अंतर्राष्ट्रीय

धमकियां देता पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के साथ युद्ध की क़ीमत चुकाने की हालत में नहीं: PoK कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्ज़ा

मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ अमजद अयूब मिर्ज़ा का कहना है कि पाकिस्तान की बार-बार धमकियों के बावजूद वह कई कारणों से अफ़ग़ानिस्तान पर हमला नहीं कर सकता।

मिर्जा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) के मीरपुर से हैं, और पाकिस्तानी राजनीति का विशेषज्ञ हैं,उनका कहना है: “पाकिस्तान के मंत्री शिकायत कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे अफ़ग़ानिस्तान के साथ युद्ध की क़ीमत चुकाने की हालत में हैं।”

मिर्ज़ा कहते हैं: “युद्ध के लिए उन्हें ख़ैबर पख़्तनख़्वा में सैनिकों को स्थानांतरित करना होगा, जहां तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) उन पर हमला करेगा। इससे पहले कि पाकिस्तानी सेना अफ़ग़ानिस्तान पर हमला करे, उन्हें टीटीपी से निपटना होगा, दो कि आसान नहीं होने वाला है। तालिबान युद्ध के लिए तैयार है और पूरे ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में फैला हुआ है। वे जल्दी पेशावर पहुंच सकते हैं इसलिए मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान पर हमला करने का जोखिम उठायेगा। पाकिस्तान को गुजरांवाला और बहावलपुर से अपनी सेनायें मंगवानी होंगी।

पाकिस्तानी सेना

वह कहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के अंदर हमला करना पाकिस्तान के लिए भी एक कठिन निर्णय होगा, क्योंकि “लश्कर, हिजबुल और जैश जैसे आतंकवादी संगठनों को पाकिस्तानी आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की सहमति से अफ़ग़ानिस्तान स्थानांतरित कर दिया गया था, ताकि इस्लामाबाद यह दावा कर सके कि पाकिस्तान से कोई आतंकवादी समूह सक्रिय नहीं है।” ऐसा एफएटीएफ़ सूची से बाहर निकलने और वित्तीय प्रतिबंधों से बचने के लिए किया गया था।

इस्लामाबाद के साथ अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी समूहों के बीच घनिष्ठ संबंधों की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं कि पाकिस्तानी सेना और आतंकवादी बहुत ही निकटता से जुड़े हुए हैं। “ऐसे दो रास्ते हैं, जिनसे पाकिस्तानी सेना द्वारा इन प्रायोजित अभियानों के लिए आतंकवादी पाकिस्तान में आते हैं। इन मार्गों में से एक बलूचिस्तान से होते हुए दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान से है, जहां क्वेटा कॉर्प्स कमांडर जनरल आसिफ़ गफ़ूर उन्हें रिसीव करते हैं और फिर उन्हें रावलपिंडी में एक्स कॉर्प्स कमांडर को सौंप देते हैं।

उनका कहना है कि दूसरा रास्ता ख़ैबर पख़्तूनख़्वा से होकर जाता है, जहां XI कॉर्प्स कमांडर उन्हें रिसीव करते हैं और उन्हें रावलपिंडी में X कॉर्प्स कमांडर के पास भेज देते हैं। “रावलपिंडी कॉर्प्स कमांडर के पास ISI द्वारा दी गयी एक ऐसी सूची है, जो उन्हें आतंकवादियों का विवरण,अर्थात् आत्मघाती हमलावरों, घुसपैठियों और ड्रग पेडलर्स की संख्या के बारे में बताती है। फिर इन लोगों को भारत में लड़ने वाले विभिन्न समूहों को सौंप दिया जाता है।

पाकिस्तान ख़ुद को ऐसी जर्जर अर्थव्यवस्था से बंधा हुआ पाता है, जो संघर्ष के अनुकूल नहीं है। दूसरी ओर यह पहले से ही बलूच विद्रोहियों के साथ एक पूर्ण पैमाने पर ऑपरेशन चला रहा है, जिन्होंने उसके दो सैन्य हेलीकॉप्टरों को मार गिराया है। हालांकि इसकी भारत के साथ एक शांतिपूर्ण पूर्वी सीमा है, फिर भी इसे PoK में अपनी सेना उतारनी होगी ।

इस साल यह दूसरी बार है जब इस्लामाबाद ने तालिबान द्वारा संचालित अफ़ग़ानिस्तान को हमले की धमकी दी है। गुरुवार को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाज़ा आसिफ़ ने वॉइस ऑफ़ अमेरिका से कहा था कि पाकिस्तान अफ़ग़ान सीमा के अंदर तालिबान के ठिकानों पर हमला करेगा।

हालांकि, एक सतर्क रुख अपनाते हुए पाकिस्तान की विदेश मामलों की उप मंत्री, हिना रब्बानी ख़ार ने उज़्बेकिस्तान के समरकंद में अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों के शिखर सम्मेलन में बोलते हुए कहा: “हम यह भी मानते हैं कि बिना किसी भेदभाव और एक समान तरीक़े से आतंकवाद की जड़ को ख़त्म करने के लिए और अधिक कुछ करने की आवश्यकता है।”

जनवरी में पाकिस्तानी आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा था कि देश अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर हमला करेगा, जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद हुआ था। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने उस समय कहा था कि पाकिस्तान द्वारा इस तरह की धमकियों से “दो पड़ोसी और भाई देशों के बीच अच्छे सम्बन्धों” को नुकसान पहुंचता है, और सबूतों से पता चलता है कि पाकिस्तान के अंदर टीटीपी की मौजूदगी है।

दोनों इस्लामिक देश आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए दोषारोपण करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। भले ही अफ़ग़ानिस्तान का इस्लामिक अमीरात वैश्विक समुदाय के लिए अछूत बना हुआ है, लेकिन इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान को ख़ुद को आर्थिक पतन से बचाने के लिए कर्ज़ हासिल करना मुश्किल हो रहा है।

यह भी पढ़ें : बहुत देख ली दोस्ती अब दुश्मनी शुरू! तालिबान को पालने वाले चीन-पाकिस्तान अब धमकी क्यों दे रहे ?

Rahul Kumar

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago