पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के चारों ओर बागियों के गुट खड़े हो गए हैं। इमरान खान को अपनी कुर्सी बचाना मुश्किल हो रहा है। सामने सहयोगियों और पर्दे के पीछे फौज की बैसाखियों के सहारे चल रहे पाकिस्तान को संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है। एक तरफ जहां 11 विपक्षी दलों के गठबंधन पीडीएम (पीपुल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के जलसों से पाकिस्तान में जन विद्रोह की हालात पैदा हो गए हैं तो वहीं पार्लियामेंट में सरकार को अपनी तरफ के लोग आरोप लगा रहे हैं। पीडीएम के जलसों को मिल रहे जन समर्थन से डरे पाकिस्तानी आर्मी के चीफ कमर जावेद बाजवा ने इमरान खान को सलाह दी कि गिलगिट बालटिस्तान के चुनावों से पहले अपने सहयोगी दलों के शिकायतों को खत्म किया जाए।
इमरान खान ने सहयोगी दलों को लंच पर बुला कर कोशिश तो शिकायतें खत्म करने की लेकिन पहले से ही भरे बैठे नेताओं ने शिकवे-शिकायतों का अम्बार लगा दिया। ग्रांड डेमोक्रेटिक एलायंस के अलावा पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ) और एमक्यूएम (पी) के सवालों पर इमरान खांन बगले झांकने लगे। इमरान खान ने इस बैठक को काफी गुप्त रखने की कोशिश की थी लेकिन द न्यूज डॉट कॉम डॉट पीके ने दस्तरखान पर हुई 'तू-तू, मैं-मैं' को ढके-छिपे शब्दों में छाप ही दिया। इससे पहले पाकिस्तान की सियासत में यह अफवाह भी फैली थी कि सत्ता में सहयोगी दल इमरान खान सरकार से समर्थन वापस लेने जा रहे हैं। सहयोगी दलों ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी से मुलाकात की कोशिश भी की थी। इमरान खान से नाराज सहयोगी दलों के नेताओं की यह योजना भी थी कि अगर राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी उन्हें मिलने का समय नहीं देते या राष्ट्रपति से मुलाकात करने से उन्हें रोका जाता है तो वे प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर इमरान सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर सकते हैं।
हालांकि पाकिस्तान में जिस दल और व्यक्ति को फौज का समर्थन रहा है उसको सत्ता से बाहर करना मुश्किल माना जाता है लेकिन हाल-फिल्हाल पाकिस्तान के हालात फौज के भी अनुकूल नहीं है। सत्ता को सीधे अपने हाथ में लेने से बगावत का सेंटर इमरान खान से हटकर फौजी जनरल यानी कमर जावेद बाजवा पर आ सकता है। जनरल बाजवा को यह खबर खुफिया एजेंसियों ने पहले ही दे दी थी। इसीलिए बाजवा ने इमरान खान पर दबाव डाला कि किसी भी तरह सरकार के सहयोगियों की शिकायतों पार्लियामेंट से बाहर दूर की जाएं।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि काम-काज से नाराज सहयोगी दल डॉक्टर फहमीदा मिर्जा के नेतृत्व में इमरान खान के खिलाफ झण्डा बुलंद कर सकते हैं। फहमीदा मिर्जा इमरान सरकार में इंटर प्रोविंशियल को-आर्डिनेशन मिनिस्टर भी हैं। इमरान खांन की लंच मीटिंग में सबसे ज्यादा मुखर फहमीदा मिर्जा ही थीं। फहमीदा मिर्जा ने इमरान खांन पर आरोप लगाया कि सिंध की जानबूझ कर उपेक्षा की जा रही है। सिंध के साथ सौतेला बर्ताव किया जा रहा है। लंच मीटिंग में तनातनी काफी हो जाने के बाद इमरान खान ने हाथ जोड़ते हुए सभी से माफी मांगी और कहा कि अगले ढाई साल में सभी गल्तियों को दुरुस्त कर लिया जाएगा। नाराज सहयोगी दलों को मनाने के लिए मीटिंग में मौजूद सेनेट के चेयर पर्सन सादिक संजरानी ने भी काफी कोशिश की। इमरान खान की इस मीटिंग में प्लानिंग मिनिस्टर असद उमर, उस्मान बुजदार, जाम कमाल खान, महमूद खान के अलावा पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वाह के चीफ मिनिस्टर भी शामिल थे। ऐसा बताया जा रहा है कि आर्मी चीफ के दबाव में बुलाई इस बैठक के बाद सहयोगी दलों का गुस्सा तो कम नहीं हुआ लेकिन समर्थन वापसी की आशंका कुछ समय के टल सकती है।.
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