Taliban को बचाने चले Pakistan पर लटकी कार्रवाई की तलवार, America और EU उठाने वाले हैं ये सख्त कदम

<p>
पाकिस्तान ने दुनिया की ताकतों के सामने एक बार फिर पुरानी चाल चल दी है। इस बार बिसात पाकिस्तान की जमीन पर नहीं बल्कि अफगानिस्तान की सियासी जमीन पर बिछाई गई है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के साथ ही उनके कबीना के लगभग सभी मंत्रियों और एनएसए मोइद यूसुफ ने भी ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी है। पाकिस्तान के एनएसए मोइद यूसुफ ने कहा है कि अफगानिस्तान में अल कायदा और आईएसआई के आतंकी मौजूद हैं। ये आतंकी दुनिया के लिए संकट बन सकते हैं। इन आतंकियों से खात्मे के लिए ( सत्ता में बैठे आतंकियों के गिरोह) तालिबान के साथ राजनीतिक समझौता करना जरूरी है।</p>
<p>
मोइद यूसुफ ब्लैकमेलिंग का पासा फेंकते हुए शायद ये भूल गए कि अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने ही सुरक्षित पनाह दी थी। अमेरिकी सील कमाण्डो ने पाकिस्तान के अबोटाबाद कैण्ट इलाके में ओसामा बिन लादेन को खोज कर मार डाला था। मोइद यूसुफ शायद ये भूल गए कि नाटो खास तौर पर अमेरिका और तालिबान के रिश्ते इसी अल कायदा की वजह से इतने तल्ख हो गए कि दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठे। ये दुश्मनी अभी खत्म नहीं हुई है। अमेरिका ने तालिबान से ओसामा बिन लादेन को मांगा था। तालिबान ने इस्लाम औऱ दोस्ती का वास्ता देकर अमेरिका से दुश्मनी मोल ले ली लेकिन ओसामा बिन लादेन का पता नहीं बताया। उस समय की पाकिस्तान सरकार ने भी इस्लाम का वास्ता देकर ओसामा बिन लादेन को आर्मी के सेफ हाउस में लादेन को पनाह दी।</p>
<p>
अमेरिका ने जिस तरह तालिबान से ओसामा को मांगा था ठीक उसी तरह पाकिस्तान से हक्कानीस को मांगा था। पाकिस्तान सरकार और आर्मी चीफ ने हमेशा कहा कि हक्कानी उसके पास नहीं है। अब यही हक्कानी अफगानिस्तान की सरकार पर काबिज हो गया है। पाकिस्तानी एनएसए मोइद युसुफ शायद ये भी भूल गए कि अलकायदा और तालिबान में आज भी दोस्ती है। अलकायदा और आईएसकेपी को आतंकवादी बताकर मोइद यूसुफ खुद को भी आतंकियों को पनाह देने वाला देश घोषित कर रहे हैं।</p>
<p>
मोइद यूसुफ जिन देशों को ब्लैकमेल करना चाहते हैं, वो सब अब अच्छी तरह समझ चुके हैं कि आतंकवाद की जड़ और आतंकवाद की फैक्ट्री पाकिस्तान ही है। इन परिस्थितियों में आशंका यह भी बढ़ गई है कि पाकिस्तान एनएसए की चाल उलटी न पड़ जाए। क्यों कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ संबंधों की समीक्षा करने की चेतावनी दे दी है। इसका मतलब यह भी है कि आतंकवाद को पालने-पोषने के आरोप में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस बार पाकिस्तान पर यूरोपियन यूनियन की भी वक्र दृष्टि है। यह इस बात का संकेत है कि आतंकवादियों के सहारे चल रहे देश (पाकिस्तान) को फेल्ड स्टेट भी घोषित किया जा सकता है। अमेरिका एक बार पाकिस्तान को फेल्ड स्टेट घोषित करने से चूक गया था, लेकिन अब ये गल्ती अमेरिका नहीं करेगा। चीन भी पाकिस्तान की मदद एक हद तक ही कर सकता है। वो जितनी मदद कर सकता था उससे ज्यादा प्रयास और निवेश चीन पाकिस्तान में कर चुका है। चीन को पाकिस्तान में जितनी निराशा और नाकामी मिली है उतनी तो दुनिया के किसी कौने में नहीं मिली है।</p>
<p>
कहने का मतलब यह है कि, कभी तालिबान, कभी अलकायदा तो कभी आईएस खुरासान के बहाने पाकिस्तान दुनिया को ब्लैकमेल करने वाले पाकिस्तान की कलई खुल चुकी है। अफगानिस्तान में तालिबान ने अभी तक जितने भी वादे किए हैं उनमें से एक फीसदी भी पूरे नहीं हुए हैं। तालिबान ने दोहा पीस एकॉर्ड को लगभग ध्वस्त कर दिया है। मानवाधिकार और महिला अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। गैर तालिबानियों के साथ तालिबान कसाई से भी बदतर व्यवहार कर रहे हैं। तालिबान की सरकार में ईनामशुदा आतंकियों को गृह और रक्षा मंत्रालय सौंप दिए गए हैं। अफगानिस्तान में  इनक्लूसिव सरकार की धारणा की जितनी बेइज्जति तालिबान कर सकते थे उतनी वो कर रहे हैं। मुल्ला बरादार को हांसिए पर फेंक कर हक्कानियों ने साबित कर दिया है कि वो ‘आतंक’ के अलावा कोई दूसरी भाषा जानते ही नहीं हैं।</p>
<p>
जानकारों का कहना है कि आतंकियों के सहारे दुनिया को ब्लैकमेल करने चले पाकिस्तान को इस बार भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यूरोपियन यूनियन मोस्ट फेवरेट नेशन और अमेरिका गैर नाटो मेंबर का दर्जा वापस लेने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुके हैं। आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक पाकिस्तान को वित्तीय सहायता से इंकार कर ही चुके हैं। पाकिस्तान पर सिर से ऊपर कर्जा है। चीन सहित अरब देशों ने भी पाकिस्तान को वित्तीय मदद से हाथ खींच लिया है। कुछ ही समय बाकी है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान की हालत एक जैसी होगी। शायद इसीलिए पाकिस्तान अपनी खस्ता हालत सुधारने के लिए अफगानिस्तान को मोहरा बना रहा है। पाकिस्तान की नीयत में खोट है। पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान को मान्यता मिल जाए और दुनिया भर से दान-अनुदान, मदद और कर्ज की शक्ल में मिलने वाले पैसे को ‘हक्कानी नेटवर्क’के माध्यम से पाकिस्तान में रूट करवा लिया जाए। लेकिन पाकिस्तान की ये चाल अब चलने वाली नहीं है।  </p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago