पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित होने से एक बार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने बचा लिया था, लेकिन इस बार पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित होने से कोई नहीं बचा सकता। यहां तक कि पाकिस्तान का आयरन फ्रेंड चीन भी हथेली नहीं लगा पाएगा। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि यूरोपियन पार्लियामेंट के कई सांसदों ने पाकिस्तान पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और यूरोप हो रहे आतंकी हमलों में पाकिस्तान शामिल होने की जांच कराने की मांग बहुत मजबूती से उठाई है। यूरोपीय संसद के सदस्य थिएरी मारियानी, लेचॉटीक्स, वर्जीनी जोरोन, फ्रांस जेमेट ने यूरोपिएन कमीशन के चेयरपर्सन उर्सला वॉन डेर लेयन को लिखी चिट्ठी के तरीके के पता चलता है कि यूरोपिएन यूनियन पाकिस्तान के आतंकी रुख से बेहद नाराज है। इन चार सांसदों के अलावा यूरोपिएन पार्लियामेंट के कुछ अन्य सांसदों ने भी यूरोपिएन कमीशन और यूरोपिए एक्स्ट्रनल एक्शन सर्विस से पाकिस्तान सरकार की भर्त्सना करने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है।
दरअसल, पाकिस्तानी संसद में पाकिस्तान के साइंस टेक्नोलॉजी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में भारतीय सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमलों को पाकिस्तान (इमरान) सरकार की सफलता करार दिया था। यूरोपिएन यूनियन के सांसदों ने कहा है कि फवाद चौधरी के बयान के बाद साबित हो चुका है कि पुलवामा में आतंकी हमला पाकिस्तान का स्टेट स्पॉन्सर टेररिज्म था। पाकिस्तान ही टेररिज्म का स्पॉन्सर है। पाकिस्तान सरकार अब इससे इनकार नहीं कर सकती कि आतंकवाद से उसका कोई संबंध नहीं है। पाकिस्तान के आतंकवादी नॉन स्टेट एक्टर्स नहीं बल्कि पाकिस्तानी आतंकवाद, स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म है।
इससे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान खुद भी ओसामा बिन लादेन के संसद के भीतर 'शहीद' का दर्जा दे चुके हैं। अब उन्हीं मंत्री फवाद चौधरी ने संसद की कार्रवाई के खुलासा किया है कि पुलवामा हमला पाकिस्तान सरकार की साजिश थी। यहां, यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि अरमेनिया और अजरबेजान के बीच हो रही जंग में तुर्की ने सीरियाई आतंकियों और पाकिस्तान ने अपने प्रशिक्षित आतंकियों को अजरबेजान की मदद करने भेजा है। इन भाड़े के इन आतंकियों की जंग के मैदान की तस्बीरें दुनिया ने देखी हैं।
यूरोपिएन पार्लियामेंट के सांसदों ने एक और गंभीर सवाल उठाया है। वो यह है कि यूरोप में एकाएक बढ़े आतंकी हमलों में पाकिस्तानी हाथ होने की शंका है। यह भी समझा जा रहा है कि आतंकी वारदात में पाकिस्तानी सरकार के शामिल होने सनसनीखेज खुलासे के बाद यूरोपिएन यूनियन पाकिस्तान के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपना सकता है। यूरोपिएन यूनियन पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद को तत्काल रोकने पर भी विचार के साथ कुछ और प्रतिबंध लगा सकता है।.
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