अंतर्राष्ट्रीय

भारत में गरजेगा रूस का ब्रह्मास्त्र S-400, जानिए दुनिया के सबसे ताकतवर ‘सुरक्षाकवच’ का इतिहास

यूक्रेन युद्ध में धमाल मचा रही रूसी ब्रह्मास्‍त्र S-400 अब भारतीय वायुसेना की शान बन चुका है। भारत ने रुसी एयर डिफेंस सिस्‍टम एस-400 की दो स्‍क्‍वाड्रन को ऑपरेशनल कर दिया है। ऐसे में भारत अब पहली बार एस-400 की किलर मिसाइलों का परीक्षण करने जा रहा है जिससे सुपरपावर अमेरिका भी खौफ खाता है। रूस (Russia) का बनाया एस-400 दुनिया का सबसे सफल और ताकवर एयर डिफेंस सिस्‍टम माना जाता है। जबकि पूर्ववर्ती रूसी मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम ताइवान से लेकर वियतनाम युद्ध में कमाल दिखा चुके हैं। तो आइये जानते हैं इस महाशक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्‍टम के जन्‍म की कहानी…

दरअसल, भारत ने साल 2018 में रूस से 5 एस-400 एयर डिफेंस सिस्‍टम के लिए डील किया था जिसमें तीन की आपूर्ति हो चुकी है। रूस के यूक्रेन युद्ध में उलझ जाने के कारण अब दो और एस-400 सिस्‍टम की आपूर्ति लटक गई है। रूस दुनिया में सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्‍टम के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोवियत संघ के जमाने में पश्चिमी देशों के साथ शीतयुद्ध के दौरान जमीन आधारित एयर डिफेंस सिस्‍टम को बनाने पर काफी निवेश किया गया जिसका फायदा अब रूस को हो रहा है।

एस 75 ने किया अमेरिकी विमानों का शिकार

एस-25 बेरकुट एयर डिफेंस सिस्‍टम 20 किमी की ऊंचाई पर सुपरसोनिक स्‍पीड से उड़ रहे लक्ष्‍यों को मार गिराने में सक्षम था। इस सिस्‍टम में दिक्‍कत यह थी कि इसे एक जगह से दूसरी जगह ले नहीं जाया जा सकता था। यही नहीं उसे सोवियत संघ में दुश्‍मन से छिपाकर रखना भी आसान नहीं था। इन्‍हीं कमियों के कारण बाद में एस-75 ‘Dvina’ का जन्‍म हुआ। एस-75 दुनिया के इतिहास में बहुत बड़े पैमाने पर तैनात किया गया एयर डिफेंस सिस्‍टम था और इसने उस समय के अमेरिकी सैन्‍य ताकत का प्रतीक कहे जाने वाले कुछ विमानों को जंग में मार भी गिराया था। एस-75 सिस्‍टम को सबसे पहले साल 1957 में तैनात किया गया था। इसने 7 अक्‍टूबर 1959 को चीन के ऊपर उड़ रहे ताइवान के एक मार्टिन RB-57D कैनबरा विमान को मार गिराया था। उस समय इसका श्रेय चीन के फाइटर जेट को दिया गया था ताकि दुनिया को एस-75 प्रोग्राम के रहस्‍य की जानकारी नहीं हो पाए।

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अमेरिकी एफ-35 विमान को मार गिरा सकता है एस-300

रूस (Russia) ने इसके बाद एस-400 का निर्माण किया है जो एस-300 से कई मामलों में आगे है। इसे सबसे पहले साल 2007 में रूसी सेना में शामिल किया गया। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह अमेरिका के एफ-35 फाइटर जेट को भी मार गिराने में सक्षम है। इसके एक सिस्‍टम में 8 डिविजन होते हैं और 72 लांचर को कंट्रोल कर सकता है। इसमें अधिकतम 384 मिसाइलें होती हैं। ये मिसाइलें 400 किमी तक दुश्‍मन की मिसाइलों, फाइटर जेट और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम हैं। रूस ने अ‍ब एस-400 का उन्‍नत संस्‍करण बना लिया है जिसका नाम एस-500 है।

आईएन ब्यूरो

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