Russian Crude Oil For India: रूस ने जब यूक्रेन पर हमला बोला तो पश्चिमी देश बौखला उठे और उसके खिलाफ कड़े से कड़े प्रतिबंध लगाने लगे। साथ ही दुनिया को धमकी दे दिये कि जो भी रूस से रिश्ता रखेगा वो उसे बरबाद करेंगे। लेकिन, खुद सस्ता तेल खरीदते रहे। पश्चिमी देश सबसे ज्यादा रूसी तेल और गैस पर टिके हुए हैं। ऐसे में वो खुद को खरीदते रहे लेकिन, दुनिया को मना कर दिया। ऐसे में रूस ने भारत (Russian Crude Oil For India) को तेल खरीदने के लिए जब कहा तो इंडिया ने अपनी जनता के हक में फैसला उठाते हुए रूस के बात को मान लिया। पश्चिमी देशों की तमाम कोशिशों के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा। इस बीच रूस के कच्चे तेल पर पश्चिमी देशों ने कम से कम 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगा रखा है। इसके बाद भी भारत (Russian Crude Oil For India) को बड़ी राहत मिलनी जारी रह सकती है। भारत को इन पाबंदियों के बाद भी 60 डॉलर प्रति बैरल के दाम से नीचे तेल मिलते रहने की संभावना है।
भारत को रूस से मिलता रहेगा सस्ता तेल
भारत ने अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों की ओर से प्राइस कैप की पॉलिसी का समर्थन भी नहीं किया था। भारत जिस रूस के तेल की खरीद लगातार कर रहा है, उसकी कीमत फिलहाल 49 डॉलर प्रति बैरल के रेट पर जा पहुंची है। साफ है कि इससे भारत को बड़ा फायदा मिलने की संभावना है। कई अधिकारियों और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि भारत के सामने रूसी तेल की शिपिंग आदि का भी कोई मसला नहीं है। वह पश्चिमी देशों के क्रूज पर इसके लिए निर्भर नहीं है। इसलिए उसे सस्ते में तेल की उपलब्धता बनी रहेगी। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने तय किया है कि रूस से 60 डॉलर प्रति बैरल से अधिक दाम में तेल खरीदने वालों को वे शिपिंग और इंश्योरेंस की सुविधा नहीं देंगे। इसे लेकर एक जानकार ने कहा कि भले ही पश्चिमी देश पाबंदियां लगा रहे हैं, लेकिन वे भी नहीं चाहते कि रूसी तेल का कोई खरीददार न रहे। ऐसा होने पर बाजार में बहुत ज्यादा अस्थिरता हो जाएगी।
सिर्फ अपने फायदे की सोच रहे पश्चिमी देश
पश्चिमी देश रूसी तेल पर प्राइस कैप क्यों लगा रहे हैं, इसपर जानकारों का कहना है कि, रूसी तेल की कीम कीमत तय किये जाने पर शायद पुतिन सरकार तेल उत्पादन में कटौती के लिए राजी हो जाए। फिलहाल सऊदी अरब के साथ मिलकर रूस ने तेल उत्पादन में तेजी बनाए रखने का फैसला लिया है। यूरोप को उम्मीद है कि प्राइस कैप लगाने से रूस तेल का उत्पादन कम कर देगा और इससे वैश्विक स्तप पर तेल की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी, जिसका सीधा फायदा उनको होगा। सिर्फ इतना ही नहीं पश्चिमी देश रूस के साथ दूसरे देशों को कारोबार करने से भी रोक सकेंगे।