कई देशों के सांसद उइगर नरसंहार पर चीन को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय में घसीटने के समर्थक

अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के मुख्य अभियोजक से दुनिया भर के सांसदों के एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन से आग्रह किया है कि वह चीन के खिलाफ उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के नरसंहार की एक शिकायत को स्वीकार करे। 16 देशों के 60 से अधिक सांसदों ने अपनी शिकायत में कहा है कि चीनी सरकार उइगर और अन्य तुर्क लोगों के नरसंहार और मानवता के खिलाफ दूसरे अपराध कर रही है।

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना <strong>अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय</strong> (आईसीसी) समझौते का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। लेकिन सांसदों ने अपने दावे में कहा कि आईसीसी ने पहले ही यह फैसला सुनाया है कि आईसीसी समझौते में शामिल देश में शुरू किए गए अपराध, उसके क्षेत्राधिकार में आते हैं। इस मिसाल को 2019 में म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ अपराधों से जुड़े एक मामले में लागू किया गया था।

सांसदों के पत्र में दावा किया गया है कि उइगरों का बड़े पैमाने पर निर्वासन ताजिकिस्तान और कंबोडिया में हुआ है, दोनों आईसीसी के हस्ताक्षरकर्ता देश हैं। इस हिसाब से चीन को आईसीसी में घसीटा जाना चाहिए। आईसीसी के मुख्य अभियोजक फतौ बेन्सौडा को भेजे गए इस दावे को अमेरिका में जो बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से मानवाधिकार मुद्दे पर आरंभिक परीक्षण मामले के रूप में देखा जा रहा है।

ब्रिटेन के कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व नेता सर इयान डंकन स्मिथ,ऑस्ट्रेलियाई लेबर सीनेटर किम्बरली किचिंग और जर्मन ग्रीन पार्टी की मार्गरेते बॉस सहित कई देशों के सांसदों का इस याचिका को व्यापक सर्वदलीय समर्थन हासिल हुआ है। आईसीसी में इस दावे को <strong>इंटर पार्लियामेंटरी एलायंस ऑफ चाइना</strong> (IPAC) ने लाने का संगठित प्रयास किया है।

<img class="wp-image-17392" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/Ughurs-in-Chinese-detention-camps.jpg" alt="Ughurs in Chinese detention camps" width="492" height="295" /> चीनी नजरबंदी शिविरों में उइगर

IPAC के पत्र में कहा गया है, “आईसीसी के पास कथित नरसंहार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवता के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाने की एक अद्वितीय क्षमता है। हम आईसीसी से यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका निभाने का आह्वान करते हैं कि मानवाधिकारों के सबसे ज्यादा हनन के अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाता रहे और उन्हें अपराधी व्यवहार करने से रोका जाता रहे।”

IPAC सह-अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय बार एसोसिएशन के मानवाधिकार संस्थान की निदेशक, हेलेना कैनेडी क्यूसी ने कहा, “साक्ष्य बताते हैं कि शिंजियांग क्षेत्र में उइगरों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बहुत भयावह अपराध किए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत को अपने सामने लाए गए आरोपों की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए और जरूरी है कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।”

आईपीएसी की आईसीसी मे की गई शिकायत के लिए दुनिया भर के सांसदों द्वारा दिया गया समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। आईसीसी के सदस्य राज्यों के इतने सारे सांसदों का मानना ​​है कि उइगर और अन्य तुर्क लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के लिए चीनी सरकार के अधिकारियों की जांच को शुरू किया जाना चाहिए।

सांसदों ने कहा कि लंबे समय से चीनी सरकार के हाथों रोजाना पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। यह एक सफलता और महत्वपूर्ण अवसर है जिस पर हम बिना किसी देरी के आगे बढ़ाने के लिए आईसीसी अभियोजक से आग्रह करते हैं। इस अवसर को गंवाया नहीं जाना चाहिए।

<img class="wp-image-17393" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/Uyghur-muslims-300×205.jpg" alt="Uyghur muslims" width="432" height="295" /> उइगर मुस्लिम मामला डोनॉल्ड ट्रम्प की हार के बाद से नए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण के माहौल में आईसीसी के लिए एक प्रारंभिक परीक्षा है।

यह मामला डोनॉल्ड ट्रम्प की हार के बाद से नए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण के माहौल में आईसीसी के लिए एक प्रारंभिक परीक्षा है। ट्रम्प ने आईसीसी के मुख्य अभियोजक और एक अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की अदालत में अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाइयों और फिलिस्तीन में इजरायली कार्रवाइयों की जांच करने पर प्रतिबंध लगाए थे।

आईसीसी ने पाया कि अत्याचार के उन आरोपों के बारे में सुनने के लिए एक प्रारंभिक मामला तो बनता था, जो कि अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में गुप्त हिरासत स्थलों पर किए थे। बाइडेन के सलाहकारों ने आईसीसी कर्मचारियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध किया था। हालांकि यह संभावना है कि वह अमेरिकी नागरिकों पर आईसीसी जांच का विरोध करना जारी रखेंगे।

तत्कालीन अमेरिकी अटॉर्नी जनरल विलियम बर्र ने कहा था कि अमेरिकी सरकार के पास आईसीसी की ईमानदारी पर संदेह करने का कारण था और इसे "अंतर्राष्ट्रीय अभिजात वर्ग द्वारा नियुक्त एक गैर-कानूनी राजनीतिक उपकरण" बताया था।

2002 में संयुक्त राष्ट्र की एक संधि द्वारा निर्मित आईसीसी ने नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की है और उनको न्याय के कटघरे में ले आया। आईसीसी ने उन सभी जगहों पर मामलों में हस्तक्षेप और जांच किया है, जब राष्ट्रीय अधिकारी ऐसे मानव अपराधों पर मुकदमा चलाने के अनिच्छुक रहे हैं।.

डॉ. शफी अयूब खान

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