चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान दिन पर दिन चीन की रेशमी जाल में फंसता जा रहा है। चीन भी कर्ज देकर एक तरफ अपनी दोस्ती और दूसरी ओर अपना मंसूबा साधने में लगा है। दरअसल, पाकिस्तान को सउदी अरब का कुछ कर्ज लौटाना था। इसके लिए पाकिस्तान ने पहले की तरह इस बार भी चीन के आगे हाथ फैलाया तो उसने मुसिबत में साथ दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने सउदी अरब का उधार चुकता कर दिया।
पिछले काफी दिनों से सऊदी बकाया कर्ज को लेकर <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/lack-of-lpg-in-pakistan-even-stove-will-not-be-able-to-burn-in-new-year-22165.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">पाकिस्तान की नाक में दम</a> कर रहा था। सऊदी अरब द्वारा बार-बार जोर देने पर पाकिस्तान ने कर्ज चुकाने के लिए चीन से आपातकालीन वित्तीय सहायता मांगी है। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने चीन से 2 अरब डॉलर लेकर सऊदी अरब की दो किस्तें दी हैं।
<strong>बता दें कि सऊदी अरब ने साल 2018 में पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर का ऋण और 3.2 बिलियन डॉलर का ऑयल क्रेडिट दिया था। इसमें से तीन अरब डॉलर नकद और 3.2 अरब डॉलर के बराबर उधार तेल दिया जाना था। इसमें से कैश ऋण की पाकिस्तान दो किस्तें दे चुका है और एक किस्त बाकी है. रियाद के दबाव को देखते हुए पाकिस्तान चीन (China) से व्यावसायिक ऋण (Business Loan) लेने की कोशिश में लगा है। दो अरब डॉलर देने के बाद अब पाकिस्तान पर सऊदी अरब का 1 बिलियन डॉलर डॉलर का रह गया है जिसे वो 2021 की शरुआत यानी जनवरी में चुका देगा। </strong>
बता दें कि इसी माह की शुरुआत में चीन ने साल 2011 के द्विपक्षीय मुद्रा-स्वैप समझौते के आकार को बढ़ाकर 1.5 बिलियन डॉलर ऋण दिया है। इससे दोनों देशों के बीच समग्र व्यापार सुविधा का आकार बढ़कर 20 बिलियन चीनी युआन ( 4.5 बिलियन डॉलर ) हो गया है। इसी समझौते को ध्यान में रखते पाकिस्तान ने चीन से कर्ज चुकाने के लिए सहायता मांगी है।
<strong> मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों देशों के बीच हुए समझौते में द्विपक्षीय व्यापार, वित्त प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने पर हस्ताक्षर हुए थे. ये समझौता पाकिस्तान के स्टेट बैंक (एसबीपी) और पीपल्स बैंक ऑफ चाइना के बीच हुआ था। </strong>
चीन ने वाणिज्यिक ऋण का विस्तार करने के बजाय मुद्रा स्वैप की व्यवस्था को बढ़ाया है ताकि सऊदी अरब के बाकी 1.5 बिलियन के कर्ज की वजह से पाकिस्तान सरकार की पुस्तकों पर बैन न लगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने विदेशी ऋण चुकाने और अपने विदेशी मुद्रा भंडार को आरामदायक स्तर पर रखने के लिए 2011 से मुद्रा विनिमय सुविधा का उपयोग किया है।.
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