LoC,यानी लाइन ऑफ़ कंट्रोल, यानी वह नियंत्रण रेखा,जो कश्मीर को दो हिस्सों में बांटती है। एक तरफ भारत का कश्मीर, तो वहीं दूसरी ओर PoK अर्थात पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर। सरल भाषा में कहें तो एक तरफ भारत का मुकुट तो दूसरी तरफ पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, जहां वादी ही वादी है।
आपने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों को पनाह लेते तस्वीर देखे होंगे, गोला बारूद से ध्वस्त होते आतंकी कैंप के वीडियो देखे होंगे, तो आतंकियों को गोली खाते भी आपने देखा होगा। लेकिन, आज आप वादी के बीचोबीच की वह तस्वीर देखेंगे, जिसे देखने के लिए वर्षों बरस से हर आस्थावान हिन्दुओं की तमन्ना रही है। 75 साल के इतिहास में पहली बार उस शक्ति पीठ का दर्शन करायेंगे, जो आज़ादी के बाद के परिदृश्य से कहीं ग़ायब रही है। आज़ादी के 75 साल बाद भी वह जगह वीरान है, जहां से हर हिन्दुओं की आस्था जुड़ी हुई है। आपको दिखायेंगे कि हिन्दुधर्मावलम्बियों का वह स्थल, जहां जर्रे-जर्रे में शारदा की शक्ति विद्यमान है। जहां कि फ़िज़ा में ज्ञान की देवी का अहसास बसा-घुला है।
पीओके ,पाकिस्तान के अवैध कब्ज़ा वाला इलाक़ा, जहां की निर्मल हवा आतंकियों ने दूषित कर दिया है। जिस जगह को कभी दुनियां का स्वर्ग कहा जाता था, आज उसे पाकिस्तान की काली करतूतों का पनाहगार बना दिया गया है। आज बात उसी पीओके की करेंगे,आज उसी पीओके में हिन्दू धर्म से जुड़ी आस्था की बात करेंगे, जहां शारदा शक्ति पीठ में मां अपने भक्तों का लम्बे अर्से से इंतज़ार कर रही हैं। ये पाकिस्तान का नीलम वैली इलाक़ा है। शारदा शक्ति पीठ के नीचे जो नदी बह रही है, वही नीलम नदी है। इसकी सुंदरता और मनमोहक प्राकृतिक छटा के बीच मां शारदा विराजमान हैं।
वैसे तो भारत समेत नेपाल,बंगलादेश और भूटान में भी मां की शक्ति पीठ हैं, लेकिन बात उस विरासत की, जिसका इतिहास हज़ारों साल पुराना है, जहां मां शारदा स्वयं विराजमान हैं। बड़े-बड़े पत्थरों से बने इस मंदिर का स्तम्भ अद्भुत वास्तुकला का प्रतीक है,जो क़रीब 23 सौ साल पुराने बताये जा रहे हैं।
आज़ादी से पहले की बात है, जब इस मंदिर परिसर में श्रद्धालओं का जमावड़ा लगा रहता था। घड़ीघंटाल और शंख ध्वनि के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण की तरंग से समूचा नीलम घाटी गूंजा करती थी। LoC से क़रीब 17 किलोमीटर से फ़ासले पर स्थित मां शारदा पीठ जहां साक्षात् मां सरस्वति का वास है। मान्यता है कि मां सती का दाहिना हाथ यहीं गिरा था। एक अनुमान के मुताबिक़ इस पीठ का निर्माण क़रीब 5000 हज़ार साल पहले हुआ था। कहा जाता है कि मंदिर में कोई मूर्ति नहीं थी, लेकिन मां का मंदिर बड़ा ही भव्य और अलौकिक था। मंदिर के स्तम्भ विशालकाय पत्थरों से बना हुआ था। हालांकि मंदिर का गर्भगृह बेहद सादा और सरल सजावट वाला था। लेकिन, अब मंदिर का सिर्फ़ भग्नावषेश ही बचा हुआ है।
थाईलैंड, स्कॉटलैंड और जापान से लेकर दुनियां के कई देशों से लोग यहां ज्ञान अर्जन करने आते थे।
ऐसी मान्यता है कि नालंदा और तक्षशीला विश्वविद्यालय से पहले तक़रीबन 277 ई पूर्व में यह स्थान ज्ञान का केन्द्र हुआ करता था। यह मां शारदा पीठ के नाम से जाना जाता था, जो ज्ञान की देवी मां सरस्वती के नाम पर था। जिस तरह कभी नालंदा और तक्षशीला विश्वविद्यालय में दूर –दूर से लोग आते थे,ठीक उसी तरह शारदा शक्ति पीठ में भी दुनियां के कोने-कोने से लोग ज्ञान की तलाश में आया करते थे। शारदा पीठ ज़मीन से क़रीब साढे 6 हज़ार फीट ऊंची जगह पर बनी हुई है,लेकिन जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बार बंटवारे के वक़्त जंग हुई, तो यहां दहशतगर्दों ने काफ़ी तोड़फोड़ की। इसके बाद से ये पवित्रतम स्थल वीरानगी झेल रहा है।
भारत सरकार की पेशकश के बाद पीओके विधानसभा की पहल
लेकिन जिस तरह पिछले दिनों यानी 29 मार्च 2023 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है, उससे तो यही लगता है कि इस मंदिर परिसर में पसरी यह वीरानगी अब छंटने वाली है। कुछ साल पहले पाकिस्तान स्थित पंजाब प्रांत में जिस तरह करतारपुर कॉरीडोर का निर्माण किया गया, ठीक उसी तर्ज पर भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक बयान में शारदा पीठ कॉरिडोर बनाने की पेशकश की थी। हिन्दुस्तान के गृहमंत्री की पेशकश पर PoK विधानसभा में यह प्रस्ताव तहरीक़-ए-इंसाफ़ सत्तारूढ दल के नेता जावेद बट की ओर से पेश किया गया। इस प्रस्ताव में सीमा पार रहने वाले कश्मीरियों को शारदा पीठ में दर्शन और एक दूसरे से मिलने की मांग की गई है। प्रस्ताव के अनुसार जिस तरह से करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण हुआ,ठीक उसी तरह शारदा पीठ जाने के लिए एक कॉरिडोर बनाने की बात कही गई है।
22 मार्च 2023 का वह दिन, जब चैत्र नवरात्र के पहले दिन कश्मीर घाटी में एक इतिहास रचा गया। इस दिन गृहमंत्री अमित शाह ने कुपवाड़ा में मां शारदा मंदिर का उद्घाटन किया। इस दौरान अमित शाह के साथ काफी संख्या में कश्मीरी पंडित इस बेहतरीन पल के गवाह बने। कश्मीरी पंडितों ने इस दौरान मंदिर में पूजा अर्चना की । यही वह दिन था, जब गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि सरकार जल्द ही पीओके में स्थित मां शारदा कॉरिडोर बनाने को लेकर पहल करेगी।
हालांकि शारदा कॉरिडोर की मांग और प्रस्ताव कोई नये तो नहीं है,क्योंकि साल 2005 में भारत और पाकिस्तान की एक सहमति बनी थी कि भारत और पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरियों को मिलने का मौक़ा दिया जाए। इसके बाद इस पर पहल भी की गयी। इसके लिए कुल 5 क्रॉसिंग प्वाइंट बनाए गए,जिसमें टीटवाल मुख्य प्वाईंट था।
कश्मीर में बने शारदा मंदिर के लिए मुस्लिमों ने दी ज़मीन
सबसे बड़ी बात कि कुपवाड़ा में जहां शारदा मंदिर का निर्माण हुआ है,वह ज़मीन मुस्लिमों ने दी है। मंदिर परिसर इतना विशाल है कि वहां श्रद्धालुओं के रुकने के लिए धर्मशाला और खाने पीने की भी व्यवस्था है। कुपवाड़ा में मां शारदा मंदिर का निर्माण 2021 से प्रारंभ हुआ था, जिसका उद्घाटन गृहमंत्री अमित शाह ने किया। इस मंदिर का निर्माण श्रृंगेरी मठ और शारदा सेवा समिति के सहयोग से पूर्ण किया गया।
दुनिया जानती है कि पीओके पर पाकिस्तान का अवैध कब्ज़ा है, क़रीब 75 साल से पीओके की जनता पाकिस्तान की क्रूरता से परेशान है। साथ ही पीओके की जनता बॉर्डर के इस पार की तरक्की भी देख रही है,जो उसे इस बात का एहसास दिला रही है कि जहां पाकिस्तान में दाने-दाने को लोग मोहताज़ हैं,वहीं हिन्दुस्तान में कितनी ख़ुशहाली और अमन चैन है। अब वहां की जनता जान चुकी है कि पीओके का इस्तेमाल पाकिस्तान बारूद और आतंकियों को प्रशिक्षण देने में इस्तेमाल कर रहा है,वहीं भारत अमन और चैन पसंद है,ऐसे में वहां की जनता जाग चुकी है,लिहाजा PoK असेम्बली में शारदा कॉरिडोर प्रस्ताव पास होना दोनों ओर के लिए सुखद है। इसके साथ ही इस बात की उम्मीद और भी बढ़ जाती है कि इस प्रस्ताव के पास होने और इसपर अमल होने के साथ ही एक बार फिर से मां शारदा पीठ में घंटे,शंख और वैदिक मंत्रों की गूंज सुनाई दे।
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