नेपाल और चीन (Nepal and China) के बीच बीआरआई प्रॉजेक्ट को लेकर जमकर बवाल मचा हुआ है। चीन इस समय बीआरआई को लेकर एक बड़ा सम्मेलन करने जा रहा है। वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड इस महीने की 23 तारीख को चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। ऐसे में नेपाल पर भारी दबाव रहेगा। वैसे नेपाल के प्रधानमंत्री की यह चीन यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब दोनों देशों के बीच बेल्ट एंड रोड परियोजना या बीआरआई को लेकर विवाद बढ़ गया है। माना यह भी जा रहा है कि प्रचंड की चीन यात्रा के दौरान बीआरआई का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहेगा। प्रचंड ऐसे समय पर चीन जा रहे हैं जब चीन बीआरआई के 10 साल पूरे होने पर 90 देशों के साथ शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है। वहीं प्रचंड के लिए चीन की बीआरआई चाल से बचना बहुत मुश्किल होगा। वहीं प्रचंड की इस चीन यात्रा पर भारत और अमेरिका की भी नजरें टिकी रहेंगी।
दरअसल, नेपाल और चीन के बीच BRI को लेकर 6 साल पहले समझौता हुआ था, लेकिन अभी तक एक प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हुआ है। वहीं चीन का दावा है कि नेपाल का पोखरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बीआरआई का हिस्सा है। वहीं नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सौद ने साफ किया है कि देश में अभी तक बीआरआई की एक भी योजना शुरू नहीं हुई है। नेपाली विदेश मंत्री के इस ऐलान से चीन बौखला गया है और काठमांडू में चीनी राजदूत भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। नेपाल को भारत संग रिश्तों पर चेतावनी दे रहे हैं और चीन के बीआरआई को नेपाल के लिए अच्छा बता रहे हैं।
ये भी पढ़े: फेल हो गया Jinping का BRI प्रोजेक्ट! कोई भी देश शामिल होने को नहीं है तैय्यार
चीन BRI को लेकर फंसा
चीन का बीआरआई प्रॉजेक्ट दुनियाभर में अपनी चमक खो चुका है और पाकिस्तान, श्रीलंका तथा कई अफ्रीकी देश चीन के कर्जजाल में बुरी तरह से फंस चुके हैं। वहीं चीन अब बीआरआई की छवि को चमकाने की कोशिश में जुट गया है। इसी के तहत नेपाल में चीन ने बीआरआई 2.0 के तहत सिल्क रोडस्टर प्रोग्राम शुरू किया है। इसके तहत अब नेपाली जनता और अन्य एशियाई देशों में चीन की अच्छी छवि बनाने की कोशिश की जा रही है।
चीन के BRI से क्यों दूर है नेपाल
दरअसल, नेपाल को चीन के बीआरआई प्रॉजेक्ट की फंडिंग के तरीके को लेकर बड़ी दुविधा है। बीआरआई के तहत चीन लोन देता है और उसी से अरबों डॉलर के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट अंजाम दिए जाते हैं। इसमें ग्रांट का कोई प्रावधान नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन जिन देशों को लोन देता है, उनसे 4.2 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूलता है। यही नहीं कर्ज चुकाने के लिए ग्रेस पीरियड मात्र दो महीना है और इन्हें मात्र 10 साल के अंदर लौटाना होता है। वहीं विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक अधिकतम 1.3 प्रतिशत ही ब्याज लेते हैं। यही नहीं इन लोन को चुकाने के लिए समयावधि भी काफी लंबी होती है। यही वजह है कि नेपाल चीन से महंगे ब्याज दर पर लोन लेने से बच रहा है। नेपाल को डर सता रहा है कि चीन से लोन कहीं उसका भी हाल श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह से न हो जाए जो चीनी कर्ज से बर्बाद हो चुके हैं।
ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…
मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…
हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…
इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…
Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…
The Kashmir Files के डायरेक्टर पर बॉलीवुड अदाकारा आशा पारेख बुरी तरह बिफर गई। विवेक…