पाक ने अल्पसंख्यकों के प्रति अपना दुर्व्यवहार छिपाने के लिए अयोध्या मुद्दा उठाया: भारत

पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में अयोध्या राम मंदिर निर्माण मुद्दा उठाने पर भारत ने उस पर 'हिंसा की संस्कृति' फैलाने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को दबाने का आरोप लगाया है।

भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन की एक काउंसलर पौलोमी त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा, "पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल द्वारा 'शांति की संस्कृति' की बात करना कुछ और नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों के प्रति अपने खुद के शर्मनाक रिकॉर्ड से ध्यान हटाने के लिए हथकंडा है। उसने अपने घर में और अपनी सीमाओं पर 'हिंसा की संस्कृति' को जारी रखा है।

उन्होंने पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम की अयोध्या और कश्मीर के बारे में की गई टिप्पणी के जवाब में कहा, "भारत के खिलाफ बेतुके आरोप लगाने से पहले, जहां सभी धर्मों के लोगों के समान अधिकारों की गारंटी संविधान द्वारा दी गई है, पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल को अपनी प्रणाली और अल्पसंख्यकों की रक्षा के रिकॉर्ड को देखना चाहिए।"

उन्होंने अकरम पर शांति की संस्कृति पर असेंबली के उच्च-स्तरीय फोरम का 'भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाले मंच' के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

उसने कहा कि पाकिस्तान के खराब मानवाधिकारों के रिकॉर्ड और धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के भेदभावपूर्ण व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए लगातार चिंता का कारण है।

पौलोमी ने कहा कि पाकिस्तान में ईश निंदा कानूनों का इस्तेमाल धार्मिक अल्पसंख्यकों जैसे कि हिंदू, ईसाई और सिखों के खिलाफ किया जाता है, उनके मानवाधिकारों और सम्मान का उल्लंघन किया जाता है। महिलाओं और लड़कियों को अगवा करके दुष्कर्म किया जाता ह,ै जबरन धर्मांतरित किया जाता है और उनके साथ वहशीपन करने वालों के साथ ही उनकी शादी करा दी जाती है।

अकरम ने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाना और वहां एक हिंदू मंदिर का निर्माण 'अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का गंभीर उल्लंघन है।'

उन्होंने जोर देकर कहा कि 'भाजपा-आरएसएस के चरमपंथियो'ं ने सैकड़ों अन्य मस्जिदों और ऐतिहासिक इस्लामिक धार्मिक स्थल को नष्ट करने की धमकी दी है।

त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया ने (कोविड-19) महामारी के दौरान हिंसा, और भेदभाव में वृद्धि देखी है।

उन्होंने कहा कि हम भारत में धर्मों, संस्कृतियों और जनजातीय समूहों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के महत्व को समझते हैं।

उन्होंने कहा कि इसी भावना से हम दुनिया भर में समझ की भावना के साथ सेतु का निर्माण (कोविड -19) संकट से उबरने और बेहतर दुनिया की नींव तैयार करने के सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।.

डॉ. शफी अयूब खान

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