Pakistan का Atom Bomb चुराने की फिराक में आतंकी गिरोह, मुल्क के आर्थिक हालात बेकाबू, बगावत कर सकती है अवाम

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<span style="color:#f00;"><strong>'पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेकाबू हैं। सरकार डेब्ट नेट में फंस चुकी है। मुल्क में किसी भी समय बगावत हो सकती है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान का एटम बम खतरे में है। आतंकी गिरोह एटम बम चुराने की कोशिश में हैं। इमरान खान पर भी जेल जाने की तलवार लटकी हुई है।'</strong></span></p>
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<strong>श्रीलंका जैसे हालात</strong></p>
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वो कोई भी दिन हो सकता है जब पाकिस्तान की पब्लिक डी चौक के गेट नम्बर 4 और 5 को तोड़ कर ठीक वैसे ही कब्जा कर लेगी जैसे श्रीलंका की पब्लिक ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवासों और कार्यालयों का हाल किया था। श्रीलंका में हालात तब भी ठीक थे क्यों कि वहां कि पुलिस और आर्मी दोनों एक ही पेज पर थे। पाकिस्तान के हालात तो और भी बदतर हैं। यहां पुलिस सूबों के हिसाब से बंटी है। खैबर पखतूनख्वाह के सीएम कई बार ऐलान कर चुके हैं कि वो फेडरल गवर्नमेंट की फोर्सेस यानी आर्मी और रेंजर्स के खिलाफ अपने सूबे की फोर्स का इस्तेमाल करेंगे। अब तो पंजाब सूबे में भी यही हाल है।</p>
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<strong>पंजाबी नॉन पंजाबी में बंटी पाक आर्मी</strong></p>
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पाकिस्तानी आर्मी पंजाबी और नॉन पंजाबी में बंटी हुई है। जनरल बाजवा के खिलाफ कई गुट पाकिस्तान आर्मी में काम कर रहे हैं। एक गुट तो खुले आम बाजवा के खिलाफ है। इस गुट का नाम फैज हमीद है। इमरान खान फैज हमीद को अगला आर्मी चीफ बनाना चाहते थे। फैज हमीद ने आईएसआई चीफ रहते हुए पैरेलल डिसिप्लिन कायम कर लिया था। कहने का मतलब यह है कि लगभग 60 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज में डूबे पाकिस्तान सरकार का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।</p>
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<strong>पाकिस्तान में मंहगाई और बेरोजगारी बेकाबू</strong></p>
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मंहगाई और बेरोजगारी से पाकिस्तानी अवाम का बुरा हाल है। पाकिस्तान का घरेलू उत्पादन न के बराबर हो गया है। सारी इकोनॉमी इम्पोर्ट पर बेस हो गई है और भुगतान करने के लिए डॉलर बचा नहीं है। पाकिस्तान का सबसे ज्यादा पैसा ऊर्जा आवश्यकता को पूरी करने में जा रहा है। जिसकी भरपाई कर्ज पर कर्ज लेकर करने की जा रही है। पाकिस्तान का गोल्ड स्टॉक भी खत्म हो चुका है। आर्मी के खर्चे इतने हैं कि पाकिस्तान की कमर टूटी जा रही है। फिर भी जेसीओ और उससे नीचे के फौजियों को सेलरी दो-दो महीने लेट हो जाती है। पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सीपेक पर चल रहा काम भी लगभग ठप पड़ा है। ग्वादर और गिलगिट बालटिस्तान को चीन अपने कब्जे में लेने की फिराक में हैं। पाकिस्तान सरकार ने हरी झण्डी भी दे दी है लेकिन स्थानीय प्रतिरोध और इंटरनेशनल कानूनों के चलते चीन सीधे तौर पर ग्वादर और गिलगिट पर कब्जा नहीं कर पा रहा है।</p>
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<strong>पाकिस्तान का कर्जा 60 ट्रिलियन के पार</strong></p>
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इसी बीच स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने एक बुलेटिन जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि  पाकिस्तान पर कर्ज और देनदारी में इजाफा हुआ है और ये 59.7 ट्रिलियन पर पहुंच गया है। इससे पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.9खरब यानी 25फीसदी का इजाफा हुआ है। स्टेट बैंक ने कहा है कि पिछले एक साल में जितना कर्ज और घाटा बढ़ा है वो पिछले 75 सालों के कर्ज और घाटे का लगभग 25 फीसदी है। इसका मतलब यह कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में एक चौथाई से ज्यादा बढ़ गई है।</p>
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<strong>इमरान खान पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार</strong></p>
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पाकिस्तान के सियासी दल खस्ता आर्थिक हालातों के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा कर्जा इमरान खान के जमाने में लिया। इमरान खान के जाने के बाद अब पीएम शहबाज शरीफ इमरान खान को कोस रहे हैं। जब इमरान पीएम थे तो वो नवाज शरीफ और भुट्टो फैमिली को पाकिस्तान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार ठहराते नजर आते थे। पीएम शहबाज शरीफ की सरकार विदेशी चंदा मामले में इमरान खान की मुश्कें कस रही है। इमरान खान भी गिरफ्तारी के लपेटे में हैं। यह सब इसलिए भी हो रहा है कि शहबाज इमरान को मुल्क की बदहाली का मुजरिम घोषित कर सकें और महंगाई से जूझ रही अवाम की सहानुभूति को हासिल कर सके।</p>
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<strong>खतरे में पाकिस्तान का एटम बम</strong></p>
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पाकिस्तान पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि सियासी दल एक दूसरे पर हमले भले ही करते रहें लेकिन इससे मुल्क का भला नहीं हो रहा है। अवाम में गुस्सा बढ़ रहा है किसी भी समय यह विस्फोट की शक्ल में फट सकता है। पाकिस्तान के बिगड़ते हालातों पर इंटरनेशल कम्युनिटी की भी नजर है। पाकिस्तान के पास परमाणु बम है। श्रीलंका जैसे हालात होने पर परमाणु बम की हिफाजत सबसे बड़ी चिंता है। इंटरनेशनल कम्युनिटी को डर है कि जैसे ही पाकिस्तान में मौजूद आतंकी गिरोह परमाणु बम चुराने की कोशिश कर सकते हैं। पाकिस्तान की सेना और पुलिस में आतंकी तत्वों और उनके समर्थकों की मौजूदगी काफी पहले ही महसूस की जाचुकी है।  </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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