अपने किए पर पछता रहा यूरोप! Putin ने चली ऐसी चला कि उलटा पड़ गया प्रतिबंधों का असर- रूस की मुद्रा हुई और मजबूत

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ये अमेरिका की अपनी मनमानी है कि, जब वो सीरीया, अफगानिस्तान, लीबिया के अलावा भी कई अन्य देश हैं जिनपर हमला किया तो सैन्य अभियान और लोगों के हित में बताया गया। लेकिन, यही सैन्य अभियान जब रूस ने यूक्रेन पर किया है तो ये पश्चिमी देश पुतिन को आतंकी और इसे जंग कह रहे हैं। पश्चिमी देशों को गंवारा नहीं है कि उनके अलावा कोई दूसरा देश इस तरह का सैन्य ऑपरेशन करे। यही वजह है कि वो यूक्रेन को पूरी तरह से हथियार, गोला-बारूद, फाइटर जेट्स के साथ ही आर्थिक रूप से मदद कर रहे हैं और रूस पर कड़े से कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं। लेकिन, इन पश्चिमी देशों को ये नहीं पता था कि उनके द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का असर उनपर ही उलटा पड़ेगा। क्योंकि, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, रूस की मुद्रा पहले से और भी मजबूत हो गई है और साथ ही ट्रेड सरप्लस में बढ़ोतरी हो गई है।</p>
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अमेरिकी मीडिया संस्थान ब्लूमबर्ग ने अपने आकलन के आधार पर कहा है कि रूसी मुद्रा रुबल इस साल अब तक दुनिया में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा साबित हुई है। उधर लंदन की मशहूर पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने एक अध्ययन के आधार पर कहा है कि रूस में इस साल रिकॉर्ड व्यापार मुनाफा होगा। ब्लूमर्ग की माने तो, रूस ने पूंजी नियंत्रण की नीति अपना कर रूहल को ढहने से बचा लिया है। इस साल की शुरुआत में अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुबल का जो भाव था, इस बुधवार को उसकी कीमत उससे 11 फीसदी अधिक थी। दुनिया के किसी अन्य देश की मुद्र की कीमत इस वर्ष इतनी नहीं बढ़ी है। 31 देशों की मुद्राओं के आकलन के आधार पर ब्लूमबर्ग ने ये निष्कर्ष निकाला है।</p>
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रिपोर्ट में कहा गया है कि, यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए, तब रुबल की कीमत धड़ाम से गिरी। लेकिन उसके बाद रूसी सेंट्रल बैंक ने ब्याज दर में भारी बढ़ोतरी की और पूंजी नियंत्रण संबंधी सख्त कदम उठाए। जिसके बाद रुबल की कीमत संभल गई। उधर रूस सरकार ने फैसला किया कि एक अप्रैल से वह अपने तेल और गैस निर्यात के बदले 'अमित्र देशों' से भुगतान सिर्फ रुबल में स्वीकार करेगी। इससे रुबल को काफी बल मिला। रूस ने उन देशों को अमित्र घोषित किया है, जिन्होंने उस पर प्रतिबंध लगाए हैं।</p>
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उधर एक और रिपोर्ट में बताया गया है कि, रूस का व्यापार लाभ तेजी से बढ़ रहा है। पिछले नौ मई को चीन ने बताया कि, रूस को उसके निर्यात में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन, रूस से आयात 56 प्रतिशत बढ़ा है। इसके तरह मार्च में रूस को जर्मनी के निर्यात में 62 फीसदी की गिरावट आई। लेकिन, रूस से वहां आयात सिर्फ तीन फीसदी घटा। रूस के सबसे बड़े आठ व्यापार सहभागियों के मामले में ऐसा ही रुझान देखा गया है। रूस को हुए निर्यात में जहां 44 फीसदी गिरावट आई है, वहीं रूस से होने वाला आयात आठ प्रतिशत बढ़ा है। उधर एक रिपोर्ट में बताया गया कि, पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया लेकिन, इसका उलट असर इन्हीं पर हुआ। प्रतिबंधों का शुरुआती असर यह है कि पश्चिमी देशों में महंगाई और आर्थिक समस्याएं बढ़ गई हैं, जबकि रूसी अर्थव्यवस्था के कई संकेतक इससे मजबूत हुए हैं।</p>
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आईएन ब्यूरो

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