पूरी तरह टूट चुके हैं जेलेंस्की, बोले- अब सामना करने कि… यूक्रेन पर Putin की सेना दाग चुकी है इतनी मिसाइलें की…

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यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के शुरु करने के पीछे बहुत बड़ा कारण रहा है। वो यह कि डोनबास में यूक्रेन ने कत्लेआम मचा दिया था। यहां पर बच्चों तक को यूक्रेन जान से मार रहा था। पश्चिमी मीडिया या फिर बाकी के खबरिया चैनल यह नहीं दिखा रहे हैं कि, जो व्लोदोमीर जेलेंस्की आज गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे हैं उसी ने डोनबास में 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली। रूस के लाख मना करने के बाद भी यूक्रेन जब नहीं माना तो पुतिन को मजबुरन सैन्य अभियान शुरू करना पड़ा। एक और बात यह कि साल 2015 में यूक्रेन ने यह बात मान ली थी कि वो कभी भी NATO में शामिल नहीं होगा लेकिन, 2017 के बाद से अचानक ही वो रट लगाने लगा कि, उसे नाटो में जाना है। ऐसे में रूस के राषट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर से मिंस्क समझौते की बात सामने लाए लेकिन, यूक्रेन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। यह हमला अगर हुआ है तो इसका कारण यूक्रेन ही रहा है। अब जब जेलेंस्की कमजोर पड़ रहे हैं तो उन्हें इंसानियत याद आ रही है।</p>
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यूक्रेन को लगा था कि रूस उसका कुछ नहीं कर पाएगा। क्योंकि, उसके पास तो अमेरिका, नाटो संग पूरे पश्चिमी देशों का सपोर्ट है। लेकिन, जैसे ही जंग शुरू हुई ये सारे पीछे हट गए। लेकिन, पर्दे के पीछे से ये भारी मात्रा में यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। ये जंह 5 दिनों की भी नहीं थी लेकिन, पश्चिमी देश यूक्रेन को रूस के खिलाफ लड़ने के लिए भारी मात्रा में हथियार और पैसे दे रहे हैं। अमेरिका-नाटो सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं है लेकिन, यूक्रेन को सपोर्ट पूरी तरह से दे रहे हैं और उनकी यही चाल कहीं विश्व युद्ध 3 न शुरू करवा दे। क्योंकि, रूस माहासक्तिशाली देश है और पुतिन बार-बार कह चुके हैं कि, जो भी देश यूक्रेन की मदद करेगा उसे अंजाम भुगतना होगा। ऐसे में ये पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने के लिए लगातार भड़ताने का भी काम कर रहे हैं। ताकि उसपर वो कड़े से कड़ा प्रतिबंध लगाकार काफी पीछे ढकेल सके। लेकिन, इसके बाद भी रूप पूरी तरह से यूक्रेन पर आक्रामक है और पश्चिमी देशों को ही समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करें।</p>
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यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने गुरुवार रात राष्ट्र के नाम दिए अपने वीडियो संबोधन में देश के उन हिस्सों में दवाओं और चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी का जिक्र किया, जो रूस के नियंत्रण में हैं। जेलेंस्की ने कहा कि उन इलाकों में कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए इलाज की सुविधा लगभग पूरी तरह से नदारद है, जबकि मधुमेह के मरीजों के लिए इंसुलिन या तो उपलब्ध नहीं है या फिर उसे हासिल करना बेहद मुश्किल है। तब याद नहीं आई जब डोनबास में लोग मर रहे थे। उस दौरान भी तो लोगों को जरूरत थी तब तो यूक्रेन को दर्द नहीं उठा। जेलेंस्की का कहना है कि, युद्ध के दौरान रूसी सेना यूक्रेन पर अब तक 2,014 मिसाइलें दाग चुकी है।</p>
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आईएन ब्यूरो

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