रूस और अमेरिका के बीच छिड़ा महायुद्ध तो भारत देगा किसका साथ? US ने दिया सटीक जवाब!

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रूस और यूक्रेन के बीच कभी भी युद्ध शुरू हो सकता है। एक तरफ जहां अमेरिका दावा कर रहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए बॉर्डर पर सैन्य ताकतें बढ़ा दी है। लेकिन वहीं रूस का कहना है कि यूक्रेन उन्हें लगातार युद्ध के लिए उकसा रहा है। यूक्रेन ने सीजफायर का उल्लंघन कर मोर्टार शेल्स और ग्रेनेड्स दागे हैं। ऐसे में अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। दुनिया को दो महाशक्तियों के बीच महायुद्ध देखने को मिलेगा। ऐसे में सबके मन में ये सवाल उठता है कि अगर ये महायुद्ध हुआ तो भारत किसका साथ देगा?</p>
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रूस और अमेरिका दोनों ही भारत के पुराने और अच्छे दोस्त है। यूक्रेन पर हमले की सूरत में भारत किसका साथ देगा?.. इस पर अमेरिका का कहना है कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही अमेरिका ने उम्मीद जताई कि अगर रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता है तो भारत अमेरिका का साथ देगा। आपको बता दें कि चार देशों (क्वाड) के विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी मेलबर्न में बैठक हुई। जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री शामिल हुए थे। इस दौरान रूस और यूक्रेन के मसले पर बात की गई।</p>
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इस बैठक को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि 'बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले के राजनयिक-शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है। क्वाड नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का पक्षधर है।' एक सवाल का जवाब देते हुए नेड प्राइस ने कहा- 'नियम आधारित व्यवस्था हिंद प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है, जैसे कि यह यूरोप में है या अन्य कहीं है। हम जानते हैं कि हमारे भारतीय साझेदार नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। इस व्यवस्था में अनेक नियम हैं, उनमें से एक यह है कि बल के जरिए सीमाओं का पुनर्निर्धारण नहीं हो सकता।'</p>
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भारत सहित अन्य पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 'बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते। किसी देश के लोग अपनी विदेश नीति, अपने साझेदार, गठबंधन सहयोगी आदि चुनने के हकदार हैं। ये सिद्धांत यूरोप की भांति हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होते हैं।' प्राइस ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्होंने इस बात पर कुछ भी बोलने से परहेज किया कि क्या 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स' मामले पर भी कोई चर्चा हुई या नहीं।</p>

आईएन ब्यूरो

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