<a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Supreme_Court_of_Nepal"><strong><span style="color: #333399;">नेपाल की सुप्रीम कोर्ट</span></strong></a> में एक ओर संसद भंग किए जाने के मामले की सुनवाई चल रही है और संविधान पीठ ने को शो कॉज नोटिस जारी किया है तो वहीं पीएम ओली इन सब की परवाह किए बिना मंत्रीमण्डल (Oli Cabinet Reshuffle) को सजा-संवार रहे हैं। ओली का यह अंदाज उन लोगों के लिए चिंता का सबब बन सकता है जो न्यायालय से संसद को बहाल किए जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
प्रधानमंत्री ओली ने हृदयेश त्रिपाठी को स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया है। त्रिपाठी पहले संघीय मामलों के मंत्री थे। स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त ढकाल को पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इससे पहले योगेश भट्टाराई पर्यटन मंत्री थे। उन्होंने संसद के विघटन के बाद इस्तीफा दे दिया। कृष्ण गोपाल श्रेष्ठ को शिक्षा मंत्री के रूप में लाया गया है। गिरिराज मणि पोखरेल ने शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रभु साह को शहरी विकास मंत्रालय का प्रभारी बनाया गया है। पद्म आर्यल को कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। घनश्याम भुसाल कृषि मंत्रालय में मंत्री थे। महिला और बाल मंत्री लीलानाथ श्रेष्ठ को कानून मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। शिवमया तुंगभंगफे, जो कानून मंत्रालय के प्रभारी हैं, को भूमि प्रबंधन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।
जगत विश्वकर्मा को युवा और खेल मंत्रालय के प्रभार से हटा दिया गया और उन्हें दावा लामा की जिम्मेदारी दी गई। इसी तरह, उद्योग राज्य मंत्री मोती दुगड़ को हटा दिया गया है और उनकी जगह विमला बिस्वकर्मा को जिम्मेदारी दी गई है।
नेपाली संविधान के प्राविधानों के मुताबिक प्रधानमंत्री 25 मंत्रियों की कैबिनेट बना सकते हैं। अभी ओली कम से कम तीन और मंत्रियों को केबिनेट में शामिल कर सकते हैं। ओली ने रक्षा मंत्रालय अपने ही पास रखा है। रविवार को बर्षामन पुन, शक्ति बासनेट, गिरिराज मणि पोखारेल, रामेश्वर राय, बीना मागर, योगेश भट्टाराई और घनश्याम भुसाल ने ओली मंत्री मण्डल से इस्तीफा दे दिया है।
एक ओर जहां ओली अपने मंत्रीमण्डल (Oli Cabinet Reshuffle) को सजा संवार कर अप्रैल तक निर्बाध शासन करने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं प्रचण्ड को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय संसद को भंग करने के ओली के कदम को असंवैधानिक घोषित कर संसद को बहाल कर देगा। काठमाण्डू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रचण्ड ने कहा कि संसद को भंग करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। प्रचण्ड ने कहा कि उन्हें विश्वास है सर्वोच्च न्यायालय लोकतंत्र की रक्षा करेगा।
इससे पहले शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने संसद भंग करने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। शुरुआती बहस के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को शोकॉज नोटिस जारी किया है। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से संसद को भंग किए जाने वाले प्रस्ताव की मूल कॉपी पेश करने को कहा है।.
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