पूरी दुनिया की नज़र इस वक्त कई महीनों से चल रही रूस और यूक्रेन युद्ध (Ukraine) पर है। हर बीतते दिन के साथ इन दो देशों के बीच जारी युद्ध भयावह होती जा रही है। युद्ध को रोकने का रास्ता न बातचीत से निकल रही है न ही अंतरराष्ट्रीय दखल से ही। दोनों ही देश एक-दूसरे पर युद्ध को बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में अब रूस की तरफ से अब जो दावा किया जा रहा है, वह डराने वाला है। रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु (Sergei Shoigu) की मानें तो यूक्रेन एक ‘डर्टी बम’ का प्रयोग करने की कोशिशों में लगा हुआ है। उन्होंने इस बात के कोई सुबूत नहीं दिए हैं लेकिन उनका यह बयान डराने वाला है। विशेषज्ञों की मानें तो रूस ऐसा करके एक नई धारणा को आगे बढ़ा रहा है।
क्या है डर्टी बम
डर्टी बम के साथ ही रूसी रक्षा मंत्री का इशारा उस बम की तरफ था जो होता तो परमाणु बम की तरह है लेकिन इसका असर उतना विनाशकारी नहीं होता है। इससे निकलने वाले रेडियोएक्टिव कचरे से बड़े पैमान पर तबाही फैल सकती है। डर्टी बम यानी वह हथियार जो रेडियोएक्टिव मैटेरियल को तैयार करके बनाया जाता है। इस बम में यूरेनियम जैसे तत्वों का प्रयोग होता है।
जब यह बम फटता है तो हवा में विस्फोटक और रेडियोएक्टिव तत्व फैल जाते हैं। इस बम में परमाणु बम की तरह खतरनाक रेडियोएक्टिव तत्व नहीं होते हैं। बल्कि इस बम को अस्पताल और परमाणु शक्ति केंद्र से निकलने वाले रेडियोएक्टिव तत्वों से मिलाकर बनाया जाता है। इसकी वजह से यह काफी सस्ता होता है और परमाणु बम की तुलना में जल्दी तैयार हो जाता है। इस बम को आसानी से किसी गाड़ी पर लादकर ले जाया जाता है।
दहशत पैदा करने का हथियार
रेडियोएक्टिव तत्वों की वजह से गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर आदि का खतरा रहता है। इस वजह से इस बम का प्रयोग या इसकी धमकी एक आबादी में दहशत पैदा कर सकती है। जहां कहीं भी इस बम का टेस्ट होता है, वहां लोगों को पहले हटा दिया जाता है और फिर उस जगह को हमेशा के लिए छोड़ दिया जाता है। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंस्टिस्ट्स की मानें तो अगर एक बम में 9 ग्राम कोबाल्ट-60 और पांच किलोग्राम तक टीएनटी होता है तो फिर वह न्यूयॉर्क के मैनहैट्टन को कई दशकों तक के लिए तबाह कर सकता है। इसलिए इन बमों को बड़े स्तर पर तबाही का हथियार करार दिया जाता है।
कई बार प्रयोग की कोशिश
वहीं यह बात भी सच है कि इस तरह के बम बहुत ही अवश्विसनीय होते हैं। डर्टी बम में किसी भी तरह के रेडियोएक्टिव मैटेरियल को टारगेट जोन को तबाह करने केलिए पाउडर में बदलना होता है। लेकिन अगर इसके कण बहुत ज्यादा महीन हो जाते हैं तो फिर उनसे नुकसान न के बराबर होता है। अभी तक दुनिया में किसी भी तरह के सफल डर्टी बम के प्रयोग का कोई उदाहरण नहीं मिला है। हालांकि इसे कई बार प्रयोग किया गया है।
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कब-कब हुआ प्रयोग
सन् 1996 में चेचन्या के विद्रोहियों ने डायनामाइट और सेसेयिम-137 वाले डर्टी बम का प्रयोग मॉस्को के इस्माइलोवो पार्क में इस बम का प्रयोग किया था। सेसियम को कैंसर का इलाज करने वाले उपकरणों से निकाला जाता है। सुरक्षाबलों को इस बम का पता लगा और इसे डिफ्यूज कर दिया गया। सन् 1998 में चेचन्या की इंटेलीजेंस सर्विस को एक ऐसा ही बम मिला था जिसे डिफ्यूज कर दिया गया था। इस बम को एक रेलवे लाइन के करीब लगाया गया था।
रूस करना चाहता है प्रयोग
इस बात की भी आशंका है कि रूस, यूक्रेन में एक डर्टी बम फोड़ना चाहता है। साथ ही वह इसके लिए यूक्रेन की सेनाओं पर झूठा आरोप लगाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, कई सैन्य विशेषज्ञों की मानें तो रूस इतना मूर्ख नहीं है। उस मालूम है कि अगर डर्टी बम फटा तो फिर उसके सैनिक भी इसकी चपेट में आएंगे और उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा सकता है। ISW का कहना है कि रूस की तरफ से इस डर्टी बम के प्रयोग की कोई आशंका नहीं है।
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