Pakistan में तालिबानी फरमान- मीडिया में वही छपेगा-वही दिखेगा, जो चाहेगा इमरान खान!

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तालिबान को खुश करने में लगी पाकिस्तान की इमरान खान सरकार अब लगता है उसकी की राह पर चलने लगे हैं। जिस तरह से अफगानिस्तान में हाल ही में एक वीडियो सामने आया था कि एक टीवी एंकर को तालिबानी बंदूक की नोक पर तालिबान की तारीफ में खबरें पढ़ने के लिए कह रहा है। उसी तरह अब इमरान खान भी पाकिस्तान के मीडिया का गला घोंटने में लगे हुए हैं। ये हम नहीं बल्कि पाकिस्तान के ही लोग कह रहे हैं।</p>
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पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा है कि, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार मीडिाय अथॉरिटी बिल (Media authority bill) के जरिए मीडिया की आवाज दाबाना चाहती है। ये ऐसे वक्त में आया है, जब देश के मीडिया समूहों के विरोध के बावजूद पाकिस्तान मीडिया विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) विदेयक को सरकार लाना चाहती है। इसकी तुलना बेरहम कानून से की गई है।</p>
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डॉन अखबार की रिपोर्ट की माने तो, विपक्षी पार्टियों के गठबंधन PDM के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा है कि, वह प्रेस की आजादी के संघर्ष में पत्रकार समुदाय का समर्थन करेंगे। शुक्रवार को इस्लामाबाद में एक मीडिया ब्रीफिंग में उन्होंने कहा कि, पत्रकारिता लोकतंत्र में हमेशा समृद्ध हुई है और आगे बढ़ी है। लेकिन तानाशाह और सम्राट हमेशा वही पढ़ना और देखना चाहते हैं, जो उनके लिए उपयुक्त होता है। रहमान ने यह भी कहा कि, एक राज्य संस्था थी, जो खुद को श्रेष्ठ मानती थी, उसे लगा कि पाकिस्तान में तानाशाही मानसिकता फल-फूल रही थी, जबकि लोकतंत्र में गिरावट तेज हो गई थी।</p>
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बताते चलें कि, इससे पहले भी मौलाना फजलुर रहमान आवाज उठा चुके हैं, अभी पिछले ही महीने उन्होंने कहा था कि, पाकिस्तान में कोई संवैधानिक शासन नहीं है और देश में पत्रकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, इस समय देश में कोई संवैधानिक शासन नहीं है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। पत्रकारों पर भी हमला किया जा रहा है।</p>
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गौरतलब हो कि, फ्रीडम नेटवर्क की वार्षिक प्रेस फ्रीडम 2021 रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान देश में मीडियाकर्मियों के खिलाफ हमलों और उत्पीड़न में वृद्धि के साथ पत्रकारिता करने के लिए सबसे जोखिम भरे स्थान के रूप में उभरा है। एक वर्ष के दौरान मई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच, पत्रकारों सहित मीडिया और उसके जुड़े लोगों के खिलाफ हमलों और उल्लंघन के कम से कम 148 मामले सामने आए हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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