अंतर्राष्ट्रीय

रूस अब चांद पर नहीं जाएगा? लूना-25 के फ्लॉप होने से Putin के सपने को बड़ा झटका

रूस (Russia) के लूना-26 की विफलता से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जोर का झटका लगा है। पुतिन लूना-25 मिशन के जरिए पश्चिमी देशों को सख्त संदेश देना चाहते थे। मगर, उनकी उम्मीदें उस वक्त धाराशायी हो गईं, जब लूना-25 लैंडिंग के दौरान चंद्रमा की सतह से जाकर टकरा गया। लूना-25 पिछले 47 साल में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का पहला मून मिशन था। सोवियत संघ के विघटन और रूस के उदय के बाद से ही रोस्कोस्मोस चंद्रमा पर अपने लैंडर को भेजने की प्लानिंग कर रहा था। इसके लिए रूस ने चीन की मदद ली थी, लेकिन फिर भी नाकाम रहा। लूना-25 की लॉन्चिंग के मौके पर चीनी अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारी मौजूद थे, लेकिन इस मिशन के फेल होते ही उन्होंने खुद को किनारे कर लिया।

रूस का लूना-25 मिशन क्यों फेल हुआ?

रूस ने लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की योजना बनाई थी। यह इलाका पहले से ही अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के लिए दुर्गम माना जाता है। फिलहाल रूसी अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि लूना-25 के नाकाम होने के पीछे तकनीकी कारण थे। रोस्कोस्मोस प्रमुख यूरी बोरिसोफ ने कहा कि लूना-25 को लैंडिंग से पहले की कक्षा में स्थापित करने वाला इंजन तय 84 सेकंड की बजाय 127 सेकंड तक काम करता रहा। जांच में हमने पाया कि दुर्घटनाग्रस्त होने का ये मुख्य तकनीकी कारण था।

ये भी पढ़े: Chandrayaan 2 में दोस्त Russia ने दे दिया था भारत को ‘धोखा’, इतने साल करना पड़ा था इंतज़ार, समझें पूरा खेल

लूना-25 की नाकामी से कैसा असर?

यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की बौछार की हुई है। इसमें रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के साथ सहयोग भी शामिल है। ऐसे में रूस को लूना-25 मिशन के दौरान न तो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और ना ही यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से कोई मदद मिली। इन प्रतिबंधों का बड़ा नुकसान ये हुआ कि रूस दुनिया के दूसरे देशों की उन सैटेलाइट का इस्तेमाल नहीं कर पाया, जिसके कारण रूस लूना-25 से संपर्क किया जा सकता था।

रूस के लिए दूसरा मून मिशन कठिन

मॉस्को स्थित एक स्वतंत्र अंतरिक्ष विशेषज्ञ और लेखक वादिम लुकाशेविच ने कहा कि अंतरिक्ष में खोजबीन के लिए खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है। रूस के बजट में यूक्रेन युद्ध को प्राथमिकता देने के कारण लूना-25 जैसे दूसरे मून मिशन को फिर से भेजे जाने की संभावना काफी कम हो गई है। रूस 2021 तक नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम में एक भूमिका पर विचार कर रहा था, जब उसने कहा कि वह चीन के मून प्रोग्राम में भागीदार होगा। लेकिन, प्रतिबंधों और चीन की उपेक्षा के कारण रूस के लिए ऐसा करना अब मुश्किल लग रहा है।

आईएन ब्यूरो

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

7 months ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

7 months ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

7 months ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

7 months ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

7 months ago