने अब साफ कह दिया है कि जब तक पाकिस्तान शर्तों को पूरा नहीं करता है, उसे अब लोन नहीं मिलेगा। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में एक बोक्ररेज हाउस के सीईओ मोहम्मद सोहैल अल मॉनिटर वेबसाइट से कहा कि देश में बढ़ रहे राजनीतिक संकट के बीच यूएई और अन्य देश मदद करेंगे, उन्हें संदेह है। आईएमएफ (IMF) ने कहा था कि ये देश पहले लोन दें तो वह पैकेज को बहाल करेगा। चीन, यूएई, सऊदी अरब इन तीनों ही देशों ने लोन देने का वादा किया है लेकिन अभी भी 2 अरब डॉलर की फंडिंग का जुगाड़ नहीं हो पाया है। इससे अब पाकिस्तान डिफॉल्ट की ओर बढ़ रहा है।
सऊदी-यूएई पर क्या होगा असर
पाकिस्तान इन देशों के लिए 22 करोड़ की आबादी वाला बाजार है। साल 2023 में यूएई और पाकिस्तान के बीच व्यापार 10.6 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। वहीं सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार साल 2022 में 4.6 अरब डॉलर था। खाड़ी देशों में लाखों की तादाद में पाकिस्तानी कामगार काम करते हैं। अगर पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ती है तो बड़ी संख्या में प्रवासी वापस लौट सकते हैं। इससे इन मुस्लिम देशों की मुश्किल बढ़ जाएगी जो इन मजदूरों पर निर्भर हैं। पाकिस्तान ऐतिहासिक रूप से यूएई और सऊदी अरब पर निर्भर रहा है। यह मदद अक्सर तेल के बदले विलंबित भुगतान और कई बार कम दर में तेल देने आदि के रूप में रहता था।
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