ब्रिटिश साप्ताहिक पत्रिका द स्पेक्टेटर के लिए लिखे अपने एक कॉलम में गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन ने फिर कहा है कि यौन शोषण के अधिकांश अपराधी ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष थे, जबकि उनकी शिकार गोरी लड़कियां थीं।
ब्रेवरमैन ने इस मुद्दे पर अपने पहले के बयानों का यह कहकर बचाव किया कि “इन गैंगों के कांड को दुरुस्त करने के अन्याय को दूर करने के लिए हमें उस भूमिका को स्वीकार करने के लिए तैयार होना चाहिए, जिसे नस्लीय भेद-भाव के आरोप के संकोच ने निभायी है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि ब्रिटेन में रह रहे ज़्यादातर ब्रिटिश-पाकिस्तानी यौन शोषण के अपराधी हैं।
उन्होंने नस्लवाद के इस रूप में सब कुछ को बराबर करने को लेकर एक लाल झंडा भी उठाया। ब्रेवरमैन ने द स्पेक्टेटर में कहा: “सामान्य रूप से सच बोलने के लिए मुझ पर नस्लवादी होने का आरोप लगाने से इस शब्द का अर्थ विकृत हो जाता है, और नस्लवाद का मुक़ाबला करने के लिए काम करने वाले हम सभी के लिए यह स्थिति एक बड़ा नुक़सान है।”
ऐसा कहकर ब्रेवरमैन ने कई शहरों के ज़्यादातर ब्रिटिश पाकिस्तानी पुरुषों द्वारा हज़ारों युवा ब्रिटिश लड़कियों के यौन शोषण के विवादास्पद मुद्दे पर अपनी सरकार के रुख़ का बचाव किया है, जिसकी कड़ी आलोचना की गयी थी। रॉदरहैम, टेलफ़ोर्ड, रोचडेल और कई अन्य शहरों से एक दशक से अधिक समय से इस दुर्व्यवहार की सूचना मिली है।
उन्होंने विपक्षी लेबर पार्टी के उस अभियान की भी कड़ी निंदा की है, जिसमें कहा गया था कि प्रधान मंत्री ऋषि सनक नहीं चाहते कि वे वयस्क, जो बच्चों का यौन शोषण करते हैं, वे जेल जायें।
इसके विपरीत, ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया है और साथ ही बाल यौन शोषण के लिए कड़ी सज़ा का प्रवाधान किया है।
ब्रवरमैन अपने इस कथन के चलते न केवल ब्रिटेन में स्थित मुस्लिम संगठनों, बल्कि ब्रिटिश विपक्षी दलों की तरफ़ से भी इस आग की चपेट में आ गयीं और पाकिस्तान सरकार ने इसकी कड़ी निंदा की है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता, मुमताज़ ज़हरा बलूच ने इस्लामाबाद में कहा कि ब्रेवरमैन की यहह टिप्पणी “ब्रिटिश पाकिस्तानियों को लक्षित करने और उनके साथ अलग व्यवहार करने के इरादे को इंगित करने वाली अत्यधिक भ्रामक तस्वीर” दर्शाती है और उन्होंने “ग़लत तरीक़े से कुछ व्यक्तियों के आपराधिक व्यवहार को पूरे समुदाय के प्रतिनिधित्व के रूप में ब्रांडेड कर दिया है।”
हालांकि, कम उम्र की ब्रिटिश लड़कियों के यौन शोषण, बलात्कार और नशीली दवाओं के सेवन के मुद्दे पर वर्षों से बात की जा रही थी।लेकिन, ब्रिटिश एजेंसियां नस्लवादी या इस्लामोफ़ोबिक क़रार दिए जाने के डर से पीड़ितों को न्याय नहीं दे पायी हैं। हालांकि, यह मामला समय-समय पर ख़बरों में आता रहा है।
ब्रिटिश चैनल जीबी न्यूज़ ने हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर इस मुद्दे को उजागर किया था, जहां इसने पीड़ितों के साथ-साथ दुर्व्यवहार करने वाली लड़कियों का समर्थन करने वाले मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं का साक्षात्कार लिया था। चैनल ने यह भी कहा कि राजनेताओं, स्थानीय परिषदों और पुलिस ने संकटग्रस्त पीड़ितों को निराश किया है।
यूके में रह रहे मुस्लिम समूह गृह सचिव की इस टिप्पणी के ख़िलाफ़ एक साथ आ गये हैं, जो टिप्पणी पहले स्काई न्यूज़ पर भी आ चुकी है। द स्पेक्टेटर में लिखे इस कॉलम के साथ कंज़र्वेटिव सरकार बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर नकेल कसने के साथ-साथ इसके पीछे के असली लोगों की पहचान करने को लेकर अपने विचारों पर अडिग है।
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