Chinese virus का ऑरिजिन जानने के लिए WHO फिर से शुरू करेगा Investigation? चीन की उड़ीं हवाईयां

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ऐसा लग रहा है कि चीन पर शनि की साढ़े साती का प्रकोप अभी चल रहा है। एक बार डब्लूएचओ को डरा धमका आधी-अधूरी रिपोर्ट जारी करवाने वाले चीन के खिलाफ दुनिया के लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा विज्ञानियों ने वुहान वायरस की एक बार फिर कर दी। इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि उपलब्ध डेटा और सबूतों को देख कर लगता है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान से ही निकला है। चीन की सरकार ने कोरोना वायरस की जानकारी को न केवल डब्लूएचओ से छिपाया बल्कि जिन लोगों ने इस वायरस की जानकारी पब्लिक डोमेन में दी उन्हें भी चीन की दमनकारी नीतियों का शिकार होना पड़ा।</p>
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ध्यान रहे, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को चीनी वायरस और वुहान वायरस की संज्ञा दी थी। अमेरिका ने चीन पर 27 खरब डॉलर का दावा भी ठोंक रखा है। इसके अलावा फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने चीन को निशाने पर लिया है। डेढ़ दर्जन विज्ञानियों की इस चिट्ठी को साइंसमैग डॉट ओआरजी ने छापा है। इन विज्ञानियों का कहना है कि कोरोना के इलाज के लिए उल्लेखनीय प्रगति हो रही है फिर भी यह जानना जरूरी है वायरस का ओरिजिन कहां है। क्योंकि वायरस का ऑरिजिन का पता चल जाने से उसका निराकरण और भी सटीक तरह से हो सकता है। इन विज्ञानियों का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस का ऑरिजिन पता चलने से भविष्य में होने वाली ऐसी बीमारियों का इलाज पहले से ढूंढ कर रखा जा सकता है और कोरोना जैसे विस्फोट के जोखिम को कम किया जा सकता है।</p>
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कोरोना वायरस के ऑरिजिन की खोज फिर से जाने की मांग करने वाले विज्ञानियों का कहना है अब तक इस बारे में जो भी इन्वेस्टिगेशन उनके नतीजे संतोष जनक नहीं हैं। इन्वेस्टिगेशन करने वाली टीम के सदस्यों में भी परस्पर मत भिन्नता है। इन विज्ञानियों के अलावा डबलूएचओ के डाइरेक्टर जनरल, अमेरिका, 13 अन्य देश और यूरोपियन यूनियन भी चाहती है कि वुहान वायरस के ऑरिजिन की सही जानकारी मिलनी ही चाहिए।</p>
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इन विज्ञानियों ने कहा है कि जिस तरह से वुहान में वायरस का आउटब्रेक की जानकारी के चीन के ही कुछ जिम्मेदार डॉक्टर, वैज्ञानिकों, मीडिया और नागरिकों व्यक्तिगत जोखिम दुनिया के साथ शेयर की, हमें भी इस जटिल लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक निष्पक्ष विज्ञान आधारित प्रवचन को बढ़ावा देने में वही दृढ़ संकल्प दिखाना चाहिए।</p>
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विज्ञानियों की इस चिटठी के बाद दुनिया भर में खलबली मच गई है। खुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस चिट्ठी के बाद विचलित नजर आ रहे हैं। पिछली बार भी लगभग एक साल तक ना नुकुर करने के बाद चीन जांच के लिए तैयार हुआ था, लेकिन जांच टीम के वुहान आने से एक दिन पहले वुहान में कोरोन कर्फ्यू लगा दिया था। टीम को एयरपोर्ट से होटल लेजाकर क्वारंटीन कर दिया था। इसके बाद जब जांच शुरु हुई तो टीम को उन जगहों पर नहीं जाने दिया गया जहां से महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती थी। इसके अलावा जांच टीम को चीन ने कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट भी नहीं दिए और न ही उन लोगों से मिलने दिया गया जिनके बयान कोरोना की जांच में महत्वपूर्ण हो सकते थे।</p>
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दोबारा जांच शुरू होने की आशंका से चीन की हवाईंयां उड़ी हुई हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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