अंतर्राष्ट्रीय

उभर रहा भारत तो पिछड़ रहा चीन! बुरी तरह फंसा पड़ोसी देश, जिनपिंग से मिलकर क्‍या करेंगे प्रचंड?

भारत के साथ मजबूत होते रिश्‍तों के बीच नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। पीएम प्रचंड की चीन के राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्‍य नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है। प्रचंड 23 सितंबर से 30 सितंबर तक चीन में रहेंगे। प्रचंड का यह चीन दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब नेपाल और भारत के बीच रिश्‍ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। नेपाली व‍िशेषज्ञों के मुताबिक आज का भारत लगातार तरक्‍की कर रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन गया है। यही नहीं चीन को घेरने के लिए अमेरिका अब भारत के साथ लगातार रिश्‍ते मजबूत कर रहा है। भारत ने चंद्रयान-3 को उतारकर चीन को अपनी बढ़ती ताकत का अहसास कराया है। काठमांडू पोस्‍ट में लिखे अपने लेख में प्रज्ञा घिमिरे कहती हैं कि इन सबके बीच चीन की विकास दर अब गिर रही है और बेरोजगारी की दर भी 21 प्रत‍िशत तक पहुंच गई है। यही नहीं चीन का बीआरआई भी दुनिया में अब अपनी चमक खो रहा है। भारत और चीन में आ रहे इस बदलाव के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले प्रचंड भारत की यात्रा पर गए थे। नेपाल प्रधानमंत्री के इन दौरों को एक तरीके से माना जाता है कि यह संतुलन बनाने की कोशिश है।

चीन ने बदला रुख, नेपाल संग बढ़ा तनाव

प्रज्ञा ने कहा कि साल 2015 में भारत के नाकाबंदी करने के बाद नेपाल ने चीन के साथ रिश्‍ते मजबूत करने शुरू किए थे। नेपाल ने चीन के बीआरआई (BRI) समझौते पर हस्‍ताक्षर भी किया। साल 2019 में चीन के राष्‍ट्रपति भारत के बाद नेपाल की यात्रा पर भी गए थे। इन सबके बाद भी नेपाल और चीन के बीच जो जिन‍ समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुआ था, उन्‍हें लागू नहीं किया जा सका है। उन्‍होंने कहा कि चीन और नेपाल के बीच रिश्‍ता न तो अच्‍छा हो रहा है और न ही खराब हो रहा है। इसकी वजह राजनीतिक ह‍िचक है। इस तरह की स्थिति सबसे पहले केपी ओली सरकार के दौर में शुरू हुई जब वह अपनी सरकार को बचाने के लिए भारत के साथ रिश्‍ते सुधार रहे थे।

ये भी पढ़े: Nepal में असफल हो गया China का BRI! इतने साल बाद भी आगे नहीं बढ़ा प्रोजेक्ट, जानें क्‍यों बौखला रहा ड्रैगन

इसके बाद शेर बहादुर देउबा और प्रचंड की गठबंधन सरकार बनी तो उसने भी चीन के साथ र‍िश्‍तों को बहुत तवज्‍जो नहीं दिया। नेपाली पीएम देउबा को डर था कि इससे भारत के साथ नेपाल का व‍िश्‍वसनीय रिश्‍ता खटाई में पड़ जाएगा। इसके बाद चीन ने अपना रुख बदल लिया और नेपाल के वामदलों को एक करने की कोशिश शुरू कर दी। इससे नेपाली कांग्रेस के साथ चीन के रिश्‍ते खराब हो गए। यही नहीं चीन ने एकतरफा ऐलान कर दिया कि पोखरा एयरपोर्ट बीआरआई का हिस्‍सा है। हाल ही में चीन के राजदूत ने भी भारत और नेपाल के खिलाफ बहुत विवादित बयान देकर माहौल को और खराब कर दिया है। अब प्रचंड की यात्रा पर दुनिया की नजरें रहेंगी।

आईएन ब्यूरो

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