पाकिस्तान (Pakistan) आर्थिक एवं राजनितिक संकट की मार झेल रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने हर एक देश से भीख मांग मांग कर अपनी इज़्ज़त का जनाज़ा खुद ही निकाल दिया है। अब जिन्नालेंड (Pakistan) जिस देश की तरफ भी देखता है, वह देश पाकिस्तान से कन्नी काटता नज़र आ रहा है। फ़िलहाल भारत में हुए G20 में शामिल होने कई देशो के दिग्गज नेताओं आए। जिस में से एक सऊदी अरब देश भी था। सऊदी के क्राउन प्रिंस ग्२० के बाद भी भारत में एक और दिन के लिए रुके। यह सब देख पाकिस्तान के तो मानो सीने पर सांप लोट गए हैं।
अब भारत की राजकीय यात्रा पर आए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने भारत के लिए खजाना खोल दिया है। सऊदी अरब और भारत दोनों ने इस बात पर सहमति जताई है कि 100 अरब डॉलर के निवेश को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। सऊदी अरब भारत में 100 अरब डॉलर निवेश करना चाहता है और इसमें विशाल रिफाइनरी भी शामिल है। यही नहीं भारत और सऊदी अरब ऊर्जा से लेकर रक्षा तक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे। भारत और सऊदी अरब संयुक्त रूप से हथियार बनाने पर भी सहमत हुए हैं। भारत और सऊदी अरब जहां अरबों डॉलर के निवेश को सहमत हुए हैं, वहीं मुस्लिम उम्मा का दंभ भरने वाला पड़ोसी पाकिस्तान 50 अरब डॉलर के सऊदी निवेश का इंतजार करता रह गया।
पाकिस्तान (Pakistan) के केयर टेकर पीएम ने दावा किया था कि सऊदी अरब पाकिस्तान में 50 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है। पाकिस्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी कि किसी तरह से सऊदी प्रिंस भारत के बाद पाकिस्तान आ जाएं लेकिन ऐसा हो नहीं सका। सऊदी प्रिंस ने कंगाल हो चुके पाकिस्तान से किनारा कर लिया। यही नहीं भारत, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका ने मिडिल ईस्ट रेल कॉरिडोर पर सहमति जताई है। यह अरबों डॉलर की परियोजना जहां खाड़ी देशों की तस्वीर बदल सकता है, वहीं इस इलाके में चीन और उसके बीआरआई प्रॉजेक्ट की कमर तोड़ सकता है।
चीन अपने बीआरआई प्रॉजेक्ट के तहत ही पाकिस्तानी (Pakistan) में सीपीईसी परियोजना चला रहा है और 60 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश कर रहा है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘पाकिस्तान अपनी घरेलू समस्याओं में ही फंसा हुआ है और इस जिओ इकनॉमिक नेटवर्क में सक्रिय खिलाड़ी बनने की बजाय केवल मूकदर्शक बनकर रह गया है। यही नहीं हमने दुर्भाग्यवश अभी तक सीपीईसी का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि कश्मीर में भारत की कथित दमन वाली नीतियों के बाद भी हमारे मुस्लिम भाई और पश्चिमी देश दोनों ही इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ये दोनों ही भारत के साथ व्यापार करने के लिए लालायित हैं।’
डॉन ने कहा कि नैतिकता पर अब आर्थिक ताकत भारी पड़ गई है। ऐसे में अगर हम वैश्विक ट्रेड नेटवर्क का हिस्सा बनना चाहते हैं और अगर हम चाहते हैं कि कश्मीर पर हमारी आवाज को सुना जाए तो सबसे पहले हमें अपनी आंतरिक समस्याओं को सुलझाना होगा। एक समय था जब पाकिस्तान (Pakistan) सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी को पर्दे के पीछे से चलाता था। ओआईसी अक्सर कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता था। पाकिस्तान मुस्लिम उम्मा की दुहाई देता था और खाड़ी देशों को भारत के खिलाफ भड़काता था। अब खाड़ी के ज्यादातर ताकवर देश भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। वहीं पाकिस्तान का मुस्लिम देशों के जरिए भारत पर दबाव डालने का इरादा खाक में मिल गया है।
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