Shanghai Protest Against Lockdown: चीन आज अपने जीरो कोविड नियम के चक्कर में बुरी तरह फंसता चला जा रहा है। जनता इससे उब चुकी है। चीनी सरकार ने कभी सोचा नहीं था कि, लोग एक दिन सड़कों पर उतर आयेंगे। चीन का जीरो कोविड पॉलिसी किसी मौत से कम नहीं है। यही कारण है कि, लोग अब इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आये हैं। इस वक्त पूरे चीन में आग लगी हुई है। शंघाई में छोटे से प्रदर्शन (Shanghai Protest Against Lockdown) से इसकी शुरुआत हुई और धीरे-झीरे इसमें हजारों लोग शामिल होते गये। पिछले सप्ताह के अंत में छोटे से प्रदर्शन से इसकी शुरुआत हुई लेकिन बाद में सैकड़ों लोगों की भीड़ इससे जुड़ती गई। एक महिला ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस्तीफा दो के नारे लगाए और अन्य लोगों ने उसका अनुसरण किया। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की। शंघाई (Shanghai Protest Against Lockdown) में 26 नवंबर को हुआ प्रदर्शन कोई पहला और सबसे बड़ा नहीं था। लेकिन पहली बार मुखर तरीके से चीनी नेतृत्व में बदलाव का आह्वान किया गया। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ दशकों में पहली बार इस तरह लोगों का आक्रोश दिखा।
चीन इसके पीछे विदेशी ताकतों का मान रहा हाथ
चीन को ऐसा लगता है कि, इतना बड़ा प्रदर्शन होने संभव यानी की विदेशी ताकतों का हाथ जरूर हो सकता है। चीन अपनी हरकतों के बजाय दूसरे देशों के बारे में सोच रहा है। खैर कई राष्ट्रवादी व्लॉगर ने प्रदर्शन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ होने का अंदेशा जताया और सरकार ने अस्थिर करने वाली ताकतों के खिलाफ कार्रवाई की बात की। लेकिन यह प्रदर्शन दिनों दिन बड़ा होते गया। चीन की न्य कोविड नीति के तहत लॉकडाउन को लेकर देश में प्रदर्शन जिस तरह भड़का, उसकी किसी को उम्मीद नहीं थी ना तो प्रशासन को ना पुलिस को और ना ही प्रदर्शनकारियों को भी। प्रदर्शन में भाग लेने वालों के दोस्तों ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि 26 नवंबर को शंघाई के फ्रेंच कन्सेशन से प्रदर्शन शुरू हुआ। शुरुआत में इसमें स्थानीय कलाकारों और संगीतकारों ने हिस्सा लिया। उत्तर-पश्चिम में स्थित शिनजियांग प्रांत के उरुमकी में 24 नवंबर को अपार्टमेंट में आग की घटना में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई।
सोशल मीडिया पर भड़का गुस्सा
मीडिया में आई खबरों की माने तो, सख्त पाबंदियों के बीच लोग अपने घरों में कैद रहे और जब ऊब गये तो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। चीन में लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया, यहीं से लोगों का गुस्सा इतना भड़क गया कि, आज चीन सरकार को रोक पाना मुमकीन नहीं है। लोगों ने ऑनलाइन पोस्ट में सख्त नियमों की आलोचना की। उरुमकी के लोग भी महीने भर से लागू लॉकडाउन के खिलाफ सड़कों पर उतरे। वहीं, मध्य हेनान प्रांत में आईफोन की फैक्टरी में श्रमिकों ने तब हंगामा कर दिया जब उनसे कहा गया कि कोविड नियंत्रण के लिए उन्हें फैक्टरी के भीतर ही रहना होगा। ग्वांगझू के निवासी भी लॉकडाउन लागू करा रहे पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। एक अन्य घटना में पुलिस ने बीबीसी के पत्रकार से मारपीट की और उन्हें हिरासत में ले लिया। वहीं जापान की एक पत्रकार ने कहा कि अधिकारियों ने तस्वीरें लेते हुए देखने पर उन्हें 24 घंटे तक हिरासत में रखा।
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