पाकिस्तान की हालत इन दिनों खस्ता है। देश में महंगाई अपने चरम पर है लेकिन पाक फौज और प्रधानमंत्री इमरान खान को मिसाइलों और हथियारों से मतलब है। चीन का सदाबहार दोस्त पाकिस्तान अब अपनी नई चाल चलते हुए नजर आ रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस महीने के अंत में रूस की महत्वपूर्ण यात्रा पर जाने की उम्मीद में हैं, जो दो दशकों में किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की पहली मॉस्को यात्रा होगी। खबरों की माने तो खान के 23 से 26 फरवरी के बीच रूस जाने की उम्मी है। उनकी रूस की यात्रा चीन की उनकी यात्रा के बाद होने की उम्मीद है। जहां उन्होंने बीजिंग ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भाग लिया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित शीर्ष चीनी नेतृत्व के साथ बातचीत की।
चीन उन देशों से सबसे ज्यादा खार खाता है जो उसके करीब होने के बाद भी दूसरे देशों से नजदीकियां बढ़ाते हैं। अब पाकिस्तान के बढ़ते दायरे से चीन सरकार में जरूर हलचल मचेगी। खैर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी बीजिंग ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने खान की रूस की यात्रा संबंधी खबर की पुष्टि करने से परहेज करते हुए कहा कि इसके लिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया जाना चाहिए।
इमरान खान की रूस यात्रा को पश्चिम के लिए एक स्पष्ट संकेत माना जा रहा है, खासकर तब जब उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी की वापसी के बाद पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने देने के मुद्दे पर अमेरिका को स्पष्ट रूप से मना कर दिया और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनवरी 2021 में पदभार संभालने के बाद इमरान खान को फोन तक नहीं किया। दरअसल, रूस पाकिस्तान की मदद से तालिबान को कुछ हद तक नियंत्रित करना चाहता है। वह अफने रक्षा हथियारों की खरीद के लिए नए ग्राहक की तलाश में है। वहीं, पाकिस्तान को भी मालूम है कि अगर वह किसी बड़ी महाशक्ति की छत्र छाया में नहीं रहा, तो वह ना तो अपनी खराब अर्थव्यवस्था को चला सकेगा और ना ही पाकिस्तान सेना को तख्तापलट से रोक सकेगा।