नेपाल-भारत द्विपक्षीय सुरक्षा बैठक से लाल हुआ चीन! दोनों देशों ने इस मुद्दे पर की अहम चर्चा

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नेपाल के लिए भारत का दिल हमेसा से उदार रहा है और नेपाल भी हमेसा भारत संग अपनी दोस्ती को बनाए रखने की पूरजोर कोशिश की है, वो अलग बात है कि चीन के दाबव में आने के बाद ओली सरकार भारत के खिलाफ चले गए हालांकि, बाद में उन्हें जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो वो वापस भारत संग दोस्ती का हाथ बढ़ा दिए। इसके साथ ही नेपाल की वर्तमान सरकार भी लगातार भारत संग अपने रिश्ते को मजबूत करती हुई नजर आ रही है जिसका असर पड़ोसी मुल्क चीन में नजर आ रहा है। नेपाल और भारत संग बढ़ती दोस्ती से चीन परेशान है। फिलहाल सुरक्षा मामलों पर 14वें भारत-नेपाल द्विपक्षीय परामर्श समूह की बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई और दोनों देशों ने इस दौरान कई अहम फैसले लिए हैं।</p>
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इस बैठक में दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण और रक्षा बलों के क्षमता निर्माण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। यह बैठक बृहस्पतिवार को शुरू हुई थी। नेपाली सेना की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई। द्विपक्षीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर लगातार चर्चा जारी रखने के मकसद से भारत-नेपाल द्विपक्षीय परामर्श समूह की स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी।</p>
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नेपाल सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, बेंगलुरु में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने भारत-नेपाल के बीच सुरक्षा संबंधी मसलों पर नियमित चर्चा करने को लेकर बात की। वहीं, भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (उत्तर) अनुराग श्रीवास्तव ने किया जबकि नेपाली शिष्टमंडल का नेतृत्व नेपाल के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (दक्षिण एशिया) तीर्था राज वागले ने किया। इस शिष्टमंडल में दोनों देशों के रक्षा, विदेश एवं गृह मामलों के मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। इसमें भारतीय सेना और नेपाली सेना के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।</p>
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आईएन ब्यूरो

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