लौट कर बुद्धू घर को….सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से मिले बिना लौटे पाकिस्तानी आर्मी चीफ बाजवा

पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर वाजेद बाजवा इन दिनों मायूस और खफा है। मंगलवार को जनरल कमर वाजेद बाजवा और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को सऊदी अरब से बैंरंग वापस लौटना पड़ा। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें घंटों इंतजार कराया और आखिर में मिलने से साफ मना कर दिया।

जनरल बाजवा बड़ी आस लेकर क्राउन प्रिंस की नाराजगी दूर करने सऊदी अरब गए थे। लेकिन एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी यह मुलाकात नहीं हो सकी। बाजवा सिर्फ वहां के आर्मी चीफ से मिल कर खाली हाथ पाकिस्तान लौट गए। इस फजीहत के बाद से पाकिस्तान में अफवाहों का बाजार गरम है।

बाजवा, इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से खासे नाराज हैँ। सऊदी अरब ने उन्हें सम्मानित करने का फैसला भी किया था, लेकिन क्राउन प्रिंस के आदेश पर वो भी रोक दिया गया। यही नहीं सउदी अरब ने पाकिस्तान को कच्चा तेल देने साफ मना कर दिया है, साथ ही उधार दिए गए कर्ज को चुकाने का तकाजा भी कर दिया है ।

पाकिस्तान ने सऊदी अरब का पिछले दिनों 1अरब डालर का कर्ज चुकाया था, लेकिन अभी भी उसे 2 अरब डॉलर चुकाना है। दरअसल सऊदी अरब ने 2018 में पाकिस्तान को 6.2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था, जिसमें 3 अरब डॉलर अरब का ऋण और बाकि 3.2 अरब डालर का कच्चा तेल शामिल था। सऊदी अरब ने तेल की आपूर्ति पर तो रोक लगा दी और शेष ऋण की रकम वापस करने की मांग कर दी है।

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक मोशरर्फ जैदी के मुताबिक, "सऊदी अरब अपने को ठगा महसूस कर रहा है..उसको लगता है कि जिस पाकिस्तान की वो हमेशा हर तरह से मदद करते आए हैं, आज उसी पाकिस्तान ने उसकी पीठ में खंजर भोंका है। यह बात प्रिंस सलमान को नागवार गुजरी है। इसी साल फरवरी में सलमान ने पाकिस्तान के ग्वादर में तेल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स काम्प्लेक्स के लिए 20 अरब के निवेश करने को मंजूरी दी थी..अब तो शायद उस पर भी रोक लग जाएगी।"

पिछले दिनों 5 अगस्त को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाने पर सऊदी अरब की अगुवाई वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की कड़ी आलोचना की थी। कुरैशी ने कहा था, " हम एक साल से यह मांग कर रहे हैं कि कश्मीर मुद्दे पर ऑर्गनाइजेशन ऑफ मुस्लिम कंट्रीज (ओआईसी) की बैठक बुलाई जानी चाहिए। लेकिन, सऊदी सरकार इसे हर बार नामंजूर कर देती है। पाकिस्तान चाहे तो सऊदी की मदद के बिना भी कश्मीर मुद्दे पर आगे बढ़ सकता है।"

इतना ही नहीं कुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तान टर्की, ईरान और कतर जैसे मुस्लिम देशों के साथ नया संगठन बना सकता है, जो कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देंगे। गौरतलब यह है कि ये तीनों देश ऐसे हैं, जिनकी सऊदी अरब से नहीं बनती है।

इसके बाद पाकिस्तान में सऊदी अरब के राजदूत नवाफ सईद अल मलकि ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ से मिलकर अपनी नाराजगी जताई। जनरल बाजवा ने कहा था कि कुरैशी सार्वजनिक तौर इसके लिए सफाई देंगे। लेकिन कुरैशी अपनी बात पर अड़े रहे। नाराज क्राउन प्रिंस सुल्तान ने पाकिस्तान से कर्ज तुरंत वापिस करने का फरमान जारी कर दिया।

पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी के मुताबिक, " पाकिस्तान के लिए सऊदी तेल और अमेरिकी डॉलर दोनों जरूरी हैं। सऊदी पाकिस्तान को एक कृतघ्न के रूप में देख रहा है। उसने पिछले कई दशकों से पाकिस्तान की मदद की है। इसमें बजट में सहायता, तेल सप्लाई पर डिफर्ड (deferred) पेमेंट और अकुशल श्रमिकों के लिए हजारों नौकरियां मुहैया कराना शामिल रहा है।"

पाकिस्तान ने अपने मौजूदा आका चीन से एक अरब डॉलर का कर्ज लेकर सऊदी अरब की पहली किस्त चुका दी। लेकिन बाकी 2 अरब डॉलर कहां से लाएगा? उस पर आफत ये कि सऊदी अरब ने कच्चे तेल की आपूर्ति बंद कर दी है। इंडिपेंडेंट सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्युरिटी स्टडीज, इस्लामाबाद के इम्तियाज गुल के मुताबिक, "यह तो वही पीटर और पॉल वाली बात हो गई..पीटर से कर्जा लेकर पॉल का कर्जा चुकाया..लेकिन पीटर का कर्जा कैसे चुकाओगे..चीन और सऊदी अरब में शायलॉक तो चीन है.. अगर उसने अपने पैसे मांग लिए, तो पकिस्तान क्या करेगा।"

कुछ पाकिस्तानी विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम देशों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बढ़ती पैठ से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान बौखला गए हैं। पिछले साल य़ूएई (UAE) ने उन्हें देश का सर्वोच्च अवार्ड ऑर्डर ऑफ जायेद दिया था। इसके पहले सऊदी अरब ने उन्हें अपने सर्वोच्च अवार्ड किंग अब्दुल अजीज साश से सम्मानित किया था।

अब तक 6 मुस्लिम देश मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाज चुके हैं। ज्यादातर मुस्लिम देश कश्मीर में 370 खत्म होने के मुद्दे पर इमरान खान के साथ नहीं आ रहे हैं। सऊदी अरब भारत का एक बड़ा आर्थिक साझेदार बन गया है। पाकिस्तान सऊदी अरब का साझेदार नहीं है । वो उससे मदद लेता रहा है। यहां तक कि पाकिस्तान के परमाणु संपन्न देश बनने में भी सऊदी अरब ने मदद की है।

दूसरा मुद्दा चीन का है। यहां भी चीन और पाकिस्तान बराबर के साझेदार नहीं हैं। चीन तो अपने मकसद के लिए पाकिस्तान को पैसे दे रहा है। इम्तियाज गुल के मुताबिक, " पाकिस्तान और सऊदी अरब की रिश्ते की तुलना पाकिस्तान और चीन के संबध से नहीं की जा सकती है। सऊदी अरब ,अमेरिकी कैंप में है। जाहिर है कि उसे पाकिस्तान पर चीन का बढ़ता प्रभाव गवारा नहीं है। ये बात पाकिस्तानी आर्मी बखूब जानती है।"

पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार नज्म सेठी के मुताबिक, "पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा रेमिटेंस मनी सऊदी अरब से आता है। पिछले साल वहां रह रहे पाकिस्तानियों ने 5 अरब डॉलर पाकिस्तान भेजे थे। अब अगर सऊदी अरब ने पाकिस्तानियों को वापस भेज दिया, तो इमरान खान क्या करेंगे ? यही वजह है पाकिस्तानी आर्मी नहीं चाहती है कि किसी भी कीमत पर सऊदी अरब से रिश्ते खराब हों।"

पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां भी सऊदी अरब से संबध अच्छे मनाए रखने के पक्ष में हैं। नवाज शरीफ की सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता खुर्रम दस्तगीर का कहना है कि "विदेश मंत्री कुरैशी का बयान निहायत गैर जिम्मेदाराना और अफसोस जनक है। सऊदी अरब तो पाकिस्तान का टाईम टेस्टेट बेनिफेक्टर रहा है..बहुत पुराने संबध है। पता नहीं इमरान खान को इस तरह की सलाह कौन दे रहा है..सुसाईडल कदम है।"

यही वजह है कि पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के तख्तापलट की अफवाहों का बाजार गरमाया हुआ है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) का सऊदी अरब का दौरा डैमेज कंट्रोल के लिए था। लेकिन क्राउन प्रिंस सुल्तान ने न सिर्फ घंटो इंतजार करवाया, बल्कि बैरंग खाली हाथ भेज दिया। यह पहला वाकया है, जब पाकिस्तानी आर्मी चीफ को सऊदी अरब से इस तरह ज़लील होकर लौटना पड़ा है। अब इमरान खान की सरकार और पाकिस्तानी सेना लाख सफाई दें, हकीकत में तो उनका मजाक बन रहा है। अब देखना है जनरल बाजवा का अगला कदम क्या होगा?.

अतुल तिवारी

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