यूक्रेन के एक और बड़े शहर पर सेवेरोडोनेत्स्क पर रूस का कब्जा, भय और शर्म से जेलेंसकी ने मुंह छिपाया

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लिचियांसक के बाद रूस ने -यूक्रेन के दूसरे बड़े शहर सेवेरोडोनेत्स्क पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। अधिकांश यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं या फिर उन्होंने सरेंडर कर दिया है। पूर्वी यूक्रेन में स्थित इस शहर के मेयर ने रूसी सेना के कब्जे की पुष्टि की है। यूक्रेनी और यूक्रेन के लिए लड़ रहे भाड़े के सैनिकों ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर को बचाने की हर संभव कोशिश की। रूस जैसी महा फौज को हफ्तों तक रोक कर रखा लेकिन अब यहां रूस का नियंत्रण है। जेलेंसकी के लिए इस जंग में यह सबसे बड़ा झटका है। इससे पहले रूसी मिसाइलों ने यूक्रेन के पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को भी निशाना बनाया।</p>
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दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप की सबसे बड़ी यह लड़ाई चार महीने पूरे कर चुकी है। रूस और यूक्रेन दोनों को जन-धन की भारी हानि उठानी पड़ी है। रूस के सामने यूक्रेन एक छोटा देश है लेकिन उसे पीछे 32 देशों की ताकत है। यही कारण है कि सब कुछ गंवा देने के बाद भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी झुकने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि लिचियांस्क और सेवेरेडोनेत्स्क दोनों को खोने के बाद जेलेंसकी अमेरिका और नाटो भ्रम जाल से बाहर आ जाएं। सेवेरोडोनेत्स्क शहर की आबादी दस लाख के आस-पास थी। यूक्रेन जैसे देशों के लिए दस लाख की आबादी बहुत बड़ी बात है। जिसे रूसी सेना ने अब मलबे के ढेर में बदल दिया है। सेवेरोडोनेत्स्क पर कब्जा पुतिन के लिए युद्ध में बड़ी कामयाबी है।</p>
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सेवेरोडोनेत्स्क के मेयर अलेक्ज़ेंडर स्ट्रायुक ने नेशनल टेलीविजन पर कहा, 'शहर अब पूरी तरह से रूस के कब्जे में है।' उन्होंने कहा कि कोई भी जो पीछे छूट गया है अब यूक्रेनी कब्जे वाले इलाके में नहीं पहुंच सकता क्योंकि शहर पूरी तरह कट चुका है।' रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनाशेनकोव ने कहा कि शहर के अजोट केमिकल प्लांट को प्रतिरोध का एक और केंद्र बनाने का यूक्रेनी प्रयास विफल हो गया। उन्होंने कहा, 'सफल आक्रामक अभियानों के चलते, लुहान्स्क की मिलिशिया ने रूसी बलों की मदद से सेवेरोडोनेत्स्क और बोरिवस्के शहरों को पूरी तरह आजाद करा लिया है।'</p>
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यूक्रेन-रूस पर निगाह रखने वाले लोगों का कहना है कि पुतिन ने बड़ी चालाकी से अपनी युद्धनीति में बदलाव किया और यूक्रेन की कंधे पर बंदूक रख कर जंग कर रहे नाटो-अमेरिका को एक के बाद एक पटखनी देना शुरू कर दिया है। अमेरिका-यूरोप के देशों के प्रतिबंधों रूस के लिए प्रतिकूल के बजाए अनुकूल साबित हुए हैं। जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश और ईयू के देश प्रतिबंधों से उपजी आग में झुलस रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पुतिन का मकसद सभी बड़े शहरों पर कब्जे के बाद जेलेंसकी को गिरफ्तार कर मास्को ले जाना है। ताकि जेलेंसकी को खुद के जिंदा रहने और यूक्रेन के बर्बाद होने पर शर्मिंदगी का अहसास होता रहे।  </p>
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सेवेरोडोनेत्स्क के बाद अब रूस और अधिक यूक्रेनी शहरों पर कब्जा करने की ओर बढ़ रहा है। रूसी हमले से पहले सेवेरोडोनेत्स्क की आबादी करीब 10 लाख थी, जो अब घटकर मात्र 10 हजार रह गयी है। बड़ी संख्या में लोग शहर से पलायन कर चुके हैं। लगभग 500 नागरिकों के साथ, कुछ यूक्रेनी सैनिक शहर के किनारे पर विशाल एजोट रासायनिक कारखाने में छिपे हुए थे।</p>

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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