अंतर्राष्ट्रीय

भारत की राह पर Japan! अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर रूस से खरीदने लगा तेल, वजह है खास

Japan Russian Oil: रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला तो पश्चिमी देश बौखला उठे और उसके खिलाफ कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाने लगे। साथ ही दुनिया को धमकी दे दिये कि जो भी रूस से रिश्ता रखेगा वो उसे बरबाद करेंगे। लेकिन, खुद सस्ता तेल खरीदते रहे। पश्चिमी देश सबसे ज्यादा रूसी तेल और गैस पर टिके हुए हैं। ऐसे में वो खुद को खरीदते रहे लेकिन, दुनिया को मना कर दिया। ऐसे में रूस ने भारत को तेल खरीदने के लिए जब कहा तो इंडिया ने अपनी जनता के हक में फैसला उठाते हुए रूस के बात को मान लिया। पश्चिमी देशों की तमाम कोशिशों के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा। अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का एक कैप लगा रखा है।

इस बीच अब अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक जापान ने इस कैप से ज्यादा की कीमत पर रूस से तेल खरीदा है। जापान ने अमेरिका से कहा है कि वह उसे अपवाद माने, क्योंकि रूसी ऊर्जा तक पहुंच उसके लिए जरूरी है। यह रियायत जापान के जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को दिखाता है। दरअसल,जापान एक ऐसे समय में रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है जब कई यूरोपीय देशों ने रूसी ईंधन पर अपनी निर्भरता कम कर दी है। बता दें, जापान ने पिछले एक साल में रूसी प्राकृतिक गैस की खरीद बढ़ा दी है। G7 देशों में जापान ही इकलौता ऐसा देश है जो यूक्रेन को घातक हथियार नहीं दे रहा है। इसके अलावा प्राधनमंत्री फुमियो किशिदा G7 देशों में अंतिम नेता थे, जिन्होंने रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेम का दौरा किया था।

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जापान दे रहा यूक्रेन का साथ

जापान की तरफ से लगातार यह कहा जा रहा है कि वह यूक्रेन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन जापान की तेल खरीद, जिसकी मात्रा बेहद छोटी है उसे अमेरिका ने अनुमति दी है। ये वैश्विक 60 डॉलर के कैप की एकता की कमजोरी दिखाता है। तेल पर लगे कैप की अगर बात कही जाए तो जिन जहाजों में ये लद कर आते हैं, उनके इंश्योरेंस ज्यादातर पश्चिमी देश करते हैं। G7, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया ने उन देशों को यह सुविधा देने से मना कर दिया है जो 60 डॉलर से ज्यादा की कीमत पर तेल खरीद रहे हैं।

आखिर जापान क्यों खरीद रहा तेल

रूस के सुदूर पूर्व में सखालिन-2 परियोजना चलती है, जो सखालिन द्वीप पर है। यहां जापान और रूस की कंपनियों ने प्राकृतिक गैस निकालने से जुड़ा समझौता किया हुआ है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हम सखालिन-2 के मुख्य उत्पाद यानी प्राकृति गैस तक पहुंच सुनिश्चित करना चाहते हैं, जिसे तरल बना कर जापान भेजा जाता है। उन्होंने कहा, ‘हमने जापान के लिए ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति की दृष्टि से ऐसा किया है। गैस के तरलीकरण के लिए क्रूड ऑयल भी चाहिए होता है जिस वजह से हमें यह लेना पड़ता है।

आईएन ब्यूरो

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