इजरायल (Israel) ने दुनिया के सामने पहली बार अपनी हाइपरसोनिक इंटरसेप्टर को प्रदर्शित कर दिया है। यह इंटरसेप्टर किसी भी हाइपरसोनिक मिसाइल को मार गिरा सकता है। इस इंटरसेप्टर के लॉन्चिंग के साथ ही इजरायल को ईरानी हाइपरसोनिक मिसाइलों के खतरे के खिलाफ एक मजबूत रक्षा कवच मिल गया है। इसका नाम स्काई सोनिक हाइपरसोनिक मिसाइल इंटरसेप्टर है। इसे इजरायली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड ने बनाया है। राफेल एडवांस्ड ने ही आयरन डोम, डेविड स्लिंग, स्पाइडर, ड्रोन डोम, स्काई स्पॉटर जैसे शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम का निर्माण किया है। भारतीय थल सेना की स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, सेमसन रिमोट कंट्रोल वेपन स्टेशन, आयरन बीम हाई एनर्जी लेजर वेपन सिस्टम जैसे हथियारों को बनाया है।
यहां किया पहली बार प्रदर्शित
इजरायल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने पेरिस एयर शो में अपनी स्काई सोनिक हाइपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल को पहली बार दुनिया के समाने पेश किया। इसका मकसद रूस के डर से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने की होड़ में जुटे यूरोपीय देशों से अधिक से अधिक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना था। स्काई सोनिक का निर्माण पिछले कई वर्षों से हो रहा है और अभी तक इसका परीक्षण नहीं किया गया है। इसके बावजूद इजरायली कंपनी का दावा है कि उसने स्काई सोनिक का निर्माण कर लिया है। राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने स्काई सोनिक हाइपरसोनिक मिसाइल इंटरसेप्टर की परियोजना अमेरिका के सामने प्रस्तुत की है। अमेरिका ने इस बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया भी दी है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि इजरायल के आयरन डोम डिफेंस सिस्टम के निर्माण में अमेरिका का भी बहुत सारा पैसा लगा हुआ है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि हाइपरसोनिक खतरों के खिलाफ सफल बचाव के लिए एक बहुमुखी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
ईरानी खतरे के जवाब में बनाया स्काई सोनिक
इजरायल पर काउंटर-हाइपरसोनिक डिफेंस विकसित करने का दबाव और अधिक जरूरी हो गया है क्योंकि इसके कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान ने हाइपरसोनिक हथियार विकसित करने का दावा किया है। इसी महीने ईरान ने सार्वजनिक रूप से अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल फतह या फारसी में ओपनर मिसाइल का खुलासा किया था। ईरानी सरकारी मीडिया ने दिखाया था कि एक बैलिस्टिक मिसाइल की बॉडी पर री एंट्री व्हीकल को माउंट किये हुए दिखाया था।
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ईरानी हाइपरसोनिक के दावों पर नहीं भरोसा
ईरान शुरू से ही प्रचार के उद्देश्य से अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता रहा है। मौजूदा हाइपरसोनिक तकनीक 5-6 मैक तक उड़ान भरने वाले डिजाइनों का समर्थन करती है। ऐसे में इजरायल का मैक 15 का दावा सही प्रतीत नहीं होता है। इसके अलावा ईरान की तुलना में अधिक संसाधनों और विशेषज्ञता वाले चीन, रूस और अमेरिका जैसे स्थापित हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले देशों ने अपने हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रमों में कई कठिनाइयों का सामना किया है, जो ईरान के दावे पर अधइक संदेह पैदा करता है।
इजरायल नहीं लेना चाहता कोई चांस
इसके बावजूद इजरायल कोई चांस नहीं ले रहा है। अपने स्काई सोनिक हाइपरसोनिक मिसाइल इंटरसेप्टर के अलावा, इजरायल लेजर के उपयोग सहित वैकल्पिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों में भी निवेश कर रहा है। मिसाइल आधारित रक्षा प्रणालियों की तुलना में लेज़रों के कई फायदे हैं, जैसे तत्काल हिट, प्रति शॉट कम लागत। हालांकि, उन्हें बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता, दूरी पर घटती शक्ति और वायुमंडलीय स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता जैसी कमियों का सामना करना पड़ता है।
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