एस. जयशंकर : अफगान सरकार के हाथ में रहे शांति प्रक्रिया का नियंत्रण

अफगानिस्तान में हिंसा को रोकने के लिए तत्काल और <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/peacemaker-imran-khan-kabul-terrorist-attack-bloodshed-increases-18681.html"><strong>व्यापक संघर्ष विराम का आह्वान</strong></a> करते हुए भारत के विदेश मंत्री <strong>एस. जयशंकर</strong> ने मंगलवार को दोहराया कि शांति प्रक्रिया का नेतृत्व अफगानिस्तान की सरकार के हाथों में होना चाहिए।

विदेश मंत्री <strong>एस. जयशंकर</strong> ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से <strong>अफगानिस्तान 2020 सम्मेलन (Afghanistan 2020 Conference)</strong> में बोलते हुए कहा, "भारत ने अफगानिस्तान की शांति और विकास में भारी निवेश किया है। हम दृढ़ता से मानते हैं कि पिछले दो दशकों में हासिल किए गए लाभों को संरक्षित किया जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों, महिलाओं और कमजोर वर्गों और हितों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/imran-khan-kabul-visits-peace-taliban-ashraf-ghani-18346.html"><strong>अफगानिस्तान में हिंसा का बढ़ता स्तर स्वाभाविक रूप से गंभीर चिंता का विषय है।</strong></a>"

<strong>जयशंकर </strong>ने कहा, "जबकि हम अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के सभी प्रयासों का समर्थन करते हैं। भारत तत्काल और व्यापक युद्ध विराम की मांग करता है। हम यह भी मानते हैं कि शांति प्रक्रिया अफगान सरकार के नेतृत्व में, और अफगान सरकार द्वारा नियंत्रित होनी चाहिए।"

सम्मेलन के दौरान <strong>जयशंकर</strong> ने अफगानिस्तान में <strong>शाहतूत बांध</strong> के निर्माण और बहुत असरदार भारत-अफ़ग़ानिस्तान  सामुदायिक विकास समझौते के चरण-4  की घोषणा भी की। उन्होंने कहा, "मैं आज <strong>शाहतूत बांध</strong> के निर्माण के लिए अफगानिस्तान के साथ एक समझौते की घोषणा करते हुए खुश हूं। जिससे काबुल शहर के 20 लाख निवासियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। अफगानिस्तान में बहुत प्रभावी सामुदायिक विकास परियोजनाओं के चरण-4 का भी शुभारंभ भारत करेगा। जिसमें 8 करोड़ अमरीकी डॉलर मूल्य की लगभग 150 परियोजनाएँ शामिल हैं।"
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<p dir="ltr" lang="en">EAM <a href="https://twitter.com/DrSJaishankar?ref_src=twsrc%5Etfw">@DrSJaishankar</a> in his remarks at <a href="https://twitter.com/hashtag/Afghanistan2020?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#Afghanistan2020</a> Conference underscored India’s development portfolio of more than USD 3 billion Afghanistan aimed at building capacities & capabilities of Afghan nationals & institutions. <a href="https://t.co/wIVqzgCLwU">pic.twitter.com/wIVqzgCLwU</a></p>
— Anurag Srivastava (@MEAIndia) <a href="https://twitter.com/MEAIndia/status/1331185679506698242?ref_src=twsrc%5Etfw">November 24, 2020</a></blockquote>
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विदेश मंत्री <strong>जयशंकर </strong>ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान एक स्वाभाविक और ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं। इसके अलावा "हमारी रणनीतिक साझेदारी और अफगानिस्तान के विकास के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता लंबे समय की साझेदारी की सफलता को दर्शाती है।"
<h2>अफगानिस्तान में भारत के 3 अरब डॉलर के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट</h2>
<strong>जयशंकर </strong>ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में भारत करीब 3 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक की विकास परियोजनाएं चला रहा है। अफगानिस्तान का कोई भी हिस्सा आज इससे अछूता नहीं है। भारत की 400 से अधिक परियोजनाएं अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में फैली हुई हैं।”

विदेश मंत्री <strong>जयशंकर</strong> ने कहा कि ईरान सीमा पर <strong>डेलाराम से ज़ारंज</strong> तक 218 किलोमीटर की सड़क का निर्माण ईरान के माध्यम से अफगानिस्तान के लिए वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करता है। भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध और 2015 में तैयार हुई अफगान संसद की इमारत, अफगान लोकतंत्र का एक सच्चा प्रतीक था।"

<strong>जयशंकर</strong> ने आगे कहा कि 65,000 से अधिक अफगान छात्र पहले ही विभिन्न स्कॉलरशिप के तहत भारत में पढ़ चुके हैं। वर्तमान में 15,000 लोग यहां पढ़ रहे हैं और 3,000 अफगान महिलाओं को भारत में उच्च अध्ययन करने के लिए स्कॉलरशिप दी गई है।

अफगानिस्तान के लैंड लॉक्ड देश होने की चुनौतियों के बारे में <strong>जयशंकर</strong> ने कहा, "हमने चाबहार बंदरगाह और भारत और अफगानिस्तान के बीच एक समर्पित एयर फ्रेट कॉरिडोर के माध्यम से अफगानिस्तान को वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान की है। COVID-19 महामारी के दौरान चाबहार बंदरगाह ने हमें अफगानिस्तान को 75,000 टन गेहूं भेजने में मदद की है। <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/india-some-countries-spreading-terrorism-religious-hatred-covid-19-epidemic-18306.html"><strong>कोरोनोवायरस चुनौती</strong> </a>से निपटने के लिए हम 20 टन से अधिक जीवन रक्षक दवाएं और अन्य उपकरण भी भेजने में सक्षम हुए।".

डॉ. शफी अयूब खान

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