Nepal ने कहा PM Modi ने हमें बचा लिया! वरना China कर देता पाकिस्तान और श्रीलंका के जैसे हालत

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दुनिया के कई देश चीन से परेशान हैं। खासकर वो देश जो इससे लगती सीमा साझा करते हैं। भारत की भी सीमा चीन से लगती है और गलवान वैली में फिचले साथ चीन ने अपनी बुरी चाल चलते हुए यहां घुसपैठ करने की कोशिश की जिसका भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इसके साथ ही नेपाल में तो चीन काफी अंदर घुस गया है। ताइवान पर लगातार कब्जा करने की फिराक में है। समुद्र में भी यही हाल है। अब जो दिश इससे सीमा साझा नहीं करते वो इसके कर्ज जाल में फंस रहे हैं। इस वक्त पाकिस्तान और श्रीलंका इसके उदाहरण हैं। श्रीलंका में जो हाल है वो चीन का ही दिया हुआ है और पाकिस्तान को भी इस हाल में करने में ड्रैगन का हाथ रहा है।</p>
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नेपाल छोटा देश है और भारत लगातार नेपाल की मदद करता रहा है। देश में कोई भी आपदा आई हो भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा होता है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी ओली के समय में भारत और नेपाल के संबंध में थोड़ी दरारें पड़ गई थी। इसका कारण था ओली का चीन प्रेमी। लेकिन, शेर बहादुर देउबा की सरकार के बाद दोनों देशों के रिश्तों में फिर से सुधार आई है और पहले जैसे हो गई है। अभी हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपने भारत दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रेधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने मिलकार नेपाल में रुपे कॉर्ड लॉन्च किया और साथ ही गांधीनगर से नेपाल जाने वाली ट्रेन का भी उद्घाटन किया। इसी दौन देउबा ने एक खुलासा किया कि, चीन अपनी कर्ज जाल में उन्हें भी फंसाने की कोशिश किया था लेकिन वो बच गए। अगर वो चीन के जाल में फंस गए होते तो पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे नेपाल के भी हालात होते।</p>
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चीन के कर्ज जाल की साजिश नेपाल को अच्छे समझ आ गई है जिसके चलते उसने बेल्ट रोड इनिशिएटिव (BRI) को लेकर एक भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इस बात का खुलासा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउब ने पिछले हफ्ते अपने भारत दौरे के दौरान किया। उन्होंने अनौपचारिक रूस से मार्च के अंत में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की काठमांडू यात्रा के दौरान हुई बातचीत को शेयर करते हुए कहा कि, उन्होंने वांग से कहा कि, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए उनका देश केवल बीजिंग से अनुदान स्वीकार कर सकता है, न कि कर्ज। दक्षिण एशिया में चीन द्वारा दिए जाने वाला कर्जा 4.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 40 बिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है। ऐसे में देउबा के नेतृत्व में नेपाल ने चीन के कर्ज जाल से बचने का फैसला किया है। नेपाल को सबसे बड़ी सचेतता चीन के दो सहयोगी माने जाने वाले मुल्क पाकिस्तान और श्रीलंका से मिली। जहां आर्थिक के साथ ही राजनीतिक संकट भी गहरा रहा है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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