Pakistan Army Chief Bajwa: पाकिस्तान की सत्ता का रास्ता आर्मी से होकर जाता है। देश में अगर सबसे ज्यादा कोई पावरफुल है तो वो है पाकिस्तान की आर्मी। पाकिस्तानी आर्मी तय करती है कि सत्ता में किसे बैठाना है और किसे नहीं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के हाथों में उतनी पावर नहीं होती है जितनी आर्मी के हाथों में। लेकिन, अब आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने ऐलान किया है कि, राजनीति में अब से आर्मी की कई भूमिक नहीं होगी। दरअसल, पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Pakistan Army Chief Bajwa) ने कहा है कि वह अगले पांच सप्ताह में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेकिन, वो सेवा विस्तार की मांग नहीं करेंगे। उनका कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नए सेना प्रमुख का चयन करेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने घोषणा की है कि सेना प्रमुख के उत्तराधिकारी को नियत समय पर और संविधान के अनुसार नियुक्त किया जाएगा। बाजवा (Pakistan Army Chief Bajwa) ने शुक्रवार को कहा कि वह सेवा विस्तार की मांग नहीं करेंगे और पांच सप्ताह के बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
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पाक आर्मी की अब राजनीति में नहीं होगी भूमिका
पाकिस्तानी सेना का ये शीर्ष पद जनरल बाजवा पिछले छह साल से संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि, सेना राजनीति में कोई भूमिका नहीं निभाएगी। उन्हें शुरु में 2016 में नियुक्त किया गया था, लेकिन तीन साल के कार्यकाल के बाद 2019 में इमरान खान की तत्कालीन सरकार ने उनकी सेवा को और तीन साल के लिए बढ़ा दिया। सितंबर में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जल्द चुनाव का आह्वान करते हुए कहा था कि जनरल बाजवा को नयी सरकार के चुने जाने तक एक और सेवा विस्तार दिया जाना चाहिए। अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस महीने की शुरुआत में लंदन में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो नवाज शरीफ से मुलाकात के बाद उन्हें एक और कार्यकाल मिल सकता है। लेकिन अब इसकी संभावना नहीं है।
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शाहबाज शरीफ करेंगे नये आर्मी चीफ की नियुक्ती
सेना प्रमुख की नियुक्ति पूरी तरह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है और शायद यह एकमात्र समय होता है जब शक्तिशाली सेना द्वारा बिना किसी अगर मगर के उनके फैसले को स्वीकार किया जाता है। आगामी नियुक्ति सभी गलत कारणों से सुर्खियों में है। खान जब सत्ता में थे, विपक्ष ने उन पर अपनी पसंद के व्यक्ति को सेना प्रमुख के पद पर लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया, जो विपक्षी नेताओं को प्रताड़ित करने के उनके कथित एजेंडे का समर्थन कर सके। अब सबकी निगाहें शाहबाज शरीफ पर है कि उनका पसंद से कौन पाकिस्तान आर्मी चीफ के पद पर बैठता है।
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