Russia s referendum in Ukraine: जब से रूस ने यूक्रेन (Russia-Ukraine War) पर हमला बोला है उसके बाद से ही पश्चिमी देश दुनिया के सामने यूक्रेन की अलग ही छवि पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति भी रूसी सैनिकों और तोप-मिलिट्री जेट्स को मार गिराने, पुतिन को भारी नुकसान पहुंचाने का दावा कर रहे हैं। हकीकत तो यह है कि यूक्रेन का लगभग एक चौथाई हिस्सा रूस के कब्जे में हैं। इसमें से 15 फीसदी हिस्से में रहने वाले 99 फीसदी लोगों ने मास्को प्रशासन के साथ प्रतिबद्धता भी जनमत संग्रह (Russia s referendum in Ukraine) में दिखा दी है। नाटो और अमेरिका के बेपनाह मदद के बावजूद जेलेंस्की अपने देश का एक चौथाई हिस्सा रूस के हाथों हार चुके हैं।
पश्चिमी देश यूक्रेन को मासूम बता रहे हैं, एक तरफा खबरों को दिखा रहे हैं। सारी चीजें रूस के खिलाफ हैं और हो भी क्यों नहीं। क्योंकि एक मात्रा रूस ही ऐसा महाशक्तिशाली देश है जो अमेरिका की सुपर पावर वाली जगह ले सकता है जो अमेरिका हरगिज नहीं होने देता। यही कारण है कि अमेरिका पश्चिमी देशों के साथ मिलकर यूक्रेन को गोला-बारूद, हथियार, बंदूक, मिसाइलें, ड्रोन, तोप, टैंक से लेकर हर एक चीज दे रहा है जिससे वो इस जंग को जारी रख सके और रूस को तोड़ सके। साथ ही आर्थिक रूप से भी पूरी तरह मदद मिल रही है। लेकिन, इन सबके बीच एक नई चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यूक्रेन के ज्यादातर लोग रूस (Russia s referendum in Ukraine) के साथ मिलना चाहते हैं। रूस ने जिन छेत्रों में जनमत संग्रह (Russia s referendum in Ukraine) कराया वहां के लोग यूक्रेन नहीं बल्कि रूस को अपनाना चाहते हैं। ये करीब यूक्रेन का 15 फीसदी हिस्सा है जो रूस के कब्जे में आने वाला है। ये जेलेंस्की और पश्चिमी देशों के लिए बड़ा झटका है और उन लोगों की भी आंख खोलने वाला है जो रूस को लेकर झूठ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
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रूसी कहलाने के लिए बेताब हैं यूक्रेनी
रूस सैन्य नियंत्रण वाले यूक्रेन (Russia-Ukrani) के हिस्सों को औपचारिक रूप से अपने क्षेत्र में मिलना चाहता है। रिपोर्ट के अनुसार इन इलाकों में रहने वाले लोगों ने जनमत संग्रह (Russia s referendum in Ukraine) में मॉस्को के शासन का समर्थन किया है। जनमत संग्रह की बात जब सामने आई तो जेलेंस्की और पश्चिमी देशों में भगदड़ मच गई, वो इसके खिलाफ जमकर बोलने लगे। लेकिन, अंत में जनता ने ये बता दिया है कि, वो रूस के साथ हैं। दक्षिण और पूर्वी यूक्रेन के रूस के कब्जे वाले चारों क्षेत्रों के मॉस्को समर्थक प्रशासन ने मंगलवार रात कहा कि उनके नागरिकों ने रूस द्वारा पांच दिन तक कराये गये जनमत संग्रह में रूस में शामिल होने के लिए मतदान किया है।
रूस को मिला 99 प्रतिशत लोगों का समर्थन
रूस के निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, जापोरिज्जिया में 93 प्रतिशत मतदान विलय के समर्थन में हुआ, वहीं खेरसॉन में 87 प्रतिशत, लुहांस्क में 98 प्रतिशत और दोनेत्स्क में 99 प्रतिशत लोगों ने इन हिस्सों के रूस में विलय का समर्थन किया। इन कब्जे वाले क्षेत्रों में रूसी अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि वे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इन इलाकों को रूस में मिलाने को कहेंगे। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रशासनिक प्रक्रिया किस दिशा में बढ़ेगी।
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लोगों से असलियत छुपा रहा यूक्रेन
रूस के इस कमद की पश्चिमी देशों में जमकर आलोचना हो रही है। पश्चिमी देशों और जेलेंस्की ने इस युद्ध का कारण कभी नहीं बताया। समझ लिजिए की जिस तरह एक समय में जश्मू-कश्मीर में में पाकिस्तान ने आतंक मचाया था कुछ उसी तरह से यूक्रेन ने डोनभास में आतंक मचाया हुआ था। करीब 15 हजार से ज्यादा डोनभास के लोगों को यूक्रेन ने मौत की नींद सुला दी। रूस बार-बार कहता रहा कि अब मान जाए वरना इसका अंजाम बुरा होगा। इधर पश्चिमी देश यूक्रेन को नाटो में मिलाने के लिए लगातार कोशिश में थे, जबकि 2015 में मिन्स्क समझौते के अनुसार यूक्रेन कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा। लेकिन, इसके बाद भी व्लोदोमीर जेलेंस्की नाटो की रट लगा रखे थे। जिसके चलते रूस को ये कदम उठाना पड़ा। ये बात मीडिया और विश्व के जानकार नहीं बताते हैं। क्योंकि, पश्चिमी देशों का बोलबाला दुनिया में है। लेकिन, अब धीरे-धीरे कर यूक्रेनी लोग खुद इस बात का गवाह बन रहे हैं कि वो रूस के साथ जाना चाहते हैं।
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