नेपाल में चोट खाया चीन अब भारत को किसी नए मोर्चे पर घेरने की तैयारी भले ही कर रहा हो लेकिन एशिया के देशों इस समय शी जिनपिंग बुरी तरह फजीहत हुई है। चीन को पहली चोट मालदीव में मिली। अरबों डालर कर्ज के जाल में इस समुद्री देश को फांस कर चीन भारत को घेरना चाहता था। लेकिन भारत की कूटनीति और परस्पर सहयोग के कारण मालदीव ने चीन की चकाचौंध से बाहर आना ही मुनासिब समझा। चीनी राष्ट्रपति की साजिशों का परमानेंट इलाज ढूंढ़ने के लिए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली दिल्ली आ रहे है।
इसी तरह हिंद महासागर में तटस्थ रहने के साथ ही पहले भारत के हितों की रक्षा का ऐलान कर श्रीलंका ने दूसरा झटका दिया। बांग्लादेश ने भी चीन के कर्ज को सीधे स्वीकारने से इंकार नहीं किया बल्कि चीनी वैक्सीन को अपने खर्चे पर ट्रायल कराने से मना कर दिया। विएतनाम ने भारत के साथ सैन्य और व्यापार समझौते से भी चीन को धक्का लगा है। ताईवान और भारत के मजबूत होते से सम्बंधों से शी जिनपिंग पहले ही दुखी थे, कि म्यांमार और थाईलैण्ड ने ऐसा झटका लगा कि चीन साउथ चाइना सी पर अखण्ड राज का सपना ही चकनाचूर हो गया।
दुनिया पर लाल परचम फहराने का सपना देख रहे शी जिनपिंग के हाथ में नेपाल ऐसा मोहरा था जिसको इस्तेमाल कर वो भारत पर दोहरा दबाव बना सकते थे। इसीबात की तैयारी शी जिनपिंग पिछले कई सालों से कर रहे थे। पिछले तीन सालों में उन्होंने काफी कुछ सफलता हासिल भी कर ली थी। लेकिन वक्त ने पलटी खाई और ओली ने चीन के सामने झुकने से इंकार कर दिया। चीन की खूबसूरत और बेहद तेज-तर्रार राजदूत होऊ यांकी के जाल में पीएमओ, राष्ट्रपति भवन से लेकर नेपाली कांग्रेस और ओली के प्रतिद्वंदी नेताओं तक सब से सब फंसे नजर आ रहे थे। पिछले तीन महीनों में भारत की सक्रिए कूटनीति ने न केवल होऊ यांकी के जाल को काटा बल्कि नेपाल को भावी खतरों से सावधान भी किया।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने ओली को भारत की नेकनीयती पर भरोसा दिलाया और ताबूत में आखिरी कील की तरह चीन से भेजे गए विशेष दूत गोऊ झोऊ को भी खाली हाथ और मुंह लटकाए वापस जाना पड़ा। अब प्रदीप ज्ञवली नेपाली पीएम ओली के विशेष दूत बन कर दिल्ली आने वाले हैं।
अब नेपाली पीएम के खास दूत विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। नेपाली विदेश मंत्री ने भी खुद इसकी पुष्टि की है कि वह अगले महीने भारत की यात्रा पर जा रहे हैं। काठमाण्डू में शी जिनपिंग की शिकस्त के बाद प्रदीप  ज्ञवली दिल्ली यात्रा काफी अहम मानी जा रही है।
ज्ञवली ने नेपाली मीडिया से कहा है कि 'मैं जनवरी में नई दिल्‍ली जा रहा हूं लेकिन अभी इस यात्रा की तिथि निर्धारित नहीं हुई है।' सूत्रों के मुताबिक नेपाली विदेश मंत्री 13-14 जनवरी या 14-15 जनवरी को भारत की यात्रा पर जा सकते हैं। ज्ञवली नेपाल-भारत जॉइंट कमिशन के छठें दौर की यात्रा का प्रतिनिधित्‍व करेंगे। भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय मुद्दों के हल के लिए यह सबसे महत्‍वपूर्ण तंत्र है। इस बैठक के अलावा के अलावा ज्ञवली भारतीय नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं।.
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