Afghanistan में तालिबान के साथी पाकिस्तान की खैर नहीं, चीन ने भी छोड़ा साथ, भारत के साथ आई दुनिया!

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पाकिस्तान और तालिबान की नीति-नीयत शायद चीन को समझ में आने लगी है। अगर अब भी नहीं आई तो जल्द आने वाली है। चीन ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में न केवल अफगानिस्तान में तालिबानी हिंसा का विरोध किया बल्कि पाकिस्तान को बैठक में न बुलाने का समर्थन भी किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उम्मीद थी कि अफगानिस्ता के आग्रह पर भारत की अध्यक्षता में बुलाई बैठक में चीन उसका साथ देगा, लेकिन चीन ने साफ कहा कि हिंसा या आतंकवाद के जरिए अफगानिस्तान पर कब्जे की कोशिशों का विरोध किया जाएगा।</p>
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चीन के इस एक अच्छे कदम से अफगानिस्तान में पाकिस्तान की कारगुजारियां दुनिया के सामने आ गई हैं। ध्यान रहे, 'भारत की हुई बैठक में विभिन्न देशों का सुर हिंसा के खिलाफ था। इस मौके पर तालिबान के अत्याचार में साथ दे रहा पाकिस्तान भी बेनकाब हो गया। अफगानिस्तान ने जहां तालिबान के पीछे पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। वहीं, इस आपात बैठक की अगुवाई कर रहे भारत ने कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों की जवाबदेही तय होना जरूरी है।</p>
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सुरक्षा परिषद सदस्यों ने एक सुर में हिंसा को रोकने के लिए संघर्ष विराम पर जोर दिया। इस बैठक में पाकिस्तान को नहीं शामिल किया गया।' 'सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रहे टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान में आतंकी पनाहगाह खत्म की जाएं। इसके साथ ही आतंकियों को रसद पहुंचाने वाली सप्लाई लाइनों को खत्म कर आतंकवाद के हर स्वरूप के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की जरूरत है। भारत ने आग्रह किया कि सुरक्षा परिषद हालात की समीक्षा के बाद अफगानिस्तान में व्यापक शांति के लिए तत्काल संघर्ष विराम के उपायों पर कदम उठाए।'</p>
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'अफगानिस्तान के प्रतिनिधि ने कहा कि तालिबान ने बर्बर हमलों से हालात बहुत गंभीर हो गए हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान के साथ पाकिस्तानी और विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इस्काजई ने पाकिस्तान में तालिबानी लड़ाकों को मिल रहे मदद, वहां के अस्पतालों में हासिल हो रहे इलाज का हवाला देते हुए पाक सरकार से तालिबान की सप्लाई लाइन खत्म करने की अपील की। उनका कहना था कि पाकिस्तान में तालिबान के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने को लेकर अनेक वीडियो सबूत सामने आते रहे हैं। इस्काजई का कहना था कि मौजूदा हालात एक ऐसा युद्ध है जिसकी मशीन पर्दे के पीछे रहकर चलाई जा ही है।'</p>
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'अमेरिकी प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि अगर तालिबान ताकत के दम पर काबुल की सत्ता हथियाने की कोशिश करते हैं तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाएंगे। अफगानिस्तान से अपने सेनाएं हटा रहे अमेरिका ने तालिबानी हमलों की सख्त लहजे में निंदा करते हुए कहा कि किसी मौजूदा स्थिति का सैन्य तरीके से समाधान निकालना मुमकिन नहीं है।' 'सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन के प्रतिनिधि ने कहा कि ताकत के दम पर अफगानिस्तान में कोई सरकार नहीं बनाई जानी चाहिए। भारत के साथ ही सुर मिलाते हुए चीन ने भी अफगानिस्तान में हिंसा का विरोध किया।'</p>

आईएन ब्यूरो

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