नेपाल में दौड़ेगी भारत की रेल और चीन की छाती पर लोटेगा सांप!

भारत के साथ सुधरते रिश्तों के बीच नेपाल (Nepal)  ने चीन के कई प्रोजेक्ट्स को ठण्डे बस्तों में डाल दिया है। चीन नेपाल  (Nepal) में 300 मिलियन डॉलर का बड़ा निवेश कर रहा है। इन निवेश में सुदूर तिब्बत को भारत बॉर्डर पर स्थित लु्म्बनी को रेल मार्ग से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट भी शामिल है। शी जिनपिंग के अतिमहत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में से एक इस प्रोजेक्ट को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। चीन अपने मंसूबों को नेपाल (Nepal) में पूरे करने के लिए नेपाल की ओली सरकार पर साम-दाम दण्ड भेद हर तरह से दवाब बना रहा है। लिपुलेख में नेपाली जमीन पर कब्जे करने की खबरें अगर मीडिया में न आई होतीं तो शायद नेपाल सरकार की आंखें भी नहीं खुलतीं। हालांकि नेपाल (Nepal) सरकार की आंखें खोलने वाली पर्दे के पीछ चल रहीं अन्य गतिविधियां भी हैं।

चीन ने <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/nepal-pro-monarchy-protests-are-return-on-streets-upsets-oli-20547.html"><strong>नेपाल</strong> </a>में रेलवे प्रोजेक्ट्स में कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाते हुए सितंबर महीने तक महीने तक कई सर्वेक्षण करा डाले थे। इन सर्वेक्षणों के बाद नेपाली सरकार की अनुमति बाकी थी। नेपाल के विदेश मंत्रालय और भूतल मंत्रालय ने चीन के साथ रेल मार्ग से होने वाले व्यापार पर भी एक स्टडी कंडक्ट करवाई। इस स्टडी की रिपोर्ट चौंकाने वाली थीं। इस स्टडी में बताया गया कि रेल मार्ग से आने वाली चीजें भारत के मुकाबले काफी मंहगी होंगी फिर भी नेपाल के घरेलू बाजार में चीन के सामान की बहुतायत हो जाएगी। नेपाल पर टैक्स फ्री आयात का दवाब बढ़ जाएगा। नेपाल में उद्योग धंदे पहले ही न के बराबर हैं। चीनी अतिक्रमण से जो हैं वो भी खत्म हो जाएंगे।

इस स्टडी में सबसे ज्यादा खतरा नेपाली संस्कृति पर बताया गया। स्टडी में कहा गया है कि चीन की ओर से आने वाली रेल लाइन से केवल चीनी वस्तुएं ही नेपाल के स्थानीय बाजार पर हमला नहीं करेंगी बल्कि सांस्कृति हमला भी बढ़ सकता है। भारत के साथ नेपाल के सदियों पुराने सांस्कृतिक-सामाजिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। इसके बावजूद नेपाल की अलग पहचान बनी हुई है। चीन के साथ सम्पर्क और संबंध बढ़ने पर इसके विपरीत हो सकता है।

इस स्टडी के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने ऐसे सभी प्रोजेक्ट्स को ठण्डे बस्ते में डाल दिया जिनसे सांस्कृतिक अतिक्रमण की आशंका उत्पन्न हो सकती है। चीन के रक्षा मंत्री वी फेंगहे ने नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Pradeep_Kumar_Gyawali"><span style="color: #000080;"><strong>प्रदीप कुमार ज्ञवाली</strong></span></a> से इस विषय में भी चर्चा की थी। ध्यान रहे, प्रदीप कुमार ज्ञवाली ही वो शख्स हैं जिनके प्रयास से नेपाल और भारत के संबंध फिर से सामान्य होने की दिशा में बढ़ रहे हैं। भारत के विभिन्न राजनयिकों और अन्य अफसरों के अलावा इंडियन आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे की नेपाल यात्रा से भी संबंध में सुधार आया है।

वहीं, नेपाल की आवश्यकता और भारत सामरिक व रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए भारत ने नेपाल के साथ दो रेल लिंक शुरू पर तेजी से काम शुरू कर दिया हैं। पहला बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक है और दूसरा यूपी बॉर्डर के रक्सौल से काठमाण्डू को जोड़ने का है। इसके अलावा चार अन्य रेल लिंक्स पर काम चल रहा है। नवम्बर के आखिरी सप्ताह में भारत और नेपाल के अधिकारियों रेल प्रोजेक्ट की वर्चुअल समीक्षा भी की थी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञवाली के दिल्ली आने पर कुछ और नए समझौतों के ऐलान की संभावना है।

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सतीश के. सिंह

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