OIC on Jammu Kashmir: इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) असल में क्या है? OIC सिर्फ कहने को इस्लामी देशों का सबसे बड़ा संगटऩ है। असल में ये है नहीं क्योंकि, इसे हकीकत नहीं झूठ नजर आता है। OIC का स्थापना इस्लामिक देशों के आपसी संबंधों को मजबूत करने और दुनियाभर में मुस्लिमों की आवाज बनने के लिए की गई है। दुनियाभर के मुस्लिमों को छोड़े आज इस्लामिक देशों में ही मुसलमान सुरक्षित नहीं है। ये वही OIC है जो भारत (OIC on Jammu Kashmir) के खिलाफ जहर उगलता है लेकिन, पकिस्तान औऱ अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी साध लेता है। ये वही OIC है जो कश्मीर (OIC on Jammu Kashmir) को अवैध इलाका बताता है लेकिन, जब बात चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर मुंह खोलने की आती है तो ये गूंगा बन जाता है। ये वही OIC है जिसे न तो सीरिया और न ही ईराक नजर आता है। इसे तो ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा। क्या मजाल है कि OIC ने ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर हिंसात्मक कार्रवाई पर मुंह खोला है।
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OIC के रगों में बह रहा पाकिस्तान वाला झूठा खून
लेकिन, जब बात जम्मू-कश्मीर की आती है तो OIC के रगों में पाकिस्तान वाला झूठा खून दौड़ उठता है। अरे पहले जम्मू-कश्मीर आकर देख तो लो, यहां विकास किस रफ्तार से हो रहा है। कश्मीर का बच्चा आज स्कूलों में बंदूक नहीं कलम थामे हुए है। कश्मीर के बच्चे भारत के उच्च पदों पर बैठे हुए हैं। आईएस, पीसीएस से लेकर फिल्ली दुनिया तक में बोलबाला है। अब जरा पाकिस्तान अधिकृत वाले कश्मीर की बात कर लेते हैं। जिसपर OIC कभी कुछ नहीं बोलता। Pok में हाल यह है कि, पाकिस्तानी आर्मी और आईसएआई मिलकर यहां के लोगों को जिना हराम कर रखा है। कभी भी किसी को भी उठा ले जाते हैं उसके बाद उसकी लास तक नहीं मिलती। छोटी-छोटी बच्चियों का रेप करते हैं ये पाकिस्तानी आर्मी। महिलाओं के शरीर में ड्रिल मसीन से छेद करते हैं। इनके अत्याचार पर कौन आवाज उठाएगा। यहां OIC की आंखें क्यों बंद हो जाती है। ये एकतरफा बयानबाजी ठीक नहीं है। आज भारत में जितना मुसलमान सेफ हैं उतना पूरी दुनिया में कहीं नहीं है।
भारत के खिलाफ OIC का जहर
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने जम्मू और कश्मीर को भारत का अवैध क्षेत्र कहा है। पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए OIC ने कहा है कि 27 अक्टूबर 2022 को जम्मू और कश्मीर पर भारत के कब्जे के 75 साल पूरे हो गए हैं। वह जम्मू और कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता है। ऐसा है तो आओ फिर कश्मीर, एक बार देख जाओ, जितना पूरे पाकिस्तान में सुविधाएं नहीं होंगी उससे ज्यादे कश्मीर में होंगी। जिनता पाकिस्तान में विकास नहीं होगा उससे कहीं ज्यादा कश्मीर में मिलेगा। खैर OIC इससे पहले भी कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ ऐसी बयानबाजी कर चुका है और हर बार भारत ने ओआईसी को आईना दिखाते हुए कश्मीर मुद्दे से दूर रहने की हिदायत दी है। भारत ने इसपर भी फटकार लगाई है। इंडिया के रिप्लाई के बारे में भी बात करेंगे लेकिन, उससे पहले जान लेते हैं OIC ने और क्या-क्या कहा है।
अनुच्छेद 370 पर भी OIC जल रहा
ओआईसी ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे को लेकर भी बयानबाजी की। यानी की साफ है कि वो पाकिस्तानी भाषा बोल रहा है। ओआईसी का कहना है कि, इस अवसर पर जनरल सचिवालय, इस्लामिक शिखर सम्मेलन और OIC विदेश मंत्रियों की परिषद के निर्णयों और प्रस्तावों के अनुसार, भारत से 5 अगस्त 2019 को की गई ‘अवैध, एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परिवर्तन के लिए बाद के कदमों को रोकने और उलटने का आग्रह करता है। यही नहीं, ओआईसी ने ये भी आरोप लगाया है कि, भारत कश्मीर में जनसांख्यिकी संचरना को बदल रहा है। इतनी भी बेशर्मियत ठीक नहीं है OIC के लिए। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया और ईरान में क्या हो रहा है पूरी दुनिया जानती है। लेकिन, OIC कभी भी इनके खिलाफ नहीं बोलता क्योंकि, ये इस्लामिक देश हैं।
कश्मीरी IAS शाह फैसल ने OIC को पढ़ाया पाठ
ओआईसी के इस बयान पर कश्मीरी नौकरशाह और आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा कि, ये 75 साल नहीं बल्कि 5000 साल के सभ्यतागत रिश्ते हैं, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा पोषित हैं और हमें वह बनाते हैं जो हम हैं। 27 अक्टूबर 1947 इस रिश्ते की सिर्फ एक संवैधानिक पुष्टि थी। इसके आगे उन्होंने कहा कि, ओआईसी को अपने भीतर की गड़बड़ी को देखना चाहिए और हमें अकेला छोड़ देना चाहिए।
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OIC पर सिर्फ सुन्नी मुस्लिम देशों का कब्जा
ओआईसी कहने को इस्लामी देशों का सबसे बड़ा संगठन है। लेकिन, इसपर सिर्फ सुन्नी मुस्लिम देशों का कब्जा है। मुसलमानों का हितैषी होने का दावा करने वाला ओआईसी आज तक न तो चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और न ही कभी सीरिया, ईराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर कभी मुंह नहीं खोला। यहां तक ईरान में हो रहे हिसाब प्रदर्शन पर तो इसने पूरी तरह से मुंह सिल रखा है।
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