सऊदी अरब (Saudi Arab) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने चीन को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, सऊदी अरब कट्टर दुश्मन इजरायल के साथ दोस्ती करने के बदले में अमेरिका के साथ नाटो जैसा एक सैन्य समझौता करने जा रहा है। इस समझौते के तहत सऊदी अरब की रक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका लेगा। सऊदी अरब से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि यह समझौता तब भी होगा, भले ही इजरायल फिलिस्तीनियों को राज्य का दर्जा पाने के लिए बड़ी रियायतें न दे। इसे सऊदी अरब और अमेरिका के संबंधों में एक बड़ा उछाल माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब और अमेरिका के बीच होने वाला रक्षा समझौता कुछ हद तक नाटो की तरह होगा। सऊदी अरब ने इस तरह के समझौते के लिए जुलाई 2022 में अमेरिका के सामने मांग रखी थी। तब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) सऊदी अरब के दौरे पर आए थे और उनकी पहली बार क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात भी हुई थी। एक अमेरिकी सूत्र ने कहा कि यह ऐसा लग सकता है कि अमेरिका ने एशियाई देशों के साथ संधि की है।
सऊदी अरब को गैर-नाटो का दर्जा देगा अमेरिका
अमेरिकी सूत्र ने कहा है कि अमेरिका, सऊदी अरब को एक प्रमुख गैर नाटो सहयोगी के तौर पर नामित कर किसी भी समझौते को मधुर बना सकता है। हालांकि, अमेरिका ने इजरायल को यह दर्जा पहले ही दिया हुआ है। बताया जा रहा है कि अगर सऊदी अरब को अपने तेल साइटों पर 14 सितंबर 2019 की तरह मिसाइल हमलों का सामना करना पड़ा तो वह अमेरिकी सुरक्षा के बाध्यकारी आश्वासन से कम पर समझौता नहीं करेगा। इस हमले ने पूरी दुनिया में तेल बाजार को हिलाकर रख दिया था। सऊदी अरब-इजरायल समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मध्य पूर्व में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। सऊदी अरब (Saudi Arab) इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थलों का संरक्षक है और वहीं इजरायल दुनिया का एकमात्र यहूदी राष्ट्र है। ऐसे में इन दोनों देशों के बीच दोस्ती को जो बाइडन आगामी चुनावी वर्ष में एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर प्रस्तुत करना चाहते हैं।
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सऊदी-अमेरिका दोस्ती से चीन को क्या नुकसान
चीन की कोशिश मध्य पूर्व के सबसे बड़े खिलाड़ी सऊदी अरब को अपने पाले में करने की थी। इसके लिए चीन ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता भी कराया था। इसके बावजूद सऊदी अरब, ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरे के तौर पर देखता है। कुछ दिनों पहले ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार विकसित किए तो उनका भी देश इसे पाने से पीछे नहीं हटेगा। चीन की चाल खुद को मध्य पूर्व का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनाने की भी थी, क्योंकि आधे से अधिक दुनिया ऊर्जा के लिए इसी क्षेत्र पर निर्भर है।
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