Russia-Ukraine War: इस साल फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो उसका लक्ष्य सिर्फ जीत था। लेकिन अब करीब नौ महीने के बाद हालात बिल्कुल उलट हैं। रूस के लिए जहां स्थिति शर्मनाक है तो वहीं यूक्रेन इन हालातों पर फूला नहीं समा रहा है। शुक्रवार सुबह पांच बजे से रूसी सैनिकों की वापसी पूरी की गयी। फिलहाल अब एक भी यूनिट यहां पर नहीं बची है। इस बीच अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूक्रेन ने अब कोई और भी कई बड़े प्लान बना लिए है तभी रूस की सेनायें दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन को खाली करके चली गई हैं। यह कदम यूक्रेन में युद्ध के दौरान रूस के लिए एक और झटका माना जा रहा है।
यूक्रेन की सेनाएं अब खेरसॉन के क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाती हुई नजर आ सकती हैं। यूक्रेन के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रूस की तरफ से गोलीबारी शुरू हो सकती है। उनका कहना है कि पश्चिमी हिस्से से जाने को रूसी सेना (Russian army) आसानी से पचा नहीं पायेगी। वह इस घटना की प्रतिक्रिया में कोई बड़ा कदम जरूर उठायेगी। यूक्रेन के अधिकारियों को रूस के इस ऐलान पर पहले कोई भरोसा नहीं हुआ था। उनका मानना था कि रूस उन्हें जाल में फंसाने की कोशिश कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की के करीबी मिखाइलो पोदोलाइक की मानें तो जब तक खेरसॉन में यूक्रेन का झंडा नहीं लहर जाता, इस ऐलान का कोई मतलब नहीं रह जाता है। लेकिन जनरल मिले का कहना है कि शुरुआती संकेतों से ही साफ हो गया था कि रूस अपने सैनिकों को पीछे खींचने लगा है। सैनिकों को किसी भी सक्रिय वॉर जोन से पीछे हटाना काफी खतरनाक काम होता है। ऐसे में रूस के सैनिक आगे क्या करेंगे, इस पर भी सबकी नजरें टिकी हैं।
सप्लाई लाइन बनी विलेन
रूस ने नीपर नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित खेरसॉन से सैनिकों की वापसी का जब ऐलान किया तो हर कोई हैरान रह गया। सभी यह जानना चाहते थे कि आखिर रूस ने यह फैसला क्यों लिया है। माना जा रहा है कि खेरसॉन में मौजूद सैनिकों तक सप्लाई लाइन को बरकरार रखने में रूस को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते ही उसने यह फैसला किया और सैनिकों की वापसी का ऐलान कर डाला। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से पता लगता है कि रूस के सैनिकों ने पश्चिमी किनारे पर कई सप्लाई लाइन तैयार कर डाली थीं। पश्चिमी मिलिट्री विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन लगातार आक्रामक होता जा रहा था। रूस को इस बात की चिंता थी कि यूक्रेन अगर खेरसॉन में पश्चिम तक पहुंच जायेगा तो क्रीमिया तक जाने वाली उसकी सप्लाई लाइन्स खतरे में आ जाएंगी। हो सकता है कि यूक्रेन इन पर हमला कर दे। इस वजह से भी रूस ने पीछे हटने का फैसला किया था।
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अब खेरसॉन में कितने सैनिक
इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अभी कितने रूसी सैनिक खेरसॉन में मौजूद हैं। खेरसॉन उन चार क्षेत्रों में एक है जिन्हें पिछले महीने ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस की सीमा में मिलाने का ऐलान किया है। अमेरिका के टॉप मिलिट्री ऑफिसर जनरल मार्क मिले की मानें तो रूस ने यहां पर 20,000 से 30,000 सैनिकों को तैनात कर रखा है। लेकिन खेरसॉन पर दोबारा कब्जा रूस की हार और यूक्रेन की जीत पक्का करता है।
क्या है खेरसॉन की रणनीतिक अहमियत
खेरसॉन का बॉर्डर क्रीमिया से सटा हुआ है और यह जगह रूस को काला सागर तक का जमीनी रास्ता मुहैया कराती है। साल 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। यूक्रेन की सेनाएं अगर इस क्षेत्र में आक्रामक रहती हैं तो फिर रूस एक बड़ी जीत से वंचित हो जायेगा। इस तरह की लड़ाई यूक्रेन को क्रीमिया के करीब ले आयेगी जिसे रूस अपने लिएरणनीतिक तौर पर बहुत जरूरी मानता है। खेरसॉन की आबादी करीब दो लाख अस्सी हजार है।
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