शनिवार को पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के एक कार्यकर्ता की ख़ैबर पख़्तूनख्वा (केपी) के मरदान ज़िले में ईशनिंदा के आरोप में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। लेकिन, दो दिनों बाद भी पार्टी अध्यक्ष इमरान ख़ान और अन्य नेता ने इस घटना की निंदा नहीं की है।
शनिवार की शाम न्यायपालिका के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सांवलधेर गांव में पीटीआई द्वारा आयोजित एक जनसभा की समाप्ति से कुछ ही मिनट पहले मौलवी निगार आलम की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी।
लिंचिंग का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था, जिसमें मौलवी को ज़मीन पर लेटा हुआ देखा जा सकता है।
प्रारंभिक रिपोर्टों में कहा गया था कि इस आदमी को यह कहने को लेकर लिंच किया गया कि “वह इमरान ख़ान का सम्मान उसी तरह करता है, जैसे पैग़म्बर का सम्मान करता है”। हालांकि, बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि उन्होंने ये बात रैली के दौरान मौजूद एक स्थानीय नाज़िम के बारे में कही थी। उनकी टिप्पणी को भीड़ के एक वर्ग द्वारा कथित रूप से ईश निंदा करने वाला बताया गया, जिन्होंने उन पर लाठी और पत्थरों से हमला कर दिया।
पीटीआई के आधिकारिक एकाउंट ने इस घटना की निंदा नहीं की है, लेकिन पार्टी की सोशल मीडिया टीम उन पत्रकारों पर हमला कर रही है, जिन्होंने मौलवियों की टिप्पणियों को पीटीआई प्रमुख को इस “ग़लत सूचना” के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।
सोशल मीडिया यूजर्स ने इस घटना पर ‘चुप’ रहने के लिए पीटीआई नेताओं की निंदा की है।
एक ट्विटर यूजर ने पूर्व मंत्री पीटीआई नेता अली मुहम्मद ख़ान को टैग किया और मॉब लिंचिंग पर “चुप” रहने के लिए उनकी आलोचना की।
इस बीच एक अन्य ट्विटर यूज़र ने दावा किया कि पीटीआई के आधिकारिक और अनाधिकारिक को मरदान घटना के बारे में ट्वीट नहीं करने का आदेश दिया गया है, ताकि वे पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान को घटना से दूर रख सकें।
उन्होंने कहा, “आपको इस घटना की निंदा करने वाला एक भी ट्वीट नहीं मिलेगा, वे सिर्फ़ ख़ान का नाम हटाने के लिए वहां गये हैं।”
एक सोशल मीडिया यूजर ने ट्विटर थ्रेड में राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए पीटीआई प्रमुख को ” ईश निंदा को बतौर हथियार” इस्तेमाल करने की बात भी कही।
पत्रकार हमजा अज़हर सलाम ने इस घटना पर चुप रहने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) और पीटीआई दोनों की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “पीटीआई, पीएमएलएन और आईएसपीआर की मर्दान में ईश निंदा पर चुप्पी दिखाती है कि कैसे पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता से निपटने का संकल्प नहीं है और वह इसे हल करने के बजाय भीड़ की हिंसा को नज़रअंदाज़ करना पसंद करता है।”
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