चीन (China) के दौरे पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने बड़ा ऐलान किया है। पीएम प्रचंड ने चीनी नेतृत्व को साफ-साफ कह दिया है कि उनका देश चीन के सैन्य गठबंधन ग्लोबल सिक्यॉरिटी इनिशिएटिव या जीएसआई में शामिल नहीं होगा। चीन के जीएसआई को एशियाई नाटो कहा जाता है जो वह भारत, अमेरिका की सदस्यता वाले क्वॉड को टक्कर देने के लिए बना रहा है। चीन लगातार दबाव डाल रहा है कि नेपाल भी इस जीएसआई का हिस्सा बने। वहीं भारत के पड़ोसी दोस्त देश नेपाल ने साफ कह दिया है कि वह किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अब चीन ने जबरन पीएम प्रचंड और चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ मुलाकात के बाद आज जारी होने वाले बयान में इसे शामिल करने पर कोशिश तेज कर दी है, वहीं नेपाली नेतृत्व इसको लेकर भ्रम की स्थिति में है। इससे पहले प्रचंड ने साफ कर दिया था कि उनका देश किसी भी सुरक्षा से जुड़े गठबंधन में शामिल नहीं होगा। उन्होंने चीन के बीआरआई के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा था कि चीन जीएसआई, जीसीआई और जीडीआई में शामिल होने के लिए जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के ग्लोबल डिवलपमेंट इनिशिएटिव में शामिल होने पर कोई दिक्कत नहीं है।
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चीन जीएसआई को लेकर नेपाल पर डाल रहा दबाव
प्रचंड ने इस इंटरव्यू में कहा था, ‘हम सुरक्षा से जुड़े मुद्दों में नहीं जा सकते हैं। यह हमारी नीति रही है कि किसी के पक्ष में नहीं जाना है। हमारी गुट निरपेक्षता की नीति रही है। वहीं दूसरी तरफ हम कह रहे हैं कि अमेरिका की हिंद प्रशांत नीति सुरक्षा पहल का हिस्सा है। अगर अमेरिकी पहल में शामिल नहीं हो रहे हैं तो दूसरे में भी शामिल नहीं हो सकते हैं।’ इस बयान के एक दिन बाद प्रचंड ने पलटी मारी और शनिवार को शी जिनपिंग के साथ मुलाकात के बाद विवादित बयान दे दिया। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि नेपाल शी जिनपिंग के प्रमुख महत्वपूर्ण पहलों को अपना समर्थन देता है।
साल 2013 में शी जिनपिंग (Xi Jinping) के चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने बीआरआई, जीडीआई, जीएसआई और जीसीआई जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं। चीन चाहता है कि नेपाल पूरा खुलकर इसे अपना समर्थन दे। अब चीन के विदेश मंत्रालय के दावे से नेपाली पीएम के पहले के बयान पर सवाल उठने लगे हैं। नेपाल के एक अधिकारी ने बीजिंग से कहा, ‘चीन संयुक्त बयान में जीएसआई और जीसीआई को लेकर कुछ शामिल कराना चाहता है लेकिन हमने इस पर आपत्ति जताई है।’ नेपाली अधिकारी ने कहा कि हम चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि सुरक्षा और रणनीतिक गठजोड़ से जुड़े किसी भी पहलू को संयुक्त बयान में शामिल नहीं किया जाए। हम जीएसआई का हिस्सा नहीं बनने जा रहे हैं और इस दिशा में कोई वादा भी नहीं करेंगे।’ नेपाल के इस कदम से चीन खुश नहीं है।
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