अंतर्राष्ट्रीय

Sheikh Hasina बोली- भारी बोझ तले दबी हूं, बस PM Modi कर सकते हैं मदद

Rohingyas in Bangladesh: भारत हमेशा से ही अपने पड़ोसी देशों के लिए मददगार रहा है। पड़ोसी ही नहीं बल्कि, पूरी दुनिया में जब भी जरूरत पड़ती है तब भारत मदद के लिए सीना ताने खड़ा रहता है। कोरोना महामारी में वैक्सीन बनाने के बाद भारत ने विश्व के छोटे देशों को भेजकर मदद की। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई अपने चरम पर है। हर एक चीजों के दाम बढ़ चुके हैं। गेंहू के भी दाम बढ़ गए हैं और कई छोटे देशों में इसकी भारी कमी देखी गई। जिसकी आपूर्ति भारत ने की। उध आर्थिक तबाही का सामना कर रहे श्रीलंका को सबसे ज्यादा अगर किसी ने मदद की तो वो भारत है। इसके साथ ही बांग्लादेश की भी भारत हमेशा से मदद करते आ रहा है। अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर से भारत से मदद की गुहार लगा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का कहना है कि दस लाख रोहिंग्या (Rohingyas in Bangladesh) उनके देश पर बहुत भारी बोझ हैं। बांग्लादेश इस मसले को संयुक्त राष्ट्र व आसियान में भी उठा रहा है। भारत इसे सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। पांच सितंबर से शुरू हो रहे चार दिन के भारत दौरे से ठीक पहले एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने बांग्लादेश के अंदरूनी हालात, भारत-बांग्लादेश संबंधों व व्यक्तिगत जीवन के बारे में विस्तार से बातचीत की। उन्होंने स्वीकार किया रोहिंग्या (Rohingyas in Bangladesh) उनकी सत्ता के लिए खतरा बन गए हैं।

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उन्होंने कहा, रोहिंग्या अब बांग्लादेश के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। इस समुदाय के लोग ड्रग्स और हथियारों से लेकर महिलाओं-बच्चों की तस्करी व तरह-तरह के अपराधों में लगे हैं। जितने जल्दी ये म्यांमार लौटें, उतना ही बेहतर होगा। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के सवाल पर उन्होंने कहा, यह बर्दाश्त नहीं हैं। बांग्लादेश में चरमपंथी वारदात बढ़ी हैं, लेकिन पूरी दुनिया में नफरत बढ़ी है। इसमें सोशल मीडिया की भूमिका सबसे ज्यादा है। जब तक मेरी सरकार है, अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है। हिंदुओं पर हमले पर खेद जताते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को इसके बारे में थोड़ा उदार होकर सोचना चाहिए। एक-दो घटनाओं के आधार पर पूरे देश या समाज का चरित्र तय नहीं होता।

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वहीं, शेख हसीना ने यह भी कहा कि, वैक्सीन मैत्री और यूक्रेन से दक्षिण एशियाई देशों के छात्रों को भारत ने जिस तरह वहां से निकाला, यह दो बातें सार्क की अहमियत दिखाती हैं। बांग्लादेशी छात्रों को यूक्रेन से निकालने और पर्याप्त कोविड वैक्सीन के लिए पीमए मोदी का शुक्रिया। इसके आगे उन्होंने कहा कि, दोनों देश कई नदियों का पानी साझा करते हैं। खासतौर पर तीस्ता का पानी बांग्लादेश के लिए बेहद अहम है। पानी के बंटवारे को लेकर कई विवाद रहे हैं, लेकिन कोई भी ऐसी समस्या नहीं है, जिसे बातचीत से हल न कर सकें। पानी भारत से बांग्लादेश की तरफ आता है। लिहाजा, भारत से इस मामले दरियादिली की उम्मीद रहती है।

Vivek Yadav

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